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Tag: दीप्ता नीमा

हिंदुस्तान की संस्कृति महान
गीत

हिंदुस्तान की संस्कृति महान

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मेरे हिंदुस्तान की संस्कृति महान है। मेरा हिंदुस्तान सर्वगुणों की खान है। समस्त विश्व करता इसका गुणगान है। नृत्य कला धर्मनिरपेक्षता इसकी पहचान है २६जनवरी को लागू हुआ संविधान है हर धर्म को मिला यहां अधिकार समान है। जन गण मन यहां का राष्ट्रीय गान है। आर्यभट्ट कलाम जैसे वैज्ञानिक महान है नदियों को भी मिलता यहां मां का सम्मान है। घर में आया हर अतिथि भगवान है। पूजे जाते यहां वेद, गीता और कुरान हैं। वीर सपूत महाराणा प्रताप पृथ्वीराज चौहान है। लक्ष्मीबाई, दुर्गावती वीरांगनाएं हमारी शान है। हर घर में शिष्टाचार और आदर सम्मान है। हिंदुस्तान हमारी आन बान और शान हैं । नतमस्तक हो करते हम इसका बखान है। मेरे हिंदुस्तान की संस्कृति महान है। मेरा हिंदुस्तान सर्वगुणों की खान है।। परिचय :- दीप्ता मनोज नीमा निवा...
सुबह उठते ही
कविता

सुबह उठते ही

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुबह उठते ही चाय का छाया रहता खुमार है मौसम कोई भी हो चाय तो सदाबहार है सुबह उठते ही चाय की तलब होती है चाय के साथ ही नमस्कार अदब होती है सुबह उठते ही करते हम उसका दीदार है चाय पर तो शौक़ीनों का ही इकतरफा अधिकार है गजब का सुर्ख रंग और स्वाद लगता है हर एक चुस्की पर दिल को सुकून सा मिलता है सर्दियों में वह एक प्रेमिका सी लगती है हर बार उससे मिलने की तलब जाग उठती है उसकी छुअन से लबों पर एक सरसरी सी उठती है उफ्फ! इस चाय से तन मन में ताजगी भर उठती है। परिचय :- दीप्ता मनोज नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छा...
वैष्णवों का मनोरथ
भजन, स्तुति

वैष्णवों का मनोरथ

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** देखो! नववर्ष की आई है दिव्य बेला, गोकुल में सजेगा हम वैष्णवों का मेला, श्रीजी की प्यारी हमारी यमुना महारानी शांत, नीलमणि वर्ण हमारी प्यारी पटरानी, भजन कीर्तन से करें आपका गुणगान स्वीकार कर पूजा हमारी, राखो हमारो मान श्रीजी बाबा कृपा से रचा गोकुल में चुनरी मनोरथ काज यमुना महारानी पटरानीजी पूर्ण कीजो हमरी पावन आस।। सोलह सिंगार से हमें आपको है सजाना, सुंदर चुनर भी हमें आपको है ओढाना अपनी स्वीकृति दे महारानी आप हमारा कार्य सफल बनाना सौभाग्य रहे सदा साथ हमारे, ऐसा आशीष हमको है पाना।। छवि मनमोहक मधुर तान से सबका मन जो भरमाये अपनी सुध-बुध-भूल के गोपियां खिंची चली वो आयें चलो रे! श्री गिरिराजजी बाबा का दर्शन लाभ पाएं गोविंद कुंड में हम सभी सफल मनोरथ कराएं श्रीजी बाबा, महारानीजी पूर्ण कीजिए हम...
ए चांद! जरा जल्दी आना
कविता

ए चांद! जरा जल्दी आना

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ए चांद! जरा जल्दी आना साजन का दीदार जल्दी कराना हाथों में देख मेहंदी लगाई है तेरे नाम की मेहंदी रचाई है माथे पर बिंदिया लगाई है मैंने पूजा की थाल सजाई है ए चांद! जरा जल्दी आना साजन का दीदार जल्दी कराना हाथों में चूड़ी और कंगना है कानों में झुमका पहना है सजना ही मेरा गहना है सजना के लिए ही सजना है ए चांद! जरा जल्दी आना साजन का दीदार जल्दी कराना करवा चौथ में चांद का इंतजार रहता है चांद के साथ में सजना का दीदार होता है उसके हाथ से पानी पीकर व्रत मेरा टूटता है हमारा प्यारा रिश्ता और परवान चढ़ता है ए चांद! जरा जल्दी आना साजन का दीदार जल्दी कराना।। परिचय :- दीप्ता मनोज नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं म...
स्पर्धा
कविता

