Sunday, November 24राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: डॉ . भावना सावलिया

प्रेम है अनमोल न्यारा
कविता

प्रेम है अनमोल न्यारा

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया, राजकोट (गुजरात) ******************** छंद मनोरम २१२२ २१२२ प्रेम है अनमोल न्यारा, ईश का उपहार प्यारा।। प्रीत बिन जीवन अधूरा, विश्व हो रस सिक्त पूरा। प्रेम रस जिसने पिया है। धन्य जीवन को किया है। नित्य बरसे स्नेह धारा। प्रेम है अनमोल न्यारा।। पियु सुहाना प्यार ऐसा। रस अमिय का सार जैसा। चार नैना बात करते। प्रीत हिय की दाह हरते। साँस में अनुराग सारा। प्रेम है अनमोल न्यारा।। हो हृदय में भाव निर्मल। तब पनपता प्रेम हरपल। बाग खुशियों का महकता। मोर मन का है गहकता। प्रीत बिन संसार खारा। प्रेम है अनमोल न्यारा।। प्रिय बहुत मुझको सुहाता। प्यार उनका है लुभाता। मीत जब-जब बात करता। दिव्य झर-झर प्रेम झरता। नैन का है मीत तारा। प्रेम है अनमोल न्यारा।। परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई ...
हरिगीतिका छन्द
छंद

हरिगीतिका छन्द

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया, राजकोट (गुजरात) ******************** हरिगीतिका छन्द हे माँ भवानी ! हम खड़े कबसे, तुम्हारे धाम हैं। हे शक्ति रूपा नित्य रटते, नाम आठों याम हैं। आए शरण जो आस लेकर, पूर्ण करती काम हैं । हम भूल सकते एक पल भी, कब तुम्हारा नाम हैं।। माँ कर कृपा इतनी हृदय से, द्वेष ईर्ष्या दूर हो। मंगल महकते भाव मन में, चेतना भरपूर हो। हुंकार माँ ऐसी भरो सब, आलसी जन शूर हों। मन के तिमिर सब दूर होकर, सूर्य-सा नित नूर हो।। वाणी मधुर हम बोल कर मन, में अमिय रस घोल दें। इतनी कृपा कर दो कि दिल के, द्वार सबके खोल दें। माँ दो अभय वरदान हमको, सत्य सबसे बोल दें। हम सत्य के पथ पर चलें यह, साधना अनमोल दें।। परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३ निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गु...
प्रेम है अनमोल
छंद

प्रेम है अनमोल

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया, राजकोट (गुजरात) ******************** छंद मनोरम २१२२ २१२२ प्रेम है अनमोल न्यारा, ईश का उपहार प्यारा ।। प्रीत बिन जीवन अधूरा, विश्व हो रस सिक्त पूरा । प्रेम रस जिसने पिया है । धन्य जीवन को किया है । नित्य बरसे स्नेह धारा । प्रेम है अनमोल न्यारा ।। पियु सुहाना प्यार ऐसा । रस अमिय का सार जैसा । चार नैना बात करते । प्रीत हिय की दाह हरते । साँस में अनुराग सारा । प्रेम है अनमोल न्यारा।। हो हृदय में भाव निर्मल । तब पनपता प्रेम हरपल । बाग खुशियों का महकता । मोर मन का है गहकता । प्रीत बिन संसार खारा। प्रेम है अनमोल न्यारा ।। प्रिय बहुत मुझको सुहाता । प्यार उनका है लुभाता । मीत जब-जब बात करता । दिव्य झर-झर प्रेम झरता । नैन का है मीत तारा । प्रेम है अनमोल न्यारा ।। परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई...
हिन्दू नववर्ष
धनाक्षरी

हिन्दू नववर्ष

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया, राजकोट (गुजरात) ******************** मनहरण घनाक्षरी हिन्दू नववर्ष आया, चारों ओर हर्ष छाया, नई किरण का सब स्वागत तो करिए। दीप मंगल जलाए, अंधकार को मिटाए, नई उम्मीदों के साथ प्रेम गीत गाइए। राग-द्वेष छोड़कर, स्नेह-भाव बहाकर, समानता के भाव से साथ-साथ चलिए। सोच सदा मंगल हो, धर्म-कर्म मंगल हो, चहुंओर मंगल हो ऐसा भाव रखिए।। परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३ निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गुजरात) शिक्षा : एम्.ए, एम्.फील, पीएच. डी, जीएसईटी सम्प्रति : अध्यापन कार्य, आर्टस कॉलेज मोडासा, जि. अरवल्ली, गुजरात प्रकाशित रचनाएँ : ४० से अधिक पद्य रचनाएँ प्रकाशित, नेशनल और इंटरनेशनल पत्र-पत्रिकाओं में ३५ से अधिक शोध -पत्र प्रकाशित । प्रकाश्य पुस...
जन्मदिवस पर अनंत शुभकामनाएं …
जन्मदिवस

