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Tag: डॉ. रमेशचंद्र मालवीय

ग़म है तो पी लो
कविता

ग़म है तो पी लो

डॉ. रमेशचंद्र मालवीय इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** खुश़ रहो मित्रों जिस हाल में हो रहते चाहे जिस गली, चाल में हो। हंस हंस कर जी लो ग़म है तो पी लो यही जिंद़गानी है यही सबकी कहानी है खोए रहते किस ख़याल में हो खुश़ रहो मित्रों जिस हाल में हो। कोई मिलता है तो कोई बिछड़ जाता है फूल खिलता है फिर उज़ड़ जाता है नहीं किसी का यहां ठिकाना है आज इसका, कल उसका जाना है उलझे रहते किस सवाल में हो खुश़ रहो मित्रों जिस हाल में हो। भूला बिसरा जब कोई मिल जाएं गले मिलें, प्यार अपना जताएं सभी को प्यार की चाहत है यह मिल जाए बड़ी राहत है छोड़ो पड़े किस जंजाल में हो खुश़ रहो मित्रों जिस हाल में हो। इस ज़ग में कुछ लोग अच्छे हैं कुछ झूठे हैं, कुछ सच्चे हैं सभी से रखें प्यार का रिश्ता सब इंसान है नहीं कोई फ़रिश्ता मस्ती में रहो चाहे फ़टेहाल में हो खुश़ रहो मित्रों जिस हाल में...
हम सभी है मौज़ में
कविता

हम सभी है मौज़ में

डॉ. रमेशचंद्र मालवीय इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आज हम सभी हैं मौज़ में क्योंकर जाएं हम फ़ौज़ में। सबको अपने-अपने सुख की चाह है सबकी अपनी मंज़िल, अपनी राह है देश पर मर मिटने वाले तो कोई और थे आज किसको अपने देश की परवाह है इंसान स्वयं अपनी खोज़ में आज हम सभी हैं मौज़ में। इस समय जो उठ रही है दूर आंधी न किसी ने रोकने की है पाल बांधी सभी अपने आपको समझ बैठे खुद़ा अब न कोई आएगा फिर से वो गांधी मानवता रो रही है रोज में आज हम सभी हैं मौज़ में। किस किस से मांगने जाएंगे न्याय छल, कपट, धोखा, फरेब़, अन्याय न सुनी जाती पुकार किसी की यहां है ग़रीब़ी, मुफ़लिसी न कोई उपाय ईमान जा गिरा है हौज़ में आज हम सभी हैं मौज़ में। परिचय :- डॉ. रमेशचंद्र मालवीय निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
नव वर्ष तुम आओ
कविता

नव वर्ष तुम आओ

डॉ. रमेशचंद्र मालवीय इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** नव वर्ष तुम आओ स्वागत तुम्हारा है खुशियों को लाओ स्वागत तुम्हारा है। हर कद़म पर चुनौती और सबसे लड़ना है सबको साथ लेकर आगे भी बढ़ना है हमें हिम्मत बंधाओ स्वागत तुम्हारा है नव वर्ष तुम आओ स्वागत तुम्हारा है। सबको मिले काम न रहे हाथ खाली न भूख न ग़रीब़ी न रहे तंगहाली सुख समृद्धि पहुंचाओ स्वागत तुम्हारा है नव वर्ष तुम आओ स्वागत तुम्हारा है। है अब भी अंधेरा बस्ती में गलियों में उदासी छाई है हर मुरझाई कलियों में इनमें मुस्कुराहट लाओ स्वागत तुम्हारा है नव वर्ष तुम आओ स्वागत तुम्हारा है। दुश्मनों से यह देश अपना घिरा है कोई है पागल तो कोई सिरफिरा है हमें इनसे बचाओ स्वागत तुम्हारा है नव वर्ष तुम आओ स्वागत तुम्हारा है। हिम्मत से फिर भी हम काम ले रहे हैं एकदूसरे का हाथ हम थाम ले रहे हैं देश को संपन...
चुनाव और प्रत्याशी
कविता

चुनाव और प्रत्याशी

डॉ. रमेशचंद्र मालवीय इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मुझ प्रत्याशी की सुनो, वो तुम्हारी सुनेगा तुम एक वोट दोगे, वो दस नोट देगा। भूख लगे तो खाना खाना प्यास लगे तो पानी पीना नोट इसलिए देता हूँ कि वोट से है मेरा मरना जीना नोट के बदले वोट ही देना और कोई तुम चोट न देना। माना कि तुम वोट के खातिर अपनी अकड़ दिखाओगे बोतल-कम्बल तो दूंगा ही जो मांगोगे, वो सब पाओगे वोट चाहिए मुझे तो केवल और कोई तुम खोट न देना। पक्के घर मैं दिलवा दूंगा बिजली पानी मिल जाएगा एक वोट के बदले प्यारे जीने का सुख मिल जाएगा यह चुनाव का सीज़न है तुम बाद़ाम अख़रोट न देना। तुम ही मेरे माई बाप हो तुम ही मेरे भाग्यविधाता हाथ जोड़ता पांव में पड़ता और झुकाता अपना माथा अच्छी खासी जीत दिलाना भागते भूत लंगोट न देना। परिचय :- डॉ. रमेशचंद्र मालवीय निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प...