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Tag: डॉ. मोहन लाल अरोड़ा

आओ एक दीया जलाऐ
कविता

आओ एक दीया जलाऐ

डॉ. मोहन लाल अरोड़ा ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) ******************** आओ एक दीया जलाऐ घुप अन्धेरे को दुर भगाऐ माँ की कोख से बेटी बचाये बेटी को पढाऐ लिखाऐ आओ एक दीया जलाऐ अपने बेटे को भी समझाये पढाये जन्म दिन का केक यूँ ना उड़ाये भूखे को खिला कर दुआ कमाये सब की इज्ज़त करना सिखाऐ आओ एक दीया जलाऐ मेहनत की कमाऐ ईमानदारी की खाऐ भ्रष्टाचार और कालाबाजारी को दुर भगाऐ बच्चों को अच्छे संस्कार सिखाऐ बुजुर्गो का आशीर्वाद और माँ बाप का मान बढाऐ आओ एक दीया जलाऐ क्यो दंगा क्यो मजहब करवाऐ सब धर्मो का मान बढाऐ दान पुण्य का पाठ पढाये निर्धन की मदद भूखे को रोटी खिलाऐ आओ एक दीया जलाऐ घुप अन्धेरा दुर भगाऐ...।। परिचय :- डॉ. मोहन लाल अरोड़ा कवि लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता निवासी : ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) प्रकाशन : ३ उपन्यास, ७२ कविता, ७ लघु कथा १२ सांझा काव्य संग्रह प्रकाशित...
माँ
कविता

माँ

डॉ. मोहन लाल अरोड़ा ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) ******************** जिसने मुझे लिखा उसके लिए मै क्या लिख दुँ कोई पुछे मुझ से रब का तो मै बस माँ ही लिख दुँ वतन के लिए जिन्होंने कुर्बान किए अपने बेटे सबसे पहले उन्ही माताओ का नाम लिख दुँ जिन की आँखो से देखी मैने दुनिया वो नाम बस माँ लिख दुँ कही झोपड़ी तो कही सड़क पर रो रही थी माताऐ मोहन कैसे मै लिख दुँ मेरी माँ खुश थी जिस ने मुझे लिखा उसके लिए मै क्या लिख दुँ...। परिचय :- डॉ. मोहन लाल अरोड़ा कवि लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता निवासी : ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) प्रकाशन : ३ उपन्यास, ७२ कविता, ७ लघु कथा १२ सांझा काव्य संग्रह प्रकाशित, काव्याअंकुर मे ३७ रचना प्रकाशित उपलब्धियां : मुलतानी साहित्य मे प्रसंशा पत्र, हिंदी रचनाओ मे बहुत प्रसंशा पत्र घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एव...
झुठी कसम
लघुकथा

झुठी कसम

डॉ. मोहन लाल अरोड़ा ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) ******************** बात बहुत पुरानी है छोटी उम्र छोटी क्लास प्राईमरी स्कूल मे जाते ही सबसे पहले यही पढाया गया... झूठ बोलना पाप है चोरी करना पाप है। नन्हें दिमाग मे यही बात बैठ भी जाती है। जैसे-जैसे बड़े होते गए झूठ बोलना तो आम बात हो गई कुछ मजबूरी मे, कुछ आदत हो गई कभी डर कर तो कभी हंसी मजाक से झूठ बोलना और झूठी कसम खाना रोजमर्रा की जिंदगी मे आम सी बात हो गई। बड़े हो गए पढ लिख गए नौकरी भी लग गई परंतु झूठ बोलना और झूठी कसम खाना भी जिंदगी के साथ बढ़ा गया भगवान कसम मैं झूठ नहीं बोल रहा... और झूठ ही बोल रहा था क्योंकि सच बोलने के लिए कसम खाने की आवश्यकता ही नहीं है माँ कसम मैने ऐसा नहीं किया, तेरी कसम आगे से ऐसे नही करूंगा। ऐसी कसमे रोजाना खाना जिंदगी का एक फैशन सा हो गया है, चाहे कसम खाने की आवश्यकता ही ना हो फिर भी भगवान की झूठी कसम क्योंकि भगव...
मिला जो मुझे तेरा साथ
कविता

मिला जो मुझे तेरा साथ

डॉ. मोहन लाल अरोड़ा ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) ******************** मिला जो मुझे तेरा साथ मेरी जिंदगी सुथर गई मिला जो मुझे तेरा प्यार मेरी तकदीर बदल गई मिली जो मुझे तेरी हसरत मेरा सपना साकार हुआ मिली जो मुझे तेरी ख़्वाहिश मेरी कहानी बदल गई मिली जो मुझे तेरी खुशी मेरा गम निकल गया मिला जो मुझे तेरा सपना मैं भी हो गया तेरा अपना मिली जो मुझे तेरी साँस मेरी धड़कन बदल गई मिला जो मुझे तेरा हर लम्हा मेरी रूह बदल गई मिली जो मुझे तेरी प्रीत मेरी दुनिया ही बदल गई तेरा हर लम्हा मेरा हो गया मेरा हर सपना तेरा हो गया तेरी हर कहानी मेरी हो गई मेरी हर ख़्वाहिश तेरी हो गई तेरा हर गम मेरा हो गया मेरी हर खुशी तेरी हो गई तेरी हर साँस मेरी हो गई मेरी अपनी रुह तेरी हो गई तेरी प्रीत मेरी हो गई मेरी तकदीर तेरी हो गई मिला जो मुझे तेरा साथ मेरी जिंदगी सुधर गई मिला जो मुझे तेरा प्यार मे...
मेरे पिता
कविता