स्पर्धा

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है, सुकून छोड़ चिंता से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। जिंदगी की दौड़ में आगे निकल जाऊं, कमाने की होड़ में सबको पीछे छोड़ आऊं, स्वयं आगे हो कैसे उसे पीछे खींच लाउं।। कमाल है ना , हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है। ये सारी दुनिया बहुत सतरंगी है जनाब, सभी अपनों ने पहने हुए हैं बेहिसाब नकाब, आप नहीं कर सकते उनसे सवाल जवाब, कमाल है ना, हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है। आप शामिल हो गए अनभिज्ञ किसी स्पर्धा में, पता न चलेगा रहोगे अनजान इसी दुविधा में, प्रतिस्पर्धी बन जाओगे अनचाही प्रतिस्पर्धा में, कमाल है ना, हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है, सुकून छोड़ चिंता से प्रतिस्पर्धा कर रहा है।। परिचय :- दीप्ता मनोज नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा ...
हमें प्यार जताना आता है
कविता

हमें प्यार जताना आता है

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सूरज और संध्या के जैसा हमें प्यार निभाना आता है प्रेम और समर्पण के संग 'हमें प्यार जताना आता है।' भारतीय संस्कृति के परिवेश में रिश्ते-नातों के निवेश में प्रेम और समर्पण के संग 'हमें प्यार जताना आता है।' परिवार समाज के बंधन में रीति-रिवाजों के पालन में प्रेम और समर्पण के संग 'हमें प्यार जताना आता है।' पीड़ा को दबा हृदय में अधरों से मुस्कुराना आता है प्रेम और समर्पण के संग 'हमें प्यार जताना आता है।' मौन रहकर निःशब्द होकर भी हमें बात करना आता है प्रेम और समर्पण के संग 'हमें प्यार जताना आता है।' परिचय :- दीप्ता मनोज नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
मेरी परी
कविता

मेरी परी

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आज अभी-अभी तो दुनिया में आई थी मेरी दुनिया में खुशियां लाई थी छोटी सी मुस्कान उसके मुख पर आई थी मेरे दिल में उसने ममता जगाई थी। छोटी-छोटी उंगलियों ने मेरी उंगली को कसा था उसका यह प्यारा नन्ना सा चेहरा मेरे दिल में बसा था उसकी तोतली बोली मेरे होश उड़ा गई नन्हे कदमों में पायल की छम-छम से मेरा मन हॅंसा था कभी नाराज, तो कभी उसकी ढेर सारी बातें पूरी दिनचर्या की, कभी न खत्म होने वाली बातें दिल को प्यारी लगती है उसकी मुझे ये सारी बातें उसे देख कर ही बीत जाती है मेरी प्यारी रातें हर पल हर लम्हा उसे देखकर मैंने जिया है हद से ज्यादा मैंने उसे प्यार किया है जिंदगी की हर खुशी मिले आपको सूरज की तरह नाम मिले आपको प्रभु भी अपनी कृपा बनाए रखें और आप पर आशीर्वाद बनाए रखें सफलता कदम चूमे आपके बड़ों का आशीर्व...
हम सब भारतीय हैं
कविता

हम सब भारतीय हैं

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हमने जन्म लिया जिस धरती पर वो धरा परम पूजनीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। वंदना करते हम जिसकी वो धरा वंदनीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। सर्व धर्म समभाव है गौरव वो धरा गौरवमयी है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। विविधता में एकता जहां पर दिल से सब हिंदुस्तानी हैं उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। किसान और जवान हैं शक्ति इनकी शहादत विस्मरणीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। हिंदुस्तान का नाम विश्व में गरिमा इसकी उदाहरणीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। गर्व है जन्मे हिन्दुस्तान में रग-रग हिन्दुस्तानी है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। परिचय :- दीप्ता नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित कर...
मेरा साथी कौन
कविता

