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Tag: दामोदर विरमाल

लगाई तुमसे प्रीत तो
गीत

लगाई तुमसे प्रीत तो

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** लगाई तुमसे प्रीत तो बदनाम हो गया। माना जो तुमको राधा तो मैं श्याम हो गया। हुई सुबह शुरू तो आफताब हो गया। जैसे ही दिखे तुम ये दिल गुलाब हो गया। २ करने लगा हूँ अबतो मैं बातें अजीब सी, लगता मेरा ये दिल तेरा गुलाम हो गया। लगाई तुमसे प्रीत तो... सुबह से शाम तेरा इंतज़ार हो गया। तुझको ही चाहूँ तेरा तलबगार हो गया। मेरा महक गया चमन आ जाने से तेरे, फूलों की तरह खिलके मैं गुलफाम हो गया। लगाई तुमसे प्रीत तो... आने लगा हूँ आजकल लोगो की नज़र में। मैं आधा हुआ जा रहा हूँ तेरी फिकर में। तूने तो कैद कर लिया मुझको तेरे दिल में, मेरे दिल मे यार तेरा भी मकाम हो गया। लगाई तुमसे प्रीत तो... चारो तरफ है चर्चा तेरे मेरे नाम का। था पहले अब नही रहा मैं कोई काम का। पहले जो मिला करते थे चुपके तो ठीक था, मगर ये किस्सा अबतो सरेआम हो गया। लगाई तुमस...
तुम्हे गर भूलना चाहूं
ग़ज़ल

तुम्हे गर भूलना चाहूं

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** तुम्हे गर भूलना चाहे तो अक्सर याद आते हो। हमे गर चोट लगती है तो क्यों आंसू बहाते हो। तुम्ही ने की है गर ये हंसी ज़िन्दगी मेरी बर्बाद, फिर क्यों मुझपे ये बदनुमा इल्ज़ाम लगाते हो। हम तो किया करते थे कोशिशें तुम्हे हंसाने की, तुम हो ज़ालिम जो मुझे हर एक पल रुलाते हो। तुमसे बिछड़े हुए कितने बरस बीत गए देखो, फिर क्यों तुम मुझे अपने ही पास... बुलाते हो। जब बचा ही नही कुछ तेरे और मेरे दरमियान, तो क्यों गैरो से अक्सर मेरी खैरियत मंगाते हो। बहुत देर की अपने आपको साबित करने की, अब फ़िज़ूल में क्यों इतना झूठा प्यार जताते हो। बुरे तुम नही थे बुरा तो दिल है तुम्हारा शायद, क्यों अपने अंदर तुम ये सब देख नही पाते हो। हम अंजान नही है तुम्हारी ज़िंदगी से समझे, पता है तुम अब भी औरों से दिल लगाते हो। . प...
सुकून की ज़िंदगी
कविता

सुकून की ज़िंदगी

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** सुकून की ज़िंदगी हर किसी को नसीब नही, चलो आज किसी गरीब को गले लगाया जाए। तरसते रहते है जो एक निवाले को जहाँ में, चलो आज किसी भूखे को खाना खिलाया जाए। बदलते हालात और बदलते हुए इस दौर में, चलो आज किसी गैर को अपना बनाया जाए। बहुत मुश्किलों से मिली है हमे जिंदगी यारो, चलो आज एक दूसरे को फिर हंसाया जाए। हर किसी की चाहत होती है कुछ करने की, चलो आज उनके सपनो को पंख लगाया जाए। जो खुश रहते है गैरो के आशियाने देखकर, चलो आज उनके रहने का घर बनाया जाए। रक्तदान, नैत्रजांच, भागवत कथा बुरी नही, हप्ते में एक शिविर अन्न-वस्त्र का लगाया जाए। जो करता है जीवहत्या वो होता है जानवर, चलो आज समाज को शाकाहारी बनाया जाए। प्रकृति भी नाराज़ है नियमो के उलंघन से, चलो आज अपने घर एक वृक्ष लगाया जाए। बदली दुनिया के दस्तूर भी बदल गए देखो, घर है तो बा...
इंदौर रहेगा नम्बर वन
कविता