जन्मदिवस पर अनंत शुभकामनाएं …

राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच www.hindirakshak.com की रचनाकार सुश्री डॉ. भावना सावलिया (राजकोट गुजरात) का आज ०३ अप्रैल को जन्मदिवस है ... इस पटल के माध्यम से नीचे दिए गए कमेंट्स बॉक्स में संदेश भेजकर आप शुभकामनाएं दे सकते हैं…. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष...
पनघट
छंद

पनघट

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया (गुजरात) ******************** विष्णुपद छंद दृश्य सुहाना पनघट पर का, चहल-पहल सारी, चली नीर भरने पनिहारी, ले गगरी भारी, पायल को छनकाती चलती, कटि को लचकाती, खंजन नैनों से दिख के वो, हिय में शरमाती । पायल की झनकार जगाती, प्रीत युवा दिल में, भ्रमर मंडराते हैं मानो, पनघट के स्थल में, बीच घोर घन कुंतल दिखती, चंद्र-मुखी प्यारी, घायल सबको करती चलती, मधु मुसका न्यारी। छोटी-सी ठोकर से छलके, निर्मल जल घट का, मानो नीलांबर है बरसे, खोल स्नेह पट का, बूँद मोतियों-सी सिर पर से, अधरों पर ठहरी, पँखुडी पर शबनम मोती-सी, शोभित है गहरी। परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३ निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गुजरात) शिक्षा : एम्.ए, एम्.फील, पीएच. डी, जीएसईटी सम्...
पनघट
छंद

पनघट

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया (गुजरात) ******************** विष्णुपद छंद दृश्य सुहाना पनघट पर का, चहल-पहल सारी, चली नीर भरने पनिहारी, ले गगरी न्यारी, पायल को छनकाती चलती, कटि को लचकाती, तिरछी नैनों से दिख के वो, हिय में शरमाती । पायल की झनकार जगाती, प्रीत युवा दिल में, मधुकर मँडराते हैं मानो, पुष्पों के दल में , बीच घोर घन कुंतल दिखती, चंद्र-मुखी प्यारी, घायल सबको करती चलती, मधु मुस्का न्यारी। छोटी-सी ठोकर से छलके, निर्मल जल घट का, मानो नीलांबर है बरसे, खोल स्नेह पट का , बूँद मोतियों-सी सिर पर से, अधरों पर ठहरी, ओस पंखुडी पर  मोती-सी, शोभित है गहरी। परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३ निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गुजरात) शिक्षा : एम्.ए, एम्.फील, पीएच. डी, जीएसईटी स...
सरदार पटेल
कविता

सरदार पटेल

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया (गुजरात) ******************** अद्वितीय गौरवान्वित गुजरात की गरिमा के मुकुटमणि। गरिमामय भारत के स्वतंत्र चेता मंगल कामना के शिरोमणी।। अखण्ड भारत के श्रेष्ठ निर्माता राष्ट्र के हो तू शौर्य वीर सपूत। तुझे करते हैं हम शत् शत् नमन भारतीय आत्मा के सपूत।। ३१ अक्टूबर, १८७५ को प्रकाशित हुआ भारत का नक्षत्र। सजी माँ भारती की आरती बिखरे खुशियों के नूर सर्वत्र।। झवेरभाई-लाडबा के कुलदीपक का चारो ओर तेज जगमगाया। भारत फूला न समाया सबके हृदय स्नेह-भाव जगाया।। कर्त्तव्य-निष्ठा का अडिग शिखर जनहित का तू नायक अनोखा। सुख-दुख में तू स्थित प्रज्ञ हिमालय सी उत्तुंग श्रृँग शिखा।। पत्नी देहांत का ग़म पी के वकालत का किया काम दिल से। किसीको भास न होने दिया न्याय दिलाया सत्कर्म से।। समाज संगठन के कुशल नेता राजनीति में तू सत् का श्रेष्ठा। राष्ट्रीय एकत...
सारा संसार हमारा
कविता

सारा संसार हमारा

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया (गुजरात) ******************** मन मेरा झूम झूमके नाचता गाता दिल सारा संसार हमारा... नीलाम्बर, सूर्य, चंद्र व तारें, बादल, नक्षत्र वे सारे नजारें, सागर, सरिता बहते मीठे झरनें पेड़-पौधे,पहाड़ लगे सब प्यारे। मन मेरा झूम झूमके नाचता गाता दिल सारा संसार हमारा... उमंगी मन ऊँची उड़ान भरता, सारे संसार का विहार करता, सपनों की बारात के संग संग बादलों की ओट से झाँकता चलता मन मेरा झूम झूमके नाचता गाता दिल सारा संसार हमारा... समीर सरगम गाता घूमता, नभ को प्रेम नैनों से चूमता। प्रकृति को बाहों में भर कर चिड़िया संग मन गाता झुमता। मन मेरा झूम झूमके नाचता गाता दिल सारा संसार हमारा... मधुर झरने का पान करता, किशलय शृंग से बातें करता। मन पर्वत शिखा पर बैठकर प्रभु का सौन्दर्य दिल में धरता। मन मेरा झूम झूमके नाचता गाता दिल सारा संसार हमारा... मित...
लॉकडाउन
कहानी