मेरा साथी कौन

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************  एक दिन मुझे भगवान् मिले मैंने उनसे पूछा कि भगवन् आप मुझे बताएं कि मेरा साथी कौन मैं राही मेरी मंजिल है कौन मैं पंछी मेरा घोसला है कौन मैं तूफान मेरा साहिल है कौन मैं हूँ नाव मेरा नाविक है कौन मैं इठलाती नदिया मेरा सागर है कौन मैं वनफूल मेरा वनमाली है कौन मैं मिट्टी मेरा कुम्हार है कौन मैं नश्वर शरीर मेरी आत्मा है कौन मैं लोभी मेरी तृप्ति है कौन मैं मोह का ताला मेरी कुंजी है कौन प्रभु मुस्कुराते हुए बोले हे मानव तेरा सच्चा साथी तेरा सारथी हूँ मैं तू राही तेरी मंजिल हूँ मैं तू पंछी तेरा घोसला हूँ मैं तू तूफान तेरा साहिल हूँ मैं तू चलती नाव तेरा नाविक हूँ मैं तू इठलाती नदिया तेरा सागर हूँ मैं तू वनफूल तेरा वनमाली हूँ मैं तू है मिट्टी तेरा कुम्हार हूँ मैं तू नश्वर शरीर तेरी अंतरात्मा हूँ मैं तू पर...
ॠतुराज बसंत
कविता

ॠतुराज बसंत

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मौसम ने यूँ ली अंगड़ाई संग में इसके प्रकृति मुस्कायी खेतों पर हरियाली छाई डाल डाल पर नई कोपल आई सारी ॠतुओं को छोड़कर पीछे बारी ॠतुराज बसंत की आई। नवकुसुमों से सुसज्जित होकर नवपल्लवों से शोभित होकर कोयल की मधुर तान में खोकर सुगन्धित मस्त बयार को लेकर सारी ॠतुओं को छोड़कर पीछे बारी ॠतुराज बसंत की आई। भीनी सी आम की बौर महके सरसों के फूल और चिड़ियाँ चहके मदमस्त प्रकृति के यौवन में वसुंधरा प्रेमरस में बहके सारी ॠतुओं को छोड़कर पीछे बारी ॠतुराज बसंत की आई। परिचय :- दीप्ता नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र ...
जिंदगी धोखा है और मौत सच्चाई
कविता

जिंदगी धोखा है और मौत सच्चाई

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ऐसा नहीं है कि मुझे कोई दर्द नहीं होता मुस्कुराती हूँ हरदम पर साथ हमदर्द नहीं होता जिंदगी के हर मोड़ पर लोगों ने कदम रोका है, काम निकल जाने पर छोड़ा और दिया धोखा है। हमने भी अब समझ ली है दुनिया की ये रस्म अपने अफसानों की ये बना ली नज्म वफ़ा के बदले हमको मिलती है बेवफाई। जिंदगी हसीन धोखा है और मौत है सच्चाई ।। परिचय :- दीप्ता नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिं...
२१वाँ साल
कविता

२१वाँ साल

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जाओ जाओ २१वाँ साल अब मत याद आना २१वाँ साल बहुत लोगों का जीवन लिया तुमने छीन कई को किया तुमने मातृ-पितृ विहीन कर दिया सभी को तुमने छिन्न-भिन्न हो गये बहुत लोग दीन-हीन ऐसी महामारी तुम थे लाये एक दूजे को कोई न भाये हर रिश्ता हो गया दूर-दूर सारे सपने हो गये चूर-चूर जाओ जाओ २१वाँ साल अब मत याद आना २१वाँ साल आओ आओ २२वाँ साल खुशियों से भरा हो ये साल नये जोश नई उमंग से सराबोर नये सपने नई आशा से भरपूर बहुत खास हो ये नया साल अठखेलियां करता रहे नया साल दुगुनी ऊर्जा से भरा हो नया साल फिर नई आशा नये सपने सजांएगे फिर वही नया ऊँचा मुकाम पाएंगे हवा में प्यार की खुशबू बिखरांएगे बेजान रिश्ते में जान लाएँगे रोते हुए लबों पे हम हंसी लाएंगे।। आओ आओ २२वाँ साल खुशियों से भरा हो ये साल।। परिचय :- दीप्ता...
शुक्ल पक्ष में
कविता

