Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: नवीन माथुर पंचोली

कहीं मुश्किल… कहीं आसां
ग़ज़ल

कहीं मुश्किल… कहीं आसां

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** कहीं मुश्किल, कहीं आसां मिला है। यही इस जिंदगी का सिलसिला है। रखी हमनें हमेशा ही तसल्ली, भले सबसे हमें हक कम मिला है। मनाही में रज़ा हम ढूंढ लेंगे, यहाँ हमको किसी से क्या गिला है। बचा है बाग में वो ही अकेला, कहीं इक फूल जो छुपकर खिला है। हमारे सामने होकर जो गुज़रा, कहीं रुकता नहीं वो काफ़िला है। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मं...
वो जुबाँ पर सवार होती तो
ग़ज़ल

वो जुबाँ पर सवार होती तो

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** वो जुबाँ पर सवार होती तो। बात कुछ धार-दार होती तो। जान लेती मलाल भीतर के, जब नज़र भी कटार होती तो। बात अपना कहा बदल लेती, एक की जब हज़ार होती तो। उनके चहरे की वो हँसी नकली, अब हमें नागवार होती तो। आज जिसकी ख़ुशी रखी हमनें, जीत वो बार -बार होती तो। इन बहारों से दोस्ती रखती, तितली गर होशियार होती तो। पास रहती वो दूर होकर भी, मुझ सी वो बेकरार होती तो। फिर अंधेरो का डर नहीं होता, रोशनी आर -पार होती तो। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : ...
साथ उसके हबीब है कोई
ग़ज़ल

साथ उसके हबीब है कोई

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** साथ उसके हबीब है कोई। शख़्स वो खुशनसीब है कोई। पास जिसकी हर दुआ उस पर, यार उसका ग़रीब है कोई। नींद के हाल मुस्कुराता है, ख़ाब उसके करीब है कोई। देखकर रह गया वहीं थमकर, वो नज़ारा अजीब है कोई। जान देने को अपनी हाज़िर है, वो परिंदा अदीब है कोई। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते ह...
साथ अपने …
ग़ज़ल

साथ अपने …

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** साथ अपने क़िताब रखते हो। फ़लसफ़ा लाज़वाब रखते हो। रोशनी की तुम्हें कमी कैसी, पास जब माहताब रखते हो । है यहाँ और है वहाँ कितना, सब जुबाँ पर हिसाब रखते हो। हो जहाँ तुम समाँ महक जाए, साँस अपनी गुलाब रखते हो। हम इसी बात के रहे क़ाइल, दोस्ती बेहिसाब रखते हो। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित...
थोड़ा ख़ुद पर भी इठलाना बाकी है।
ग़ज़ल

थोड़ा ख़ुद पर भी इठलाना बाकी है।

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** रस्ते - रस्ते दीप जलाना बाकी है। अँधियारों का डर झुठलाना बाकी है। सुनकर जो भी सपनों जैसी लगती है, उन बातों से मन बहलाना बाकी है। नए दौर की चढ़ती -बढ़ती शिक्षा में, सच्चाई का गुर सिखलाना बाकी है। बूझ रहें हैं लोग यहाँ सबके के चेहरे, उनको अपना घर दिखलाना बाकी है। सबकी शान, बढ़ाई वाले मौकों पर थोड़ा ख़ुद पर भी इठलाना बाकी है। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि...
हमें भी वही राह दिखला रही है।
ग़ज़ल

हमें भी वही राह दिखला रही है।

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** हमें भी वही राह दिखला रही है। हवा जिस दिशा में चली जा रही है। जो आदत नहीं है निभाने की हममें, रिवायत वही बात समझा रही है। पता ही नहीं है किसी को हक़ीक़त, भुलाओं में दुनियाँ पली आ रही है। रखें मान किसका, रहें साथ किसके, सदाएँ, सदाओं को भरमा रही है। करे पार कैसे वो दरिया-समुन्दर, जो कश्ती हवाओं से टकरा रही है। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ह...
चुप-चुप सी शहनाई क्यों है?
ग़ज़ल

चुप-चुप सी शहनाई क्यों है?