लॉकडाउन

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया (गुजरात) ******************** ४६ वर्षीय अविवाहिता शिला उत्तर गुजरात की आर्ट्स कॉलेज में हिन्दी विषय की अध्यापिका है। वह अपने परिवार से ४०० कि.मी. दूर नौकरी कर रही है। वहाँ वह अकेली रहती है। अध्यापकीय कार्य और साहित्य ही उसकी दुनिया है। लिखना-पढ़ना, लिखवाना और पढ़ाना ही उसका जीवन कर्म है। छात्रों में आदर्श जीवन मूल्यों का सींचन करना उसके जीवन का प्रमुख लक्ष्य है। वह सोच रही है की अंतिम एक सप्ताह से कोरोना वायरस धीरे-धीरे भारत में अपना पाँव फैला रहा है। कॉलेज में छात्रों को छुट्टियाँ हो गई है। स्टाफ के लिए रोटेशन हो गया है तो मैं २४ मार्च की कॉलेज भरके परिवार के पास कुछ दिनों के लिए चली जाऊंगी। वह अपने पापा से फोन करती है : पापा : “बोल बेटी, कुशल तो है न!” “जी पापा, मैं २४ मार्च को कॉलेज समय के बाद घर आने के लिए निकलूँगी। २४ मार्च से ३१ मार्च तक की मैंने छुट्टि...
गौरी मौसी
लघुकथा

गौरी मौसी

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया (गुजरात) ******************** लोकडाउन के तीसरे दिन पडोसन गौरी मौसी दीन भाव से अध्यापिका डॉ. अर्पिता से कहती हैं : "बहन जी पाँच सौ रूपये की मदद हो सके तो करो न ! तीन दिन से मेरी अगरबत्ती का ठेला बन्द है। जब लोकडाउन पूरा होगा तब आपको लौटा दूँगी।" डॉ. अर्पिता बिना कुछ कहे, पूछे मधुर स्मित के साथ एक हज़ार रूपये उनके हाथ में थमा देती है। "चिंता मत करो, जरुरत पड़े तो माँग लेना, पर अपने घर में ही रहना। "इसके बाद डॉ. अर्पिता रोज जान बूझकर ज्यादा रसोई बना के उसे देती है : मौसी आज मुझसे ज्यादा बन गया है, लीजिए। "गौरी मौसी का चेहरा अहोभाव से खिल उठा....।। . परिचय :- डॉ . भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३ निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गुजरात) शिक्षा : एम्.ए, एम्.फील, पीएच...
कोरोना वायरस का प्रभाव
आलेख

कोरोना वायरस का प्रभाव

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया (गुजरात) ******************** सारे विश्व में कोरोना के कहर ने हंगामा मचा दिया है। अंबर और अवनि पर सन्नाटा छाया हुआ है। प्रदूषण फूँकते वाहन के पहिए थम गये हैं। सड़कों, दुकानों, मोल, शाला-कॉलेजों, ऑफिसों, कंपनियों, उद्योगों, मण्डी-बाजारों, आदि भीड़ वाले स्थान एक ही रात के आह्वान से कुछ ही घंटों में शून्य सा नजर आ गया है। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक वातावरण के साथ ही प्राकृतिक वातावरण भी शांत हो गया है। लोग अपनी, परिवार की और देश की जान बचाने के लिए अपने घरों में बैठकर देश को सहयोग दे रहे हैं। लोगों में निरंतर सावधानी जागृत करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया के माध्यम से मीडिया कर्मी सतत सूचना देते रहते हैं। लोगों को मुश्किलें कम हो इसके लिए जितना हो सके उतना समाज सेवकों और सरकार द्वारा खयाल रखा जाता है। लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान, ...
कैलाश यात्रा
लघुकथा

कैलाश यात्रा

डॉ . भावना सावलिया हरमडिया (गुजरात) ******************** गाय दुहने के बाद माँ चिराग को आवाज देती हैं... बेटा, शिव के अभिषेक का दूध तैयार है, अरे हाँ, आज इक्यावन रूपये लेते जाना, शिव के चरणों में अर्पण कर देना। चिराग - जी मम्मी और कुछ ? बस भोलेनाथ सबको कुशल रखें। चिराग रोज मंदिर न जाकर अभिषेक का दूध एक वृद्धा बुढ़िया को पिलाके आशीर्वाद प्राप्त करता था। आज दूध के साथ फल लेकर गया था। पहली बार सोई हुई बुढ़िया को जगाकर फल और दूध का नास्ता खिलाके बहुत खुश था। शायद बुढ़िया का वह आखिर दिन होगा। शाम को वह कैलाश सिधार जाती है। दूसरे दिन माँ चिराग को शिव के अभिषेक के लिए पुकारती है तो वह कहता है... "आज भोलेनाथ मंदिर में नहीं है, कल से कैलास यात्रा के लिए गये हैं।" . परिचय :- डॉ . भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया जन्म तिथि : ३ ...