Tuesday, April 1राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”

झंझावात
कविता

झंझावात

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जब वायुमंडल में प्रचंड रूप से आंधी और तूफान आता है। यही मौसम झंझावात कहलाता है। ******* चमकती है आकाश में बिजली और ओले भी बरसते है। चारों तरफ होता है पानी पानी बादल भी गरजते है। ******* जब जब झंझावात आता है मुल्क में बर्बादी आती है। और हमारे जीवन को अस्त व्यस्त कर जाती है। ******* झंझावत प्रकृति का प्रकोप है जब हम प्राकृतिक साधनों का दुरुपयोग करते है तो झंझावत आता है। और यही फिर प्रकृति का प्रकोप कहलाता है। ******* रखें पर्यावरण का ध्यान तभी हम झंझावात से बच पायेंगे। नहीं तो व्यर्थ में जन-धन की हानि पायेंगे। ********* झंझावात कभी कभी हमारे जीवन में भी आते है। यदि हम सावधान न रहें तो बड़ी तबाही कर जाते है। ******** परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड...
दरमियां हम दोनों के दीवार
कविता

दरमियां हम दोनों के दीवार

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** दीवार बंटवारा करती है। दो लोगों को अलग-अलग करती है। ******* काम ऐसे करें कि आपस में दीवार न पड़ जाय। अच्छा भला रिश्ता खाक में न मिल जाय। ******* टूटे धागे को जोड़ने पर उसमें गठन पड़ती है। दो दिलों के बीच की दीवार बड़ी मुश्किल से हटती हैं। ******* प्यार में विश्वास जरूरी है। उसके बिना दिल की दास्तान अधूरी है। ******* दो दिलों को अलग होकर बंटना नहीं है। दिलों के दरमियां दीवार अच्छी नहीं है। ******* तोड़ दो उस हर दीवार को जो तुम्हारे रास्ते में आती है। और तुम्हारी हसीन जिंदगी को बर्बाद कर जाती है। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अ...
वेद और विज्ञान
कविता

वेद और विज्ञान

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** विज्ञान की जो खोज हमारे सामने आई है। वो पहले से ही हमारे वेदों में समाई है। ******* हम गलत पढ़ते हैं कि विमान राईट ब्रदर्स ने था बनाया । क्योंकि रामायण काल में हमने पुष्पक विमान को है पाया। ******** हमारे वेदों में सारा विज्ञान समाया है। वेदों का ही सारा ज्ञान विज्ञान में आया है। ******* अर्थवेद में चिकित्सा ज्ञान समाया है। सारे आयुर्वेद को हमने इसमें पाया है। ******** हमारे चारों वेदों में शिल्प, विज्ञान और इंजीनियरिंग समाई है यहां से जानकारी अन्य देशों ने चुराई है। ******** बीजगणित हो या अंकगणित वनस्पतिशस्त्र हो या जीवशास्त्र भौतिक या रसायन विज्ञान वेदों में समाया है सारा ज्ञान। ******** परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ ...
मृत्यु शय्या
कविता

मृत्यु शय्या

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जन्म और मृत्यु शाश्वत सत्य है। नहीं कोई इसका विकल्प है। ******* एक दिन सभी को मृत्यु शय्या पर सोना है। चाहे आप हो या डॉक्टर सभी का यह हाल होना है। ******** जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निशचित होगी। किसी की आज तो किसकी कल होगी। ******* मृत्यु से आज तक कोई जीत नहीं पाया है। जिसने भी लिया है जन्म अवश्य मृत्यु को पाया है। ******* मृत्यु शय्या पर पहुंचने से पहिले जिंदगी जीना सीख लीजिए। कुछ अच्छे कर्म करें कभी किसी को कष्ट न दीजिए। ****** जब आपने अच्छे कर्म किये होंगे तभी यह बात होवेगी। जन्म लेने पर आप रोये थे। मृत्यु होने पर दुनियां आपके लिये रोयेगी। ******* मृत्यु शय्या हमारी अंतिम शय्या है। जिस से हम उठ नहीं पाते है। मिट्टी से जन्म लिया है और मिट्टी में ही मिल जाते है।...
जिंदगी जीने की कला
कविता

जिंदगी जीने की कला

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** ईश्वर से सबको जिंदगी मिली है। किसी को कम किसीको ज्यादा मिली है। ******** जिंदगी सबके पास है पर सबको जीना नहीं आता। हर व्यक्ति खोने और पाने की चिंता में है जिंदगी गुजरता । ******* कुछ लोग जिंदगी गुजारते है। कुछ लोग जिंदगी काटते हैं। ******* जिंदगी मिली है तो जिंदगी का मजा लीजिये। जिंदगी जीने की कला सीख लीजिए। ******* सुख और दुख तो जिंदगी का हिस्सा है। यह सभी की जिंदगी का किस्सा है। ******* खुद भी खुश रहें दूसरों की भी खुशी का रखें ध्यान। तभी आप बन पायेंगे सबसे अलग इंसान। ******* सभी से प्यार और मोहब्बत करें। अपनी जिंदगी को खुशियों से भरे। ******* जिसको आ गयी जिंदगी जीने की कला। वही कर सकता है स्वयं और दूसरों का भला। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२...
आत्मदाह
कविता

