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लोकतंत्र का राजा “मतदाता”
कविता

लोकतंत्र का राजा “मतदाता”

धर्मेन्द्र शर्मा "धर्म" इन्दौर (म.प्र.) ******************** लोकतंत्र की अलख जगाने सब लोगो को यह बात बताने...! लोकतंत्र के हवन कुंड मे याचक नही, तुम दाता हो...! सरकार बनाने वाले सिर्फ तुम ही तो मत+दाता हो....! राजा को तुम रंक बना दो और रंक को तुम राजा.....! कमजोर ना समझो तुम अपने को....! तुम ही तो लोकतंत्र के सुंदर, सुघड़ भाग्य-विधाता ....! जनतंत्र मे जनता का राज, जिसकी चाहे बनाऐ सरकार...! मौका अब तुम चूक गए तो, फिर पांच साल पछताओगे...! कोसोगे तुम खुद अपने को मन ही मन पछताओगे...! लालच,लोभ मे तुम मत आना, झूठे वादो पर ना तुम भरमाना...! अपनी बुद्धि तुम काम मे लाना, निर्भय होकर तुम करना मतदान...! जागो,उठो, दौडो, भागो, बाकी काम सब इसके बाद...! सबसे पहले करो ये काम, करो मतदान, करो मतदान...! इसलिए सोचो समझो करो विचार फिर करो मतदान, करो मतदान....!! परिचय :- धर्मेन्द्र कला-नारा...