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बेटियां
कविता

बेटियां

नम्रता गुप्ता नरसिंहपुर ******************** मै कहानियों की दुनिया की सैर कराने आयी हूं अपने ही एक किरदार को मै आज समझने आयी हूं बेटी बन में आज बेटी की परिभाषा बतलाने आयी हूं कहानी की कोई परी होती है बेटियां नाजुक छुईमुई सी होती है बेटियां जरूरत पड़े तो काली बन संहार करती है बेटियां नया सृजन कर दुनिया बनाती है बेटियां फिर क्यों दुनिया पर ही बोझ कहलाती है बेटियां फूल की कोमल कली सी होती है बेटियां पल-पल अपनी जड़ों को मजबूत करती है बेटियां पापा की राजदुलारी होती है बेटियां मां की परछाई कहलाती है बेटियां वन को उपवन बनाती है बेटियां बहू के रूप में दो कुलों को जोड़ देती है बेटियां मुश्किल वक़्त में सूर्य की किरण होती है बेटियां फिर अपने प्रियतम की अर्धांगिनी बन जाती है बेटियां अम्बर से धारा को रोशन कर देती है बेटियां जब मानव जन्म कर मां कहलाती है बेटियां रातों को अपनी बच्चो पर वारती ...