शुक्ल पक्ष में

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** श्राद्ध पक्ष क्वाँर मास के शुक्ल पक्ष में जब आता है पितरों को तर्पण देकर तब हर नर सुख पाता है।। मात-पिता जो देवतुल्य हैं सदा स्नेह बरसातें हैं जीवन की हर कठिन घड़ी में हम उनसे आशीष पाते हैं।। भागवत पुराण में यमराज पूज्य श्राद्धदेव कहलाते हैं प्रसन्न हुए गर श्राद्ध से तो पितर मुक्त हो जाते हैं।। मृत्यु एक अटल सत्य है यह श्राद्धपक्ष बतलाता है सेवा प्रेम समर्पण ही पुण्य है जीवन का सबक सिखलाता है।। परिचय :- दीप्ता नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच प...
काश ऐसा फिर हो जाए
कविता

काश ऐसा फिर हो जाए

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** खेल के मैदान में धरती माँ को चूम जाएं और हम बच्चे बन फिर बहुत धूम मचाएं उम्र के इस पड़ाव से कच्ची उम्र में लौट जाएं समय की चकरी फिर उल्टी घूम जाए काश ऐसा फिर हो जाए ।।१।। नीला आकाश देखकर मैं खो जाऊँ टिमटिम करते तारों की गिनती लगाऊं चाँद में सूत कातती अम्मा को निहारूं समय की चकरी को फिर उल्टा घूमाऊं काश ऐसा मैं कुछ कर जाऊँ ।।२।। वो बाग में तितलियों के पीछे दौड़ना वो चोरी से पड़ोसियों के फल तोड़ना वो मिटटी की गुल्लक में पैसे जोड़ना समय की चकरी का मेरा उस ओर मोड़ना काश ऐसा फिर हो जाए ।।३।। माँ के आँचल को पकड़कर के चलना गिरना संभलना फिर उठकर के चलना माँ की थपकियाँ संग माँ का वो पलना समय की चकरी का काश फिर यूँ ढलना काश ऐसा फिर हो जाए।।४।। काश मैं फिर वैसे पलकें झपकांऊ बचपन के जैसे झूमूं और गाऊं...
प्यार का बंधन
कविता

प्यार का बंधन

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** भाई-बहन का रिश्ता न्यारा लगता है हम सबको प्यारा भाई बहन सदा रहे पास रहती है हम सभी की ये आस इस प्यार के बंधन पर सभी को नाज़।। भाई बहन को बहुत तंग करता है पर प्यार भी बहुत उसी से करता है बहन से प्यारा कोई दोस्त हो नहीं सकता इतना प्यारा कोई बंधन हो नहीं सकता इस प्यार के बंधन पर सभी को नाज़।। बहन की दुआ में भाई शामिल होता है तभी तो ये पाक रिश्ता मुकम्मिल होता है अक्सर याद आता है वो जमाना रिश्ता बचपन का वो हमारा पुराना इस प्यार के बंधन पर सभी को नाज़।। वो हमारा लड़ना और झगड़ना वो रूठना और फिर मनाना एक साथ अचानक खिलखिलाना फिर मिलकर गाना नया कोई तराना इस प्यार के बंधन पर सभी को नाज़।। अपनी मस्ती के किस्से एक दूजे को सुनाना माँ-पापा की डांट से एक दूजे को बचाना सबसे छुपा कर एक दूजे को खाना खिलाना ...
मेरी जगह कहाँ है…?
कविता

मेरी जगह कहाँ है…?

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कौन हूँ मैं नादान समझ न पाऊं, कहाँ मेरी जगह है ढ़ूंढ़ न पाऊं, सदियों तलक चुपचाप रही, हर जुल्म को खामोश सहती रही, कलकल नदिया सी बहती रही, हर दर्द में भी मुस्कुराती रही।।१।। कोई दर्दे दिल की बात नहीं समझता, बिना कहे कोई जज़्बात नहीं समझता, हर ताने पर बीच में मायका आता है, मेरे मात-पिता को हर कोई सुनाता है और दिल मेरा जख्मी हो जाता है।।२।। क़ोई भी घर में कुछ गलत करने लगे, तो सब गलतियों पर नाम उसका लगे, कोई भी कभी किसी से पीछे न रहे, हर तरह के आरोप उसके ऊपर लगे, पति उनके साथ सोने पे सुहागा लगे।।३।। वो तो एक के पीछे घरबार छोड़ आती है, जन्म के नाते और पीहर छोड़ आती है, वो तो अपना सर्वस्व न्योछावर करती है, न जाने क्यों दुनिया उसे धिक्कारती है।।४।। हर बेटी के लिए मेरी यही है तमन्ना, अपने पैरों पर तुम खड़ी हो ...
उफ! ये सावन…
कविता