इंदौर रहेगा नम्बर वन

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** खत्म नही होगा स्वच्छता का दौर था, है और रहेगा नम्बर वन इंदौर देश और दुनिया में छाया हुआ है। नाम हो जग में ऐसी मेरी दुआ है। अहिल्या की नगरी है एक पहचान। सुप्रसिध्द मंदिर यहां रंजीत हनुमान जहां देखो वहां तो हो रहा है शौर... था, है और रहेगा नम्बर वन इंदौर। स्वच्छ्ता सर्वेक्षण में चौका लगाया है। सबको पीछे छोड़ फिर अव्वल आया है। मनीष सिंह जी जब नगर निगम आयुक्त हुए। तभी से सारे इंदौर वासी गन्दगी से मुक्त हुए। फिर संभाली हाथ आशीष जी ने बागडोर... था, है और रहेगा नम्बर वन इंदौर आईबस में सफर करना लगता है सुहाना। खुद की कार छोड़ सबको इसमें ही जाना। इतना सुखद व सुरक्षित सफर है। अब हर यात्री की इसपर नज़र है। सिटिबस में लागू है योजना महापौर... था, है और रहेगा नम्बर वन इंदौर ई रिक्शा दे मुखिया ने किया रोजगार आरंभ। नारी विशेष के लिए अह...
अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है
कविता

अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है। अभी तो घूमना पूरा जहान बाकी है।। अभी तो शुरूआत हुई है ज़मीन से, अभी देखना पूरा असामान बाकी है।। इंसान गिरता है उठता है और फिर गिरता है, मिलता नही साथ तो वो मारा मारा फिरता है। गर साथ हो आपका तो देखना है दुनिया मुझे, कुछ ख्वाहिशें और कुछ अरमान बाकी है।। अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है। दुनिया की परख सिखाने वाला चाहिए, जिंदगीभर का साथ निभाने वाले चाहिए। जीत लूंगा वो जो दिल मे ठान रखा है मैंने, बहुत बारीकियों से करना पहचान बाकी है।। अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है। कुछ मिले है कुछ और भी आगे मिलेंगे रास्ते, हमने तो किया... कोई तो करेगा हमारे वास्ते। बनाने में लगा हूँ मैं लोगो का आशियाना, और खुदका यहां बनना मकान बाकी है।। अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है। . परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर...
ज़िन्दगी की हकीकत
व्यंग्य

ज़िन्दगी की हकीकत

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** असमंजस में कट रही है जिंदगी खुदपे करूं यकीन या दुनिया को गलत समझूं। बड़ी बेरहम है दुनिया समझ नही आता मैं खुदको बचाऊँ या गैरो का साथ दूं। हर दिन हो रहा है गुनाह हाथों से मेरे में खुदको आजकल बड़ा समझने लगा हूँ। क्या हक है मुझे किसी का दिल दुखाने का क्या मेरे अंदर इंसानियत नही है। अकेला था तो खुश था शामिल हुए कुछ और तो ज़िम्मेदारी का सफर शुरू हुआ। जितनी भी ली सुविधा उतनी हुई दुविधा क्या इरादे मेरे नेक नही थे या में काबिल नही था। बड़े यकीन के साथ निकलता हूँ घर से की आऊंगा लेकर सबका सामान। उम्मीदों और ख्वाइशों से भरा पड़ा है मेरा मकान नही देखना उनको मेरी थकान। आजमाने चला हूँ मै उनको आजकल जो पीठ पीछे मुझे कुछ मानते ही नही। और तारीफें कर रहे है वो मेरी जमाने भर में जो मुझे कभी जानते ही नही। क्या दुनिया है ये जिसको देखो वो अपन...
अपने तिरंगे पर
कविता