मेरे पिता

डॉ. मोहन लाल अरोड़ा ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) ******************** मुझे था अपने पिता जी पर बहुत नाज था कोमल मन और सदृढ आवाज शांत स्वभाव और खुश मिजाज ना कभी गुस्सा ना ही कभी नाराज शायद मेरी हर बात जानते थे मेरी हर नब्ज पहचानते थे हर काम में सहयोग करते और मेरी हर बात मानते थे कड़ी मेहनत और लग्न से हमे पढाया ऊँची शिक्षा दिला कर डाक्टर बनाया आर्थिक, सामाजिक शिक्षा का ज्ञान बताया धार्मिक और परिवारिक संस्कार का पाठ सिखाया क्या लेना क्या देना का गणित समझाया चोरी और झूठ से कोसो दुर भगाया नीति और नियत का मतलब बताया भूखे को रोटी असहाय की मदद का फर्ज सुनाया मेरे गुरु मेरे मित्र थे मेरे पिता मेरा अस्तित्व, मेरा मान, थे मेरी पहचान मेरी माँ के माथे का सिंदूर, थी माँ की शान स्पष्टवादी, राष्ट्रवादी थे नेक दिल इंसान हे भगवान, हे पालनहार, हे दाता मोहन करे बिनति मुझे हर जन्म ...
ठोकर
कविता

ठोकर

डॉ. मोहन लाल अरोड़ा ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) ******************** नही रोड़ा मैं किसी के भी रास्ते का सपने देखने का हौसला मैं भी रखता हूँ चाहे छुपा लो सितारों को उजालो मे तुम नजर भर उन्हें मै भी ताकता हूँ रखा है रास्तों ने ठोकर पर तेरी चाह पर मंजिलो पर नजर मै भी रखता हूँ जाने कितने कदम गुजर गए यूँ ही हर कदम के निशान याद मै भी रखता हूँ भटक जाते है लोग अक्सर यहाँ भी पते उनके रास्तों के याद मै भी रखता हूँ नहीं समझेगा कोई तेरी ठोकर के दर्द को यह इल्म तो बस मै ही रखता हूँ गुजर जाते हैं लोग खामोशी से ठुकरा कर उनके दर्द की कहानी मै ही याद रखता हूँ मिलेंगे तुझसे... जब तु खाक ऐ सपुर्द होगा इंसानो की हस्ती को बस मै ही समझता हूँ ना लगे कोई ऊपर वाले... की ठोकर उस ठोकर का दर्द बस मै ही समझता हूँ परिचय :- डॉ. मोहन लाल अरोड़ा कवि लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता निवासी : ऐलनाबाद सिरसा (ह...
स्त्री चिंतन
कविता

स्त्री चिंतन

डॉ. मोहन लाल अरोड़ा ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) ******************** स्त्री का अस्तित्व है महान माँ बनना भी है सम्मान सब जगत पर है अहसान कब हटेंगे यह इश्तहार बड़े अस्पतालों से यहाँ लिंग परीक्षण नहीं किया जाता सालो से पुत्र जन्म पर दी जाने वाली बधाईयाँ बेटी जन्म पर मिलने वाली रूसवाईयाँ कोई बात नहीं आजकल बेटा-बेटी एक जैसे है यह कहना आसान परंतु मन से सब वैसे है फिर ना नोच कर फेंक दी जाए गटर मे कोई बच्ची जो नवरात्रो में पुजी गई थी देवी सच्ची दोहरी हुई पीठ पर बच्चा बाँध कर इंटो और सीमेंट को कंधे पर लाद कर चढती हुई गरीब औरत ना तौली जाए ठेकेदार की नजरो में ना बोली जाए फिर से ना किसी अबला पर गोली चलाई जाए ना तेजाब से राह चलती खुबसुरत शक्ल जलाई जाए नहीं कर सकते किसी स्त्री का सत्कार बड़ा ही घिनौना और आपराधिक है बलात्कार घर से बाहर निकलने पर घुरती गंदी निगाहे बेच...
उम्मीद
कविता

उम्मीद

डॉ. मोहन लाल अरोड़ा ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) ******************** फिर खिले अमन चमन अगन मगन हो हर वीर कांधे न हो आक्सीजन बच्चे बिन बैग अधीर गली गली हो वैन स्कूल एंबुलैंस ना दिखे तीर सब दुकाने कतारे दवाखाने ना भीड़ काढा ना चाय चुस्की हो अच्छी तकदीर बेख़ौफ सभी घुमे संग रहे तदबीर फिर से खिले चमन सुरम्य हिंद तस्वीर फिर से भारत माटी हो चंदन और अबीर टैरेस न मंदिर में दादी चढावे नीर हाथ ना कैरम लुडो बच्चे बिन बैट अधीर सन्नाटो से पिंड छुटे हो चहल पहल भीड़ सारी पाबंद हट जाए मन हो सकल अधीर हिल मिल कर सब रहे गाँव शहर घर वीर तज सपन बीते बुरे नैना खुशी नीर फिर से खिले चमन सुरम्य हिंद तस्वीर फिर से भारत माटी हो चंदन और अबीर परिचय :- डॉ. मोहन लाल अरोड़ा कवि लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता निवासी : ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा) प्रकाशन : ३ उपन्यास, ७२ कविता, ७ लघु कथा १२ सांझा क...