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** चुप-चुप सी शहनाई क्यों है? महफ़िल में तन्हाई क्यों है? रात से पहले ही जिस्मों में, नींद चढ़ी अँगड़ाई क्यों है ? सोच हमारी एक सही पर, बात कहीं टकराई क्यों है? झूठों को आसानी सारी, मुश्किल में सच्चाई क्यों है? जो है अपने मन के मौजी, फ़िर उनकी रुसवाई क्यों है? अच्छे दिन वालों पर भारी, आख़िर ये महँगाई क्यों है? दावे दारी है असली की, नकली से भरपाई क्यों है? कुछ तो हो नम रहने वाली, सब आँखें पथराई क्यों है। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : ...
दरिया से गहराई पूछी
ग़ज़ल

दरिया से गहराई पूछी

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** दरिया से गहराई पूछी। कश्ती से उतराई पूछी। मन में दर्द जगाने वाले, गीतों से तन्हाई पूछी। बूंदे जब बरसी आहिस्ता, बादल से ऊँचाई पूछी। दूर जो चहरा पढ़ न पाई, आँखों से बीनाई पूछी। जाल बिछाती मकड़ी से फ़न, क़ुदरत से दानाई पूछी। हीर से सब उसकी रानाई, राँझे से शैदाई पूछी। अक़बर ने हर बूझे हल पर, बीरबल से चतुराई पूछी। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट...
बन्द आँखों में ख़्वाब जैसा है
ग़ज़ल

बन्द आँखों में ख़्वाब जैसा है

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** बन्द आँखों में ख़्वाब जैसा है। जो नज़ारा सराब जैसा है। भाव चेहरे के बूझने वालों, क़ायदा ये क़िताब जैसा है। नाम उसका बड़ा नहीं लेक़िन, काम उसका नवाब जैसा है। शर्म से हाथ मुँह पे रख लेना, ये तरीक़ा नक़ाब जैसा है । दूर होकर भी हमको भाता है, शख़्श वो माहताब जैसा है। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्र...
सबसे अपनापन तो होली
ग़ज़ल

सबसे अपनापन तो होली

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** सबसे अपनापन तो होली। तन से अच्छा मन तो होली। आज हमारे पास सभी वो, सम्बन्धों का धन तो होली। सबके चहरे छाएं खुशियाँ, जीने का हो फ़न तो होली। खेलें रंग, चले पिचकारी, भीगे सबके तन तो होली। नाम, बड़प्पन, भेद भुलाकर, मिल जाए जन-जन तो होली। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, र...
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् धार का “अनूप सारस्वत सम्मान” एवं काव्य समारोह संपन्न।
साहित्यिक

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् धार का “अनूप सारस्वत सम्मान” एवं काव्य समारोह संपन्न।

धार/नौगांव। अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला इकाई धार के तत्वावधान में कविवर स्व. बाबू लाल परमार 'अनूप' नौगाँव धार की समृति में दिनांक १५ मार्च २०२२ को आयोजित तृतीय "अनूप सारस्वत सम्मान एवं काव्य समारोह" प्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री नवीन माथुर "पंचोली" अमझेरा के मुख्य आतिथ्य, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक श्री पवन मकवाना इन्दौर की अध्यक्षता, रेनेसा यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष, दिव्योत्थान एजुकेशन एण्ड सोशल वेलफ़ेयर सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ. दीपमाला गुप्ता इन्दौर के विशिष्ट आतिथ्य में श्री गुजराती रामीमाली धर्मशाला नौगाँव के सभागार में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन, पूजन एवं माल्यार्पण से हुआ। सरस्वती वन्दना कवयित्री श्रीमती आभा "बेचैन" ने सस्वर प्रस्तुत की। तत्पश्चात अखिल भारतीय स...
उनकी तो कहने भर की
ग़ज़ल

उनकी तो कहने भर की

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** उनकी तो कहने भर की। है रखवाली ऊपर की। बाहर का सब दिखलावा, है सच्चाई भीतर की। अगला, अगले पर भारी, जीत यहाँ है अवसर की। आँखों से समझी हमनें, सब गहराई सागर की। ग़म में भी वो न पिघली, आँखें जो है पत्थर की। आपस के रगड़े - झगड़े, राम-कहानी घर-घर की। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करव...
वफ़ा को आजमाना चाहिए था।
ग़ज़ल