अपने तिरंगे पर

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** अपने तिरंगे पर मुझे इसलिए अभिमान है। मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।। हिंदी रक्षक हिन्दू हूँ, मैं हिंदुस्तान का रहवासी। जहां बहती पवित्र गंगा और तीर्थ मथुरा काशी। हर भाषा और सभ्यता का होता यहां सम्मान है... मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।। भारत देश की अखण्डता का परचम लहराए। देश का हर एक युवा अब विवेकानंद बन जाये। भाईचारा और भी दिखती यहां समान है... मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।। भारतीय संस्कृति और धर्म का भारत मे इतिहास है। रामराज्य अब शुरू हुआ तो खत्म हुआ बनवास है।। मन स्वच्छ, तन स्वच्छ अब स्वच्छ भारत अभियान है... मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।। . परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्व...
तेरी पायल की झनकार
कविता

तेरी पायल की झनकार

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** भूले से ना भूलूं तेरी पायल की झनकार। दबे पैर आ जाना तेरा चुपके से हर बार।। तेरी खनकती चूड़ियां भी मेरा होंश उड़ाती है। तेरे आने का एहसास पल पल मुझे दिलाती है। तेरी बिंदिया भी मुझको चुपके से करती प्यार... भूले से ना भूलूं तेरी पायल की झनकार। तेरे आने से पहले तेरी खुशबू की महक आती है। छा जाता है नशा मेरी आंखे भी बहक जाती है।। तेरी आँखों का काजल भी करता है इकरार... भूले से ना भूलूं तेरी पायल की झनकार। पागल मुझे बनाता है तेरे माथे का टीका। दुनिया का सारा श्रृंगार तेरे आगे है फीका। तेरे कान के झुमके ही बस करते है इनकार... भूले से ना भूलूं तेरी पायल की झनकार। हाय तेरा बाजूबंद और ये मांग का सिंदूर। ये दोनों तुझसे मुझको होने नही देते दूर। तेरे मंगलसूत्र से ही तो बसा मेरा संसार... भूले से ना भूलूं तेरी पायल की झनकार। पहन नाक ...
दामोदर विरमाल हिंदी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित
साहित्यिक

दामोदर विरमाल हिंदी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित

कलमकार श्री दामोदर विरमाल को हिन्दी रक्षक मंच द्वारा हिंदी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित किया गया वे अब से हिंदी रक्षक दामोदर विरमाल के नाम से जाने जाएंगे। इन्दौर। हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का स्थान दिलाने व हिन्दी साहित्य के रक्षण हेतु बनाये गए हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में ३२ कवियों व साहित्यकारों को हिन्दी रक्षक सम्मान २०२० से सम्मानित किया गया। हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक एंव hindirakshak.com के संपादक पवन मकवाना ने बताया कि कार्यक्रम में इन्दौर सहित भारत के अलग-अलग राज्यों व शहरों झारखंड, मनावर, उज्जैन, धार, रीवा, कानपुर, देपालपुर, भोपाल, देवास, दरभंगा बिहार, कोटा राजस्थान, चंपारण बिहार, बेगमगंज मेरठ, मोतिहारी बिहार से पधारे ३२ साहित्यकारों को हिन्दी रक्षक सम्मान २०२० से सम्मानित किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथी महामण्डलेश्वर दादु महाराज, देवपुत्र के संपादक श्...
मत भड़काओ दंगे यारो
कविता

मत भड़काओ दंगे यारो

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** मत भड़काओ दंगे यारो, इन सबसे कुछ मिलता नही। बस होता है दुश्मनी का फ़ैलारा, और अमन का कमल खिलता नही। गर मिलकर रहेंगे हम सब एक, तो निपटे सुकून से काम अनेक। रखना ही है तो दिल मे रखिये, शांति धैर्य और अपना विवेक।। मेरा देश सोने की चिड़िया, था, है और अब भी रहने दो। रखो भरोसा ईक दूजे पर, कोई कुछ भी कहे कहने दो।। आपस मे ना बैर पालना, रहना हमेशा सच के साथ। करे कोई गर पीछे से घात, फिर भी करना प्रेम से बात। बापू सा समझाने वाला, अब कोई मिलता नही। मत भड़काओ दंगे यारो, इन सबसे कुछ मिलता नही। बस होता है दुश्मनी का फ़ैलारा, और अमन का कमल खिलता नही। . परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके न...
लाख बचालो मुझसे खुदको
कविता