उफ! ये सावन…

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** वो बचपन की मस्ती, वो तोतली बोली, वो बारिश का पानी, और बच्चों की टोली, वो पहिया चलाना और नाव बनाना, माँ का बुलाना और हमारा न आना, वो अनछुए पल याद दिलाता है "उफ! ये सावन जब भी आता है"।। लड़कपन में लड़ना और फिर मचलना दोस्तों का मनाना हमें फिर मिलाना मैदान के कीचड़ में गिरना-गिराना और माँ से वो गंदे कपड़े छुपाना वो अनछुए पल याद दिलाता है "उफ! ये सावन जब भी आता है"।। यौवन की दुनिया में आकर निखरना किसी अजनबी से मिलकर बहकना दिल का धड़कना वो बेचैन होना कभी याद करके हँसना फिर रोना पापा का डाँटना और माँ का समझाना वो अनछुए पल याद दिलाता है "उफ! ये सावन जब भी आता है"।। अचानक से फिर समय का बदलना वो परिवार के साथ बाहर निकलना वो छतरी उड़ाना और भुट्टे खाना बच्चों को सावन के झूले झुलाना माता-पिता बनकर कर्तव्य निभ...
गजल है जिंदगी
कविता

गजल है जिंदगी

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** क्या खूब "गजल है जिंदगी" मचलते दिल की तड़प है जिंदगी। कहीं खुशियों का महल है जिंदगी, कहीं आँखों से बहता काजल है जिंदगी।। क्या खूब "गजल है जिंदगी" जिंदगी भी तो एक आईना है, कुछ खरोंच आ ही जाती है। कितना भी एहतियात बरतो, पर,कुछ कसर रह ही जाती है।। क्या खूब "गजल है जिंदगी" जिंदगी में आते हैं प्यार के रहनुमा, मिलते हैं तो जिंदगी होती है खुशनुमा। न मंदिर की घंटी,न मस्जिद की धूम, हर तरफ सुनाई देती है बस प्यार की गूँज।। क्या खूब "गजल है जिंदगी" मौत तो आसाँ है जीना मुश्किल है दोस्त, हिम्मत है तो तेरे लिए सब मुमकिन है दोस्त। ठोकर लगे तो भी तू रुकना मत ए दोस्त, एक नजर तो डाल सामने मंजिल है दोस्त।। क्या खूब "गजल है जिंदगी" परिचय :- दीप्ता नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाण...
धरती का स्वर्ग
कविता

धरती का स्वर्ग

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मत काटो तुम ये पहाड़, मत बनाओ धरती को बीहाड़। मत करो प्रकृति से खिलवाड़, मत करो नियति से बिगाड़।।१।। जब अपने पर ये आएगी, त्राहि-त्राहि मच जाएगी। कुछ सूझ समझ न आएगी, ऐसी विपदाएं आएंगी ।।२।। भूस्खलन और बाढ़ का कहर, भटकोगे तुम शहर-शहर। उठे रोम-रोम भय से सिहर, तुम जागोगे दिन-रात पहर।।३।। प्रकृति में बांटो तुम प्यार, और लगाओ पेड़ हजार। समझो इनको एक परिवार, आगे आएं हर नर और नार।।४।। पर्यावरण असंतुलित न हो पाए, हर लब यही गीत गाए। धरती का स्वर्ग यही है, पर्यावरण संतुलित यदि है।।५।। निर्मल नदिया कलकल बहता पानी, कहता है यही मीठी जुबानी। धरती का स्वर्ग यही है, पर्यावरण संतुलित यदि है।।६।। परिचय :- दीप्ता नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेर...