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Tag: नितिन राघव

जनक दरबार
कविता

जनक दरबार

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** दरबार सजा मिथला नरेश का धनुष रखा महादेव का बैठे थे अनेक भूप जो थे बडे़ कुरुप उन्हीं में था कमल सा रुप राम लखन का सुंदर स्वरुप सीता को भाया राम रुप सामने उनके थे सब कुरुप दरबार में शंखनाद हुआ शक्ति दिखाने का वक्त हुआ राजाओं ने आजमायी ताकत आ गई उनकी आफत पूरी ताकत लगा कुछ नहीं मिला धनुष उठाना तो दूर नही हिला सारे राजा हो गए बेकार जनक के मन में था हाहाकार सोचा मेरा गलत था विचार तभी उठे राम सुकुमार पहले किया राम धनुष प्रणाम फिर किया किसी से नहीं हुआ काम एक हाथ से धनुष उठा दिया चढ़ा चाप मध्य से तोड़ दिया जनक सुता संग नाता जोड़ दिया अचानक आ गयीं हों आंधी महादेव की भंग हो गई समाधि तीनों लोक एक साथ हिल गए मानों देवासुर आपस में भिड गए बिष्णु सहित शेषनाग भी डोल गए ब्रहमा भी आसन छोड़ गएगए परशुराम को आभास हुआ महाद...
दस योगासन
कविता

दस योगासन

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** सूर्य की पहली किरण से पहले उठ जाइये सिधे प्रकृति के बीच किसी हरे मैदान में जाइये थोड़ा टहलकर सूर्य नमस्कार करिये लगभग सभी कष्टों को स्वयं हरिये हरि घास पर पदमासन में बैठे जाइये ध्यान लगा समस्त चक्रों को जगाइये मन को एकाग्र व शांतिमय बनाइये प्राणायाम कर नसों को जगाइये पैरों को फैला भुजंगासन लगाइये रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाइये सुन्दर चेहरा युवा रूप कब्ज व अपच से छुटकारा पाइये पैरों को ऊपर उठा सर्वांगासन लगाइये दमा और हॄदय रोग भगाइये कोशिकाओं का पोषण कर स्वर्गीय सुख कि अनूभुति पाइये फिर शीर्ष आसन लगाइये सर्वांगासन आसन सा ही लाभ पाइये सिधे खड़े होकर हाथों को ऊपर उठाइये तुरन्त अपनी मुद्रा ताडासन में लाइये मोटापे के शिकार चरबी घटाइये बच्चों से करा उनकी लम्बाई बढाइये हाथो को पीछे जमीन पर टिकाइ...
दावत
कहानी

दावत

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** हमारे गाँव में एक बूढ़े बाबा थे जिनका नाम बनी सिंह था। जब मैंने उन्हें पहली बार देखा तब में सिर्फ दस साल का था। लोग उनकें बारे में बहुत भला बुरा कहते थे और वास्तव में वे थे भी बहुत बूरे। उनके बारे में एक बात तो प्रचलित थीं कि जब उनका परिवार साजे में रहता था तो वही अपने सभी भाईयों में मुखिया थे और उनके भाई उन पर आंख बंद कर के विश्वास करते थे। एक दिन सभी भाईयों ने मिलकर छ: बिघा जमीन खरीदी और बेनामा कराने सभी भाईयों ने बनीं सिंह जो मुखिया थे उन्हें तहसील भेज दिया और कोई भी भाई उनके साथ नहीं गया।बनी सिंह ने बिना किसी को बताए तीन बिघा जमीन अपने नाम करा ली और घर आकर कह दिया कि मैं पिता जी के नाम बेनामा करा आया। सभी ने कहा चलो अच्छा है, आखिर छ: बिघा जमीन खरीद ली चलो बच्चों के काम आएगी। दिन धीरे-धीरे बितते चले गए, ये तीन भाई थे, एक दिन बीच...