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Tag: डॉ. वासिफ़ काज़ी

ईद आ गई है
कविता

ईद आ गई है

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** लो फिर से ईद आ गई है । खुशियाँ दिल में छा गई है ।। रमज़ान की इबादत का तोहफ़ा मिला है । किसी से नहीं शिकवा न कोई गिला है ।। मोहब्बतों के शीर से दस्तरख्वान सजाना है । भूलाकर रंजिशें सारी गले सबको लगाना है ।। महक सेवईयों की भा गई है । लो फिर से ईद आ गई है ।। हमारे जिस्म-हमारी रूह को पाक कर दिया है । रोज़े की फज़ीलत ने हर बुराई को ख़ाक कर दिया है ।। ईद के चांद ने रोशन किया है खुशनसीबी का रास्ता । नहीं लौटेंगे अब गुनाहों की और सबको ख़ुदा का वास्ता ।। राह ईमान की दिखा गई है । लो फिर से ईद आ गई है ।। आज ईदी मुहब्बत की बांटना है हमको । गमों से खुशियां अब छांटना है हमको ।। नब्ज़ पर अपनी इख्तियार कर लिया था । दामन को अपनी नेकियों से भर लिया था ।। ज़र्रे ज़र्रे में रौनक छा गई है । लो फिर से ईद आ गई है ।।...
पिंजरा इश्क़ का
कविता

पिंजरा इश्क़ का

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** हर पल.... उन्हें बस याद करते हैं। हम वक़्त..... कहाँ बर्बाद करते हैं।। बस...... उनके तसव्वुर से अपना। आशियाना........ आबाद करते हैं।। चुपचाप..... सह लेते हैं सारे सितम। ख़िलाफ़ उनके कहां जेहाद करते हैं।। ख़ुद रहते हैं....... इश्क़ के पिंजरे में। बस परिंदों को हम आज़ाद करते हैं।। "काज़ी"......... चाहत की जादूगरी से। रंज के लम्हों को भी..... शाद करते हैं।। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
हमारा हौसला इश्क़ था
ग़ज़ल

हमारा हौसला इश्क़ था

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** याद ने उनकी जहां-जहां क़दम बढ़ाये हैं । अश्कों ने मेरे वहां वहां ग़लीचे बिछाये हैं ।। क्या करें.. हम अपनी आँखों का हमदम । ख़्वाब इसने हमें बेहद हसीन दिखाये हैं ।। डर लगने लगा है अब तो वस्ल से हमको । हम बदनसीब....... तो हिज्र के सताये हैं ।। हमारा हौसला इश्क़ था... सफ़र में यारों । रास्ते के पत्थर....... ख़ुद हमने हटाये हैं ।। लेते हैं इम्तिहान मेरी दोस्ती का "काज़ी" । दुश्मनों से भी रिश्ते शिद्दत से निभाये हैं ।। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते ह...
हक़ीक़तनामा
कविता

हक़ीक़तनामा

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** कैसा दुनियादारी का बाज़ार सजा कर रक्खा है। मौत का, गरीब की मज़ाक बना कर रक्खा है।। जो रहा करते थे....... ख़्वाबों की अंजुमन में। उन्हें हक़ीक़त का आईना दिखा कर रक्खा है।। हम मरीज़ ए इश्क़ हैं, .....ये अब पता चला है। हमने हक़ीमों को भी घर पर बुला कर रक्खा है।। उनको मिले ख़ुशियाँ, ......चैन ओ सुकूं जहाँ में। इसलिये ग़मों को अपने अब तक सुला कर रक्खा है।। "काज़ी" उनकी मुस्कान बहुत महंगी है इसलिये। उन्होंने तबस्सुम को भी लबों पर दबा कर रक्खा है।। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र क...
ज़िंदा ज़ख़्म
कविता

ज़िंदा ज़ख़्म

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** भूलकर भी कैसे भूलाऊँ तुमको। ज़ख़्म ये... कैसे दिखाऊँ तुमको।। रूठकर बैठे हो.. मेरी जाँ मुझसे। तुम बताओ कैसे मनाऊँ तुमको।। मेरी रूह में....... घर कर गये हो । वजूद से अपने कैसे हटाऊँ तुमको।। बहुत ऐहतियात से तोड़ा दिल को मेरे। अब कौन से खिलौने से रिझाऊँ तुमको।। करके बेवफ़ाई इश्क़ में सताया "काज़ी"। अब कौन से रिश्ते से....... सताऊँ तुमको।। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित कर...
गुरु की महिमा
कविता

गुरु की महिमा

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** ज्ञान गुरु के बिना नहीं, गुरु की महिमा न्यारी है। रोशन है उनसे जीवन ये, बिन उनके दुनिया अंधियारी है।। गढ़ते फ़ौलाद, माटी से ये अज्ञान तमस हटाते हैं। मन की कंदराओं में गुरु, ज्ञान दीप जलाते हैं।। दिन विशेष का पर्व नहीं, जीवन भर का नाता है। गुरु की महिमा गाने में तो, जीवन कम पड़ जाता है।। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हि...
धुंध इश्क़ की
कविता