लाख बचालो मुझसे खुदको

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** लाख बचालो मुझसे खुदको, फिर भी तुम पर मेरी नज़र। संग गैरो के प्रीत लगाकर, मुझपे क्यों ढा रहे हो कहर।। छोड़के तुम क्यों चले गए हो, क्या बुरा लगा था मेरा शहर। अब ढूंढता रहता गली गली, अब देखती रस्ता मेरी नज़र।। कोई कहता पागल आवारा, कोई नदी दिखाता कोई नहर। कोई भेजे मंदिर कोई गुरद्वारा, कोई मुझे रोकता एक पहर।। तुम गैर नही थे मेरे लिए, तुमतो थे मेरी जान ए जिगर। जो हाथ दिया था प्रेम रस, वो निकला मीठा एक ज़हर।। गर था नही संग रहना मेरे , क्यों दिल मे चलाई मेरे लहर। देकर तो देखते मौका मुझे, कुछ मुझपर भी कर देते महर।। . परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। आपके द्वारा अभी त...
एक दिन ज़रूर होगा
कविता

एक दिन ज़रूर होगा

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा। मेरे अपनो को भी मुझ पर बेइंतहा गुरुर होगा। उड़ने की कोशिश में हूँ बिना पंखों के आसमान में, हौसलों ने दिया साथ तो छा जाऊंगा जहान में, मेरी नज़्म का एक दिन, तुम्हारे होठों पर सुरूर होगा... ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा। चलता ही रहता हूँ अपनी मंज़िल की तलाश में, आलोचक बहुत है मगर होता नही निराश में, देखना एक दिन आयेगा, जब दामोदर मशहूर होगा... ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा। कोई कहता है तू तो पागल हो गया है, ना जाने कोनसी दुनिया मे तू खो गया है, ये तो मेरा ख़्वाब है, कोई दौलत नही जो गुरुर होगा... ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा। सर्वरस धारा का एक दरिया है ये, दिल की बात कहने का ज़रिया है ये, मैं तो यूँ ही लिखता रहूंगा, अगर तुम्हे मंजूर होगा......
या खुदा
कविता

या खुदा

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा। मैं अपने ईमा पे कितना उतरा हूँ खरा। कितने लोगों को आई पसंद मेरी अदा। में कितनो को भाया अभीतक, और कौन मुझपे हुआ फिदा।। कितनो के लिए मैं अच्छा हूँ, और कितनो के लिए हुआ बुरा। या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा... फिक्र नही फरिश्तों में गिनती हो मेरी। सब खुश रहे बस यही विनती है मेरी।। फिर भी आज दर्द का एहसास क्यों हुआ, ये किसने मेरे पीठ पीछे घोंपा है छुरा। या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा... बंदगी की तेरी मैंने रात दिन यहां। में तेरी चौखटों पे फिरा यहां वहां।। में अपनों की खुशी तुझसे मांगता रहा, रखना तू मेरे अपनो को बस हरा भरा। या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा... इस जहां में कोई भी उदास न रहे। मजबूरी के नाम पर उपवास न रहे।। मिले ना कोई मांगता भीख भी यहां, सभी के सर पे छत हो सभी को आसरा। या खुदा तू मु...
चंद लम्हो का हूँ मेहमान
कविता

