तिरंगा है लहराया
संध्या शुक्ला
अमेठी (उत्तर प्रदेश)
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हर जगह पर तिरंगा है लहराया
देखो आज़ादी का दिन है आया
विश्वासघात कर अंग्रेजो ने
भारत को गुलाम बनाया था
सोने की चिड़िया को कातिलों ने
अपना शिकार बनाया था
छीन कर सत्ता राजाओं की
अपना राज सिंहासन लगाया था
भारत की भोली जनता को
अंग्रेजो ने आपस मे लड़वाया था
बहाकर नदियां खून की
मातम में उत्सव मनाया था
भाई भाई को बांटकर अंग्रेजो ने
भारत माँ को तड़पाया था
हर जगह पर तिरंगा है लहराया
देखो आजादी का दिन है आया
याद करो सब उन दिनों को
जब भारत देश का हाल बुरा था
वीर सपूतों की आंखों में
आज़ादी का स्वप्न अधूरा था
बरसते थे बदन पर कोड़े
आंखों से लहू टपकता था
रोते बिलखते बच्चो का भूख
प्यास से दम निकलता था
टूट चुकी थी सब उम्मीदे
जब घना अंधेरा छाया था
भारत की धरती पर कोई
काला बादल मंडराया था
खूंखारपन देख अंग्रेजो...