धुंध इश्क़ की

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** गहरे कोहरे सा है इश्क़ मेरा । तुमसे आगे कुछ दिखता नहीं ।। क़ोशिश करना इंसानी फ़ितरत है । हर सीप में मोती मिलता नहीं ।। तबस्सुम को तरसे बैठें हैं सब । उनके लबों पर गुलाब खिलता नहीं ।। हमसे शुरू है आशिकों की पीढ़ी । ज़माना उसमें हमको गिनता नहीं ।। ये इश्क़ है नायाब नूरानी हीरा । हर चौराहे पर "काज़ी" ये बिकता नहीं ।। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं...
शर्मीला चाँद
कविता

शर्मीला चाँद

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** मेरा चांद बहुत शर्मीला है, चांद रातों को भी दीदार नहीं होते। जो आ जाता तू एक बार आसमां में, हर शब हम यूं बीमार नहीं होते।। तेरे इश्क की चांदनी में डूबे हैं, अंधियारी रात के शिकार नहीं होते। लुका छिपी तेरी आदत बन गई है, तेरे इस खेल के हिस्सेदार नहीं होते।। अदाओं से करता है वार मुझ पर, पास मेरे हथियार नहीं होते। लिपटना चाहता है जब वो हमसे, उस वक्त मग़र हम तैयार नहीं होते। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर ...
हादसा हिज्र का
कविता

हादसा हिज्र का

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** कैसी कश्मक़श है ज़िंदगानी में। क्यूँ लगी फ़िर आग पानी में।। दीदार ए यार की हसरत नहीं थी। इश्क़ रूठा है उनसे जवानी में।। हिज्र का हादसा भी लिखा था। मेरे अरमानों की कहानी में।। तुम बेवफ़ाई का मुजस्समा हो। क्या कह दिया मैंने नादानी में।। सोचकर अब तलक़ हैरां हूँ "काज़ी"। क्या मोती जड़े थे उस दीवानी में।। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
हाल ए दिल
कविता

हाल ए दिल

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** मुझे मोहब्बत तुम्हीं से है बस। ये दिल धड़कता तेरे लिए है।। तू ही है बस एक सुकून दिल का। ये ज़िस्म सिसकता तेरे लिए है।। तुम्हीं से ख़ुशबू ग़ुलों में है बस। ये दिन निकलता तेरे लिए है।। तुम्हीं से रोशन बहार मुझमें। ये दिल धड़कता तेरे लिए है।। हुस्न से तेरे शफ़्फाफ़ है शब। ये चांद ढलता तेरे लिए है।। तुम्हीं जुनूं हो बस मेरे रहबर। ये मन महक़ता तेरे लिए है।। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कवि...
रहनुमा
ग़ज़ल

रहनुमा

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** हर रोज़ ईद का त्यौहार होता है। जब मुझे आपका दीदार होता है।। आपके नूर की रोशनी से हरदम। रोशन ये फ़लक हर बार होता है।। मुश्क़िलें हो जाती हैं आसां मेरी। दुआओं से बेड़ा पार होता है।। पड़ते हैं जब आपके मुबारक क़दम। बियाबां भी मुनव्वर गुलज़ार होता है।। मेरे अश्कों की तड़प देखकर। अब समंदर भी रेगज़ार होता है।। वो मेरा रहनुमा है "काज़ी" । उससे ही मुझे प्यार होता है।। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिया...
गुज़र गया एक और साल
कविता

गुज़र गया एक और साल

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** इश्क़ की मीठी बतियां और तक़रार भी हुई। कभी आया पतझड़, कभी बहार भी हुई।। तेरी चाहत की छांव में ज़िंदगी गुज़ार दी। सौंपा ख़ुद को मैंने अपनी ख़ुशियाँ वार दी।। कहाँ से कहाँ पहुंच गये बात ही बात में। गुज़र गया एक और साल तेरे साथ में।। ख़ुशबू की तरह आयी थी तुम ज़िंदगानी में। हो ख़ूबसूरत एक परी मेरी कहानी में।। साये की तरह साथ रही धूप-छांव में। बस गई हो अब मेरी चाहत के गांव में।। लगता नहीं है डर मुझे अब दिन और रात में। गुज़र गया एक और साल तेरे साथ में।। इश्क़ के हसीं सफ़र की रहगुज़र हो तुम। मंज़र ए ख़ुशगवार हो, मेरी नज़र हो तुम।। हूँ दुआ-गो इस सफ़र में साथ तुम रहो। हूँ तुम्हारी, बस तुम्हारी, दिन-रात तुम कहो।। कुछ भी नहीं रक्खा है शह और मात में। गुज़र गया एक और साल तेरे साथ में।। गुज़र गया एक और साल तेरे साथ में।। ...