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Tag: दुर्गादत्त पाण्डेय

अभिनन्दन है, नववर्ष
कविता

अभिनन्दन है, नववर्ष

दुर्गादत्त पाण्डेय वाराणसी ******************** अभिनन्दन है, सादर अभिनन्दन स्वागत पुनः, पावस वर्ष तुम्हें उम्मीदों कि, सुबह लिए खुशियों की, अद्भुत शाम लिए कुछ बेहतरीन सा, याद लिए कुछ चुनिंदे, वो फरियाद लिए बागों में, बसंत, लाजवाब लिए पल-पल की, खुशियाँ बेहिसाब लिए कई बेहतरीन, कुछ ख्वाब लिए कुछ दिलों के लिए, जज्बात लिए कुछ खास, मिलन कि, किताब लिए कुछ, बिछड़ने का, जवाब लिए अद्भुत सुन्दर सी, सुबह लिए कई खास सुहानी, रात लिए खेतों की मेड़ो पर, फिर चमक लिए फसलों में सौंधी सी, शाम लिए अभिनन्दन है, सादर अभिनन्दन स्वागत है, पावस, वर्ष तुम्हे!! परिचय : दुर्गादत्त पाण्डेय सम्प्रति : परास्नातक (हिंदी साहित्य ) डीएवी पीजी कॉलेज, बनारस यूनिवर्सिटी वाराणसी निवासी : वाराणसी घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप ...
स्नेह के बंधन
कविता

स्नेह के बंधन

दुर्गादत्त पाण्डेय वाराणसी ******************** सावन की रिमझिम फुहारें हरियाली मौसम में, खिल उठे पुष्प सारे.. भाई-बहन के अटूट प्रेम पवित्रता का बंधन है भैया की कलाई पर बहना का रक्षाबन्धन है बड़े स्नेह से बहन ने भाई को मंगल-तिलक लगाए अटूट-प्रेम, व स्नेह की रखी भाई के हाथों में भाए बहना की ख्वाहिश है, ये ज़ब कभी रोऊँ मैं, तो भैया मेरे मुझे मनाएं नहीं मोल इस प्रीति का इस प्रीति को नमन व वंदन है भैया की कलाई पर बहना का रक्षाबन्धन है बहना इस राखी के संग बहोत से आस लगाए हुए है भाई की ख़ुशी की खातिर गमों को हमेशा छुपाए हुए है अगर भैया हो परदेश उनकी वापसी में पलकें बिछाए हुए है, इस पावन प्रेम के धागों का सादर, आभार व नमन है भैया की कलाई पर बहना का रक्षाबंधन है इस प्यार-स्नेह के बदले भैया का जवाब है बहना हर मुश्किल समय में तेरा भाई तेरे साथ है सागर सा उमड़ते अट...
बलिदान वीरों का
कविता

बलिदान वीरों का

दुर्गादत्त पाण्डेय वाराणसी ******************** बलिदान उन वीरों का याद हमें रखना होगा न्योछावर किए वो प्राण एहसास हमें रखना होगा मातृभूमि के चरणों में मस्तक अपना चढ़ा दिए देश-प्रेम की खातिर काँटों पर खुद को बिछा दिए माँ भारती के सपूतों का इतिहास हमें पढना होगा न्योछावर किए वो प्राण एहसास हमें रखना होगा भगत सिंह के जज़्बे को नमन व सलाम है आजाद के हौसले से आजाद हिंदुस्तान है गद्दारों से लड़ते-लड़ते मातृभूमि वो छोड़ गए बलिदान देकर वो इतिहास तक को मोड़ गए इनकी देशभक्ति की वंदना करना होगा न्योछावर किये वो प्राण एहसास हमें रखना होगा भारत की, ये आजादी उस मंजिल तक पहुंचना होगा जाति-पाति के भेदभाव को जड़ से हमें मिटाना होगा राष्ट्रपिता के अल्फाजों को अभिनंदन करना होगा न्योछावर किए वो, प्राण एहसास हमें रखना होगा !! परिचय : दुर्गादत्त पाण्डेय सम्प्रति : परास्नातक ...
लाचार नहीं है नारी
कविता

लाचार नहीं है नारी

दुर्गादत्त पाण्डेय वाराणसी ******************** कभी सुना है, आपने? उस देवी के बारे में जो हर -वक़्त, जिम्मेदारीयों तले खुद को, समर्पित किए है, टूटी झोपड़ी को, लिपना ताकि, झोपडी की दीवारें जल्दी फट न जाए. कम ही खाती है, वो कहीं खाना, मेरे बच्चों को घट न जाये, कम ही सोती है, वो आराम, उसके लिए अपराध है मजबूरियों की चक्की में खुद को पीसना यही उसकी, अनोखी याद है, कभी देखा है, आपने? खेतों में काम करते, उस माँ को हाथों में हंसिया लिए चिलचिलाती धुप में, जलते हुए अपनी किस्मत की, लकीरों को देखते हुए.. उन्हें देखकर, कभी हसते हुए कभी रोते हुए, कभी खुद ही सम्भलते हुए, क्या देखा है, आपने? उस माँ के नन्हें, उस बच्चे को जो खेतों के, मेड़ पर. माँ बसुंधरा के गोद में, ख़ुशी से उछल रहा हो बड़े -बड़े, महलों के गद्दे फीके सा लग रहें, उस मिट्टी के सामने, क्या समझा है, आपने?...
तस्वीरें… राजनीति की
कविता

तस्वीरें… राजनीति की

दुर्गादत्त पाण्डेय वाराणसी ******************** सियासत की, ये राहें उलझी हुई है, एक दूसरे से ठीक वैसे ही, जैसे रेलों की पटरियां, एक दूसरे से कश्मकश जैसी उलझी हो दावे किए गए, भर-भर के इतने बड़े-बड़े कि विशाल महासागर उस विशालता से शर्मा जाये पर, हकीकत की, ये बुनियाद उतनी ही कमजोर है जितनी एक गरीब, देख ले अपने छत का ख्वाब आज के वक़्त में.. नवीनीकरण का नशा इतना तेज चढ़ा उन्हें अपने घर, पुराने लगने लगे पुरानी, वो तस्वीरें इस कदर बेकार हो गए अब उनपर डिजिटल, तस्वीरें सजने लगे गुलामी की बेड़ियां जकड़ी थी, इस कदर जैसे लोहे को जंग, जकड़े रहता है पर, वो गुलामी की जंजीरें तोड़ दी गयी आज, हुआ भारत लेकिन, इस आजादी की आड में विषैली, वो नफ़रतें घोल दी गयी आत्मनिर्भरता बहोत चर्चा है, आजकल इसकी असहायों की, लाठी तोड़कर उन्हें, आत्मनिर्भर बनाया जा रहा.... उन लाचार...