मित्रता
डॉ. भगवान सहाय मीना
जयपुर, (राजस्थान)
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मित सच्चा देखिए, कर दिया जान निसार।
यारी ऐसी कहां मिले, ज्यों पीयूष इसरार।
जल में डूबा देखकर, याद आया इकरार।
संकट में साथ देना, इक-दूजे से करार।
यार-यार पर कर दिया, अपने प्राण निसार।
अपने मित्र के लिए, सब भूल गया इसरार।
मां की ममता भूला, अब्बा का भूला प्यार।
सबसे ऊपर हो गया, यार के खातिर यार।
हिंदू मुस्लिम सिख ले, दिल से सच्चा प्यार।
मानव से मानव मिले, ज्यों पीयूष इसरार।
पोखर भी रोया होगा, देख अनोखा यार।
मरकर भी न जुदा हुआ, सच्चा इनका प्यार।
परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार)
निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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