चंद लम्हो का हूँ मेहमान

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** चंद लम्हो का हूँ मेहमान चला जाऊंगा। में हूँ दुनिया से परेशान चला जाऊंगा। ढूंढता रहता हूँ अक्सर एक पल सुकून का। जवाब देने लगा अब कतरा कतरा खून का। भीड़ दुनिया की मुझे रास नही आती है। अब तो खुशियां भी मेरे पास नही आती है।। करके अपनों को मैं हैरान चला जाऊंगा... चंद लम्हो का हूँ मेहमान चला जाऊंगा। में हूँ दुनिया से परेशान चला जाऊंगा। करता रहता हूँ सफ़र रात दिन कमाने को। लोग पीछे पड़े ज़िन्दगी की जंग हराने को।। फिर भी रुकता नही मैं कभी थकता नही। चंद रुपयों के लिए मैं कभी बिकता नही।। करके तेरी गली सुनसान चला जाऊंगा... चंद लम्हो का हूँ मेहमान चला जाऊंगा। में हूँ दुनिया से परेशान चला जाऊंगा। दिल के हालात बयां करने को अल्फ़ाज़ नही। मेरी ये ज़िन्दगी किसी की मोहताज़ नही।। मैं तो हूँ खुद्दार बड़ी शान से रहना है मुझे। बेहरहम दुनिया से बस यह...
नववर्ष दिनचर्या
कविता

नववर्ष दिनचर्या

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** नववर्ष में करें स्थापित नित नए आयाम। सर्वप्रथम सूर्योदय को हम करते है प्रणाम। द्वितीय कार्य मे उठकर देखे अपने हाथों की रेखा। हो जायेगा सब संभव जो अबतक कभी ना देखा।। कर स्नान सुबह घर मे तुम करना पूजन ध्यान। नववर्ष में करें स्थापित नित नए आयाम। तृतीय कार्य में करो वंदना तुम अपने माँ बाप की। बात मानली उनकी तो पूरी दुनिया है आपकी। होते रहेंगे अनायास ही सकल आपके काम। नववर्ष में करें स्थापित नित नए आयाम। चतुर्थ कार्य में करना है फलों का स्वल्पाहार। शुद्ध कीजिये अपने मन के सारे बुरे विचार। स्वस्थ शरीर के लिए कीजिये योग और व्यायाम। नववर्ष में करें स्थापित नित नए आयाम। पंचम कार्य मे कर्मभूमि के लिए करे प्रस्थान। छोटों को स्नेह दें और बड़ो को सम्मान। दिए गए निर्धारित समय मे पूरा करिये काम। नववर्ष में करें स्थापित नित नए आयाम। ...
एक शहीद की पत्नी का दर्द
कविता

एक शहीद की पत्नी का दर्द

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** ये चूड़ी ये कंगन अब भाते है नही मुझको, जब से इस देश के लिए खोया है तुझको। ना चैन है ना सुकून है ना नींद आती है, अब बस तुम्हारी याद में सारी रात जाती है। वो सजने संवरने के ख़ाब सताते नही मुझको...। जब से इस देश के लिए खोया है तुझको। ये चूड़ी ये कंगन... बैवा हूँ, अबला हूँ, अकेली हूँ शहर में। आती रहती हूँ अक्सर लोगों की नज़र में। सोचती हूँ बच्चों को लेकर गांव चली जाऊं मैं। मगर वहां भी कोई नही फिर कहाँ जाऊं में। अब बच्चों के खिलौने दिलायेगा कौन? मैं रूठ जाऊंगी तो अब मनाएगा कौन? अब खुदको समझाने के तरीके आते नही मुझको...। जबसे इस देश के लिए खोया है तुझको। ये चूड़ी ये कंगन... वो मेरे जन्मदिन पर बाहर खाने पर जाना, वो दिवाली पर बेग भरकर पटाखे, मिठाई लाना। वो करवाचौथ पर तुम्हारा घर जल्दी आ जाना, खुदके बारे में न सोच बस हमे सबकुछ दिलाना।...
गम के आँसू पिये जा
कविता