वफ़ा को आजमाना चाहिए था।

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** अग़र रिश्ता निभाना चाहिए था। वफ़ा को आजमाना चाहिए था। हमेशा जो तुम्हारे दरमियाँ था, उसे अपना बनाना चाहिए था। चहकते पंछियों से सुर मिलाने, हवा को गुनगुनाना चाहिए था। छुपाने हाल फ़िर अपने सभी से, तुम्हें कोई बहाना चाहिए था। नई बातों को लिख पाने से पहले, गई बातें मिटाना चाहिए था। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं...
हम हाल हमारे हैं।
ग़ज़ल

हम हाल हमारे हैं।

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** सब लोग समझते हैं हम हाल हमारे हैं। हालात मग़र सबके कुदरत के सहारे हैं। मिलते हैं अपनों में कुछ गैर यहाँ लेक़िन, गैरों में वहाँ उतने कुछ लोग हमारे हैं । कश्ती की हिदायत है मझधार से डर रखना, दरिया से गुजरने को काफ़ी ये किनारे हैं । लगते हैं सुहाने सब दिखते हैं जो दूरी से, आँखों के लिए कितने धोखें वो नज़ारे हैं । है राह अग़र मुश्किल चलकर तो ज़रा देखो, हर राह पे मंज़िल को पाने के इशारे हैं । परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रच...
डर हमारा ठहर नहीं जाता
ग़ज़ल

डर हमारा ठहर नहीं जाता

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** डर हमारा ठहर नहीं जाता। रास्ता जब गुज़र नहीं जाता। राह के बीच में रखा पत्थर, कतरा-कतरा बिखर नहीं जाता। भूख से कुछ निज़ात पा जाएं, जब निवाला उतर नहीं जाता। हम पे अपना असर जताने को, कोई चेहरा सँवर नहीं जाता। मंजिलों का पता लगा लें पर, राह कोई उधर नहीं जाता। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्र...
दिखलाऊँ हर बार तुम्हें
ग़ज़ल

दिखलाऊँ हर बार तुम्हें

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** दिखलाऊँ हर बार तुम्हें। सपनों का संसार तुम्हें। दिल की दौलत वाला हूँ, न्यौछावर सब प्यार तुम्हें। जीत भले ही हो मेरी, हासिल हो उपहार तुम्हें। मुश्किल दरिया, धारों का, आसाँ हो मझधार तुम्हें। खुशियाँ हक में हो उतनी, जितनी हो दरकार तुम्हें। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते ह...
आन ऊँची
ग़ज़ल

आन ऊँची

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** सदा उसकी रही है आन ऊँची। सुनाती है जो बुलबुल तान ऊँची। ज़माना मानता है फ़न उसी का, बना रख्खी है जिसने शान ऊँची। वो पंछी आसमाँ को छू लेगा, रखेगा जो वहाँ उड़ान ऊँची। खरीदी में लगी है भीड़ भारी, खुली है जिस तरफ़ दुकान ऊँची। लगे मुश्किल उसे आसानियों सी, जो रखता है सफ़र में जान ऊँची। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं ...
उसी के पास जाना चाहती है …
ग़ज़ल

उसी के पास जाना चाहती है …

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** उसी के पास जाना चाहती है। जिसे रस्ता दिखाना चाहती है। गुजरती है कभी खामोश रहकर, कभी ये गुनगुनाना चाहती है। मिले कोई कहीं अपने सफ़र में, उसे अपना बनाना चाहती है । बवण्डर सी कभी आकार लेकर, समुन्दर को उड़ाना चाहती है। बहा करती है धरती-आसमाँ पर, मग़र इक ठौर पाना चाहती है। बदलतें हैं उसी के रुख़ से मौसम, हवा सबको जताना चाहती है । परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
मन में जो पलता रहता है।
ग़ज़ल

मन में जो पलता रहता है।

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** मन में जो पलता रहता है। चेहरे पर चलता रहता है। मन को जो भी रास न आया, आँखों को खलता रहता है। मिट्टी से रिश्ता है उसका, अक़्सर जो फलता रहता है। चाँद, सितारे रात सजायें, सूरज जब ढलता रहता है। हो किस्मत का साथ नहीं तो, मौका हर टलता रहता है । हाल-वक़्त पर चूका फिर वो, हाथों को मलता रहता है । परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच प...
रिश्ते जितने पानी जैसे
ग़ज़ल

