प्रेम है अनमोल न्यारा
डॉ. भावना सावलिया
हरमडिया, राजकोट (गुजरात)
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छंद मनोरम
२१२२ २१२२
प्रेम है अनमोल न्यारा,
ईश का उपहार प्यारा।।
प्रीत बिन जीवन अधूरा,
विश्व हो रस सिक्त पूरा।
प्रेम रस जिसने पिया है।
धन्य जीवन को किया है।
नित्य बरसे स्नेह धारा।
प्रेम है अनमोल न्यारा।।
पियु सुहाना प्यार ऐसा।
रस अमिय का सार जैसा।
चार नैना बात करते।
प्रीत हिय की दाह हरते।
साँस में अनुराग सारा।
प्रेम है अनमोल न्यारा।।
हो हृदय में भाव निर्मल।
तब पनपता प्रेम हरपल।
बाग खुशियों का महकता।
मोर मन का है गहकता।
प्रीत बिन संसार खारा।
प्रेम है अनमोल न्यारा।।
प्रिय बहुत मुझको सुहाता।
प्यार उनका है लुभाता।
मीत जब-जब बात करता।
दिव्य झर-झर प्रेम झरता।
नैन का है मीत तारा।
प्रेम है अनमोल न्यारा।।
परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया
माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया
पिता : नानजीभाई ...