गम के आँसू पिये जा

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** ज़िन्दगी बेकार है, गम के आँसू पिये जा ! ज़िन्दगी बेकार है, गम के आँसू पिये जा !! इतनी ज़ेहमत उठानी होगी ज़िन्दगी मे आकर, क्या मिला इन्सान को इतना पैसा कमाकर ! क्या हुआ खुदको शरीफ़ दिखाकर, क्या कर लिया दूसरो पर उंगलियां उठाकर !! अबतो मरने मारने को भी तैयार है बस तु पिये जा……………………!! कंजूसी मे एक ईट पर पर भी घर टिक जाता है, चंद पैसो के लिये आजकल इंसान बिक जाता है ! कोई खरीदना बेचना इन इन्सानो से सीखे, “राज” तो इन जैसो पर ग़ज़ल लिख जाता है !! मुफ़्त का खा पीकर सब लेते डकार है बस तु तो पिये जा……………………!! रूठी है ज़िन्दगी अब ज़ोर दो मनाने मे, पेहले लोग वक्त बिताते थे सबको हंसाने मे ! अबतो चाहे सारा जहाँ लुट जाये, कोई नही सुनने वाला… ग़रीब वहीं पीछे और अमीरो की वही रफ़्तार है- बस तु तो पिये जा………………….!! इंसानियत कहाँ चली गई कोई समझ ...
मां से बड़ी कोई जन्नत नही है…
कविता

मां से बड़ी कोई जन्नत नही है…

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** जब छोटा सा था तब की बात याद आती है। उस वक्त का मंजर सोच मेरी आँखें भर आती है। सुना है में बचपन में बहुत रोया करता था। सारी सारी रात में सोया नही करता था। सारी रात मां मुझे लोरी सुनाया करती थी। दिन में नींद के झोंके से रूबरू हुआ करती थी। दिनभर वो खेतो में काम किया करती थी। में अकेला हु घर मे इस बात से वो डरा करती थी। मुझे सीने से लगा रखा जब तक मैं चुप ना हुआ। पूछती रही बार बार मुझसे लल्ला तुझे क्या हुआ। मैं बहुत रोता बिलखता मगर चुप नहीं होता था। और फिर अगले दिन टोटके और नज़र उतारने का चलन होता था। बहुत याद आते है मुझको वो बीते हुए दिन। बहुत मुश्किल होता है एक पल भी मां के बिन। ये तो हुई बचपन की बात अब जवानी की और आता हूँ। मेरी माँ के त्याग और बलिदान का एक किस्सा सुनाता हूँ। जैसे जैसे मैं बढ़ता गया मेरी मांग मुझसे बड़ी थी। मुझे ...
प्रियंका रेड्डी को समर्पित
कविता

प्रियंका रेड्डी को समर्पित

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** मोमबत्तियां लेकर चलने से कुछ नही होता है। क्या बताऊँ की आज हर पिता घर बैठा रोता है।। ये वाकया पहला नही जो चुप होकर रह जाऊं मैं। मरहम की उम्मीद नही जो सबकुछ सह जाऊं मैं।। क्यों प्रशासन है मौन अब सुनेगा इनकी कौन? अब हर गली का आवारा बनता जा रहा डॉन।। क्या अब भी हम चुप रहने में विश्वास रखते है। गर चाहे तो हम मिलकर क्या नही कर सकते है।। पहले हुआ करता था रहना जंगल मे दरिंदों का। मगर शहर अब भरा पड़ा कई ऐसे बाशिंदों का।। जाने कितनी मासूमो को वहशियों ने लूटा है। बेटी बचाओ का नारा तो लगता अब झूठा है।। मां बहन की इज्जत करना बेटों को सिखाओ। पढ़ाई के साथ घर मे एक पाठ ये भी पढ़ाओ।। नारी होती है समाज व घर को स्वर्ग बनाने वाली। हर रूप में तो रहती है ये इसकी बात निराली।। वो अहिल्या सी निर्दोष मां सीता सी पावन है। वो रंगोली का रंग तो झू...
फिर छिड़ी बात …
कविता