रिश्ते जितने पानी जैसे

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** रिश्ते जितने पानी जैसे। उतने ही हैरानी जैसे । जब तक चलते हैं अच्छे से, लगते सब गुड़-धानी जैसे । कुछ सबकी मर्ज़ी पर रहते, कुछ अपनी मनमानी जैसे। भोलापन कुछ में बच्चों सा, कुछ है सख़्त जवानी जैसे। हाव-भाव, रस, राग तरन्नुम, ग़ज़लें, गीत, कहानी जैसे । तन की मुश्किल से हैं कोई, कुछ मन की आसानी जैसे। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मं...
हवाओं से बचाया जाएगा
ग़ज़ल

हवाओं से बचाया जाएगा

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** हवाओं से बचाया जाएगा। जहाँ दीपक जलाया जाएगा। न होगा चाँद जब आसमाँ पर, सितारों को जगाया जाएगा। कभी इस बाग की सूरत बदलने, बहारों को मनाया जाएगा। जिसे है बात पर अपनी भरोसा, उसे ही आज़माया जाएगा। जहाँ दिख जाएगी मंजिल हमारी, सफ़र उस हद बढ़ाया जाएगा। वहाँ इस गीत की तारीफ़ होगी, जहाँ ये गुनगुनाया जाएगा। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
कैसे लम्हा-पल निकलेगा
ग़ज़ल

कैसे लम्हा-पल निकलेगा

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** सुनकर जिससे हल निकलेगा। फ़िकरा वो ही चल निकलेगा। जब भीतर की गाँठ खुलेगी, तब बाहर का सल निकलेगा। आज बिताया हमनें जैसा, वैसा अपना कल निकलेगा। टकसालें जो सूरत देगी, सिक्का वैसा ढल निकलेगा। खून-पसीना ,काम के ज़रिए, अक़्सर मीठा फ़ल निकलेगा। रस्सी आख़िर जल जाएगी, फिर भी उसमें बल निकलेगा। भूली-बिसरी यादों के संग, कैसे लम्हा-पल निकलेगा। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहान...
सच्ची बातें
ग़ज़ल

सच्ची बातें

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** सच्ची बातें जितनी कड़वी लगती है। माने उतने अंदर मीठे रखती है। आहट उसकी मिल जाती है आने की, आँखें अक़्सर जिसकी राहें तकती है। लाख जतन करते हैं मंजिल मिल जाएं, लेक़िन क़िस्मत बनते-बनते बनती है। नींद से पहले घेर लिया जब यादों ने, रात हमारी सोचे- जागे कटती है। जब रहता है पीछे सूरज या चन्दा, तब परछाई आगे- आगे चलती है। कह लेते हैं जो कहता है मन अपना, दुनियाँ चाहें सुनकर-पढ़कर हँसती है। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना...
यादें अपने साथ हमारी रखते हैं।
ग़ज़ल

यादें अपने साथ हमारी रखते हैं।

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** यादें अपने साथ हमारी रखते हैं। लोग जो सबसे दुनियादारी रखते हैं। रखते हैं वो पूछ-परख जज़्बातों की, खुशियों में जो ग़म से यारी रखतें हैं । हाथ हमेशा सिर पर रहता है उनका, जो अपनों की जिम्मेदारी रखतें हैं। दूर है सूरज-चाँद यहाँ सबसे कितने, फिरभी रोशन दुनियाँ सारी रखते हैं। खेल यहाँ जब हम-आपस में होता है, वो अपनों से बाज़ी हारी रखते हैं । परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानि...
उनकी रहती आँख तनी
ग़ज़ल

उनकी रहती आँख तनी

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** उनकी रहती आँख तनी। जिनकी हमसे है बिगड़ी। होती अक़्सर आपस में, बातों की रस्सा-कस्सी। सुनकर झूठी लगती है, बातें सब चिकनी-चुपड़ी। सम्बन्धों पर भारी है, जीवन की अफ़रा-तफ़री। चेहरा जतला देता है, अय्यारी सब भीतर की। आगे - पीछे चलती है, परछाई सबकी, अपनी। चाहे थोड़ी लिखता हूँ, लिखता हूँ सोची-समझी। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच...