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Tag: निधि मिश्रा

तेरी याद आई
कविता

तेरी याद आई

********** निधि मिश्रा पाण्डेय खरेया गोपालगंज . सूरज की लाली से पहले जगने वाली आंखों को, जब तेज धूप ने जगाई तो तेरी याद आई। . आंखे खुली सुबह में खुद को अकेली पाया, चिड़ियों ने आवाज लगाई तो तेरी याद आई। . फसल के मौसम में करती इंतजार सी मैं, घिर के काली बदली छाई तो तेरी याद आई। . सूखे खेत वाले किसान सी थी मैं, रिमझिम बारिश आई तो तेरी याद आई। . इलायची में वो खुशबू नहीं अद्रक में वो स्वाद नहीं, एक लाचार सी जब चाय पी तो तेरी याद आई। . तरस रहे थे मेरे कान बस सुनने को एक आवाज, वो प्यारी सी आवाज नहीं आई तो तेरी याद आई। . सूरज की लाली से पहले जगने वाली आंखों को, जब तेज धूप ने जगाई तो तेरी याद आई। . लेखक परिचय :-  नाम:- निधि मिश्रा पेशा : गृहणी निवासी : पाण्डेय खरेया गोपालगंज (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने...
हमसफर
कविता

हमसफर

********** निधि मिश्रा पाण्डेय खरेया,गोपालगंज . एक झलक देखते ही होश गवां बैठे है, हलचल सी हुई है सीने में जैसे दिल लगा बैठे है। . नजरे मिलते ही सुर्ख होठों पे मुस्कान आना, लगता है बिजली गिराने के इरादे लिए बैठे है। . पाबंदी है मेरे कदमों पे राहे-अंजान निकलने को, क्योंकि उनकी सायरी के मुझे चाँद समझ बैठे है। . खफा होके खुदा भी सोचे बस सवाल यही, की ये हुस्न या कोई बला बना बैठे है। . "निधि" में होता है विकास अक्सर जाने है जहां, अपनी हर सफर का उसे हमसफर बना बैठे है। . एक झलक देखते ही होश गवां बैठे है, हलचल सी हुई है सीने में जैसे दिल लगा बैठे है। . लेखक परिचय :-  नाम:- निधि मिश्रा पेशा : गृहणी निवासी : पाण्डेय खरेया, गोपालगंज (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हि...