फिर छिड़ी बात …

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** फिर छिड़ी बात उन तरानों की, हम दिलाएंगे तुम्हे याद उन ज़मानों की। बरसात से ढहते उन कच्चे मकानों की, खेत मे काम करते मेहनती किसानों की। गोली बिस्कुल वाली गांव में दुकानों की, बेवजह किसानों पर लगते लगानो की। हम दिलाएंगे तुम्हे याद उन ज़मानों की। देसी घी पीते उन देसी पहलवानो की, चाय की हरी पत्ती के उन बागानों की। लैला और मजनू जैसे कई दीवानों की, रफी और किशोर कुमार के तरानों की। हम दिलाएंगे तुम्हे याद उन ज़मानों की। इनाम में मिले बक्शीस और नज़रानो की, राजा रजवाड़ो के उन महंगे राज घरानो की। घने जंगल कटीले पहाड़ और ख़ज़ानों की, डांकुओं की लूट और बेरहम शैतानों की। हम दिलाएंगे तुम्हे याद उन ज़मानों की। ज़्यादा दिन रुकने वाले घर आये मेहमानों की, मां के हाथ से चूल्हे पर बने पकवानों की। मिट्टी के बर्तन और सूत से कपड़े बनाने की, शुध्द वातावरण औ...
होके तुमसे जुदा
कविता

होके तुमसे जुदा

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** होके तुमसे जुदा हम यार कहां जाएंगे। होके मजबूर तेरे पास चले आएंगे। होके मजबूर... तेरी गुस्ताखियों को हमने किया अनदेखा। तेरे संग ही जुड़ी है मेरे हाथों की रेखा। तुम जो रूठोगे तो दुनिया से चले जाएंगे... होके तुमसे जुदा हम यार कहां जाएंगे। होके मजबूर तेरे पास चले आएंगे। होके मजबूर... तेरी वजह से मेरी ज़िंदगी खुशहाल हुई। मेरी किस्मत तेरे आने से मालामाल हुई। जाने अनजाने में तुझे न अब सताएंगे... होके तुमसे जुदा हम यार कहां जाएंगे। होके मजबूर तेरे पास चले आएंगे। होके मजबूर... मुझपे रखना यकीन ये तुझे है कसम। मेरी हर बात में तेरा नाम रखता हूँ सनम। सातों जनमो का तुझसे रिश्ता हम निभाएंगे... होके तुमसे जुदा हम यार कहां जाएंगे। होके मजबूर तेरे पास चले आएंगे। होके मजबूर... तेरे एहसानों को मैं भूल नही पाऊंगा। तेरी ख़ाहिश के लिए खुद ही बिक...
घर की शान बेटियां
कविता

घर की शान बेटियां

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** निकालिये अपने मन से हर एक बुराई को, आजसे ही बनिये एक जासूस बिना तन्खा के, नौकरी करिए साहब इन बेटीयो को बचाने की। नौबत ना आये इनको भूखा सुलाने की, नौबत ना आये इनको ज़िंदा जलाने की।। ये बेटियां बुढ़ापे तक साथ देती है। मांगती केवल लाड़ प्यार आपका, इसके सिवा भला और क्या लेती है? ये बेटियां आपके घर से निकलकर, दुसरो के घर को खुशहाल बनाती है। खुद तकलीफ सहकर सबको हंसाती है, मगर अपना दर्द किसी को नही बताती है।। कभी कूड़े के ढेर में मिलती है, तो कभी दहेज की पीड़ा सहती है। मां, बहन, बेटियां, बहु ही है जो देश मे, आपके नाम को बढ़ाने में सबसे आगे रहती है।। घर की शौभा, घर का रूतबा घर की शान होती है बेटियां। मजबूर पिता गरीब परिवार का, एक अभिमान होती है बेटियां। बहु-रूपी बेटियों से चलता है वंश आपका, गांव नही, कस्बा नही, नगर नही, शहर नही। अरे ...
आजकल की युवा पीढ़ी
कविता

आजकल की युवा पीढ़ी

********** दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) आजकल की युवा पीढ़ी को क्या हो गया? जागती रहती है तबतक, जब ज़माना सो गया। जहां जाने में भी कतराते थे वो संस्कारी बच्चे, वही जगह आजकल इनका ठिकाना हो गया। आजकल की युवा पीढ़ी को क्या हो गया? जागती रहती है तबतक, जब ज़माना सो गया। पिता की मार और मां की फटकार, नाना-नानी का दुलार, और दादा-दादी का प्यार। अक्सर वही से मिलता था जिसे कहते है संस्कार। मगर इनको अब अकेला ही छोड़ दो... मगर इनको अब अकेला ही छोड़ दो... इनको किसी का साथ नही स्वीकार। व्हाट्सएप, फेसबुक से गहरा दोस्ताना हो गया। आजकल की युवा पीढ़ी को क्या हो गया? जागती रहती है तबतक, जब ज़माना सो गया। आजकल के मां-बाप भी कम नही है। जो हादसे हो रहे है वो बिल्कुल सही है। ब्लुव्हेल और पब्जी की लगी है बीमारी। टिकटोक पर दिखा रहे खूब कलाकारी। परिवार भी इन आदतों का दीवाना हो गया। आजकल की युवा पीढ़ी को क्या...
दिल्लगी तुम मेरी भुला दोगे
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दिल्लगी तुम मेरी भुला दोगे

********** दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) दिल्लगी तुम मेरी भुला दोगे, यकीं नही था कि तुम मुझे दगा दोगे। खुदसे ज्यादा था भरोसा तुमपर, लगा तुम प्यार से गले लगा लोगे।। दिल्लगी तुम मेरी भुला दोगे यहां अपनो का क्या.... ना जगह अपनी, ना दुनिया अपनी, ना अपना गम है ना खुशियां अपनी। यही करता रहा में सोचकर गलती, मेरी वफ़ा का तुम सिला दोगे। दिल्लगी तुम मेरी भुला दोगे, यकीं नही था कि तुम मुझे दगा दोगे। मेरी यादों का क्या.... तुम किसी राह से गुज़रती थी, बनके खुशबू बड़ी महकती थी। मेरी नज़रो को क्या तुम भूल गई, क्या फिर कोई आरज़ू जगा दोगे। दिल्लगी तुम मेरी भुला दोगे, यकीं नही था कि तुम मुझे दगा दोगे। मेरी बातों का क्या.... मेरे उन दोस्तो को याद सब है, तुमको हमने यूं भुलाया कब है। मुझे अब दोस्तो ने भी छोड़ दिया, क्या अब इस बात का भी बयां लोगे। दिल्लगी तुम मेरी भुला दोगे, यकीं नही था कि तुम मुझे...
यही है मेरी राय…
कविता

यही है मेरी राय…

********** दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) दुनिया के अनुरूप रहिये, यही है मेरी राय। ज़रूरी नही की पसंद आपकी, दुनिया को पसंद आये। जब कोई ना मांगे आपसे, तो राय कभी मत दे देना। बिना वजह तुम लोगो से कोई दुश्मनी मत ले लेना। इधर उधर तब देखना जब कोई तुम्हे बताये- दुनिया के अनुरूप रहिये, यही है मेरी राय। ज़रूरी नही की पसंद आपकी, दुनिया को पसंद आये। वैसे तो इस दुनिया मे कोई किसी को नही पूछता। सबको बुराइयों के अलावा कोई काम नही सूझता। सही कहने वाले को ही, सारे गलत बताये- दुनिया के अनुरूप रहिये, यही है मेरी राय। ज़रूरी नही की पसंद आपकी, दुनिया को पसंद आये। में तो बस जानू इतना कि रखो खुदी का ध्यान। जब तक कोई ना मांगे मत देना तुम कोई ज्ञान। बेवजह गाली खाने की नौबत ना आ जाये- दुनिया के अनुरूप रहिये, यही है मेरी राय। ज़रूरी नही की पसंद आपकी, दुनिया को पसंद आये। पड़ोसी का हो झगड़ा और दोस्तो का ह...