आत्मदाह

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** इस दुनियां में हर व्यक्ति परेशान है। आत्मदाह किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। ******* आत्मदाह करने से हम तो दुनियां छोड़कर चले जायेंगें। पीछे घर वालों के लिये हजारों समस्याएं छोड़ जायेंगे। ******* दुनियां की प्रत्येक समस्या का समाधान है। आत्मदाह करना एक कायराना काम है। ******* ८४ लाख योनियों के बाद मानव जीवन मिलता है। आत्मदाह करने से हमें कुछ भी नहीं मिलता है। ******* आत्मदाह से हमारी समस्या सुलझ नहीं पायेगी। उलटा वह बिगड़ती जायेगी। ******* समस्याएं तो जिंदगी का हिस्सा है। इनका डटकर सामना करें आत्मदाह करना तो बुजदिलों का किस्सा है। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलि...
पीला बसंत
कविता

पीला बसंत

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** बसंत पंचमी का उत्सव मां सरस्वती को समर्पित है। पूजा कर के उनको पीले फूल पीले वस्त्र करते समर्पित हैं। ******* पीला रंग मां सरस्वती को भाता है। सभी धार्मिक कार्य में भी पीला रंग नज़र आता है। ******** ज्ञान की देवी सरस्वती इनका सच्चे मन से पूजन करें। और अपने आपको ज्ञान से भरें। ******** देवी सरस्वती ने वीणा बजाकर पूरे संसार में मधुर आवाज फैलाई। तभी तो सुषुप्त श्रृष्टि जागृत अवस्था में आई। ******** भगवान शिव और माता पार्वती का तिलक भी बसंत पंचमी को हुआ था। और मां सरस्वती का जन्म भी बसंत पंचमी को हुआ था। ******* बसंत पंचमी का दिन विवाह का शुभ मुहूर्त कहलाता है। इस दिन होने वाला विवाह सुखमय होता है। ******* बसंत पंचमी से बसंत ऋतु का आगमन होता है। प्रकृति में नई ऊर्जा और उत्साह का संचा...
चलो कुंभ चले
कविता

चलो कुंभ चले

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** प्रयागराज आपके स्वागत के लिये सजा है। १४४ साल बाद कुंभ का अलग मजा है। ******* त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएं अपना जीवन सफल बनाऐ। ******* देश विदेश से लोग कुंभ आ रहे है। सनातन धर्म के प्रति अपनी आस्था जता रहे है। ******* यह अवसर हमारी जिंदगी में दोबारा कभी नहीं आयेगा। अगर नहीं जा पाये कुंभ तो मन में अफसोस रह जायेगा। ******** महा स्नान के अवसर पर करोड़ों लोग आ रहे है। आस्था की डुबकी लगाकर पापों से मुक्ति पा रहे है। ******* कुंभ में चारों तरफ़ आध्यात्मिक माहौल छाया है। हर संन्यासी अखाड़े ने अपना स्थान बनाया है। ******* कुंभ जरूर जाये परन्तु सावधानी अपनाये। भीड़ बहुत है दुर्घटना से खुद को बचाएं। ********* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घो...
संदेह
कविता

संदेह

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** संदेह को संदेह मत रहने दे। इसके निवारण का उपाय ढूंढ ले। ******* जिसके प्रति संदेह होता है। वह विश्वास योग्य नहीं होता है। ******* संदेह होने का जरूर होता है कारण। यह सच है या झूठ कर लीजिए निवारण। ******* संदेह से अच्छे अच्छे रिश्ते भी खत्म हो जाते है। जिगरी दोस्त भी दुश्मन बन जाते है। ******** उन्होंने अपने प्यार के पौधे में शक का पानी डाला बेवजह अपने रिश्ते को उजाड़ डाला। ******** संदेह एक धीमा जहर है जो अपना असर धीरे-धीरे दिखाता है। हमारे रिश्ते को दीमक की तरह खाता है। ******* विश्वास सभी पे करें अंध विश्वास किसी पर नहीं थोड़ा शक भले हो बेशक पर उसको मिटा लेना है सही। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता...
नया साल-नया संकल्प
कविता

नया साल-नया संकल्प

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** नये साल का आज नया सवेरा आया है। चारों तरफ हर्ष और उल्लास का माहौल छाया है। ******* हर 365 दिन बाद नया साल आता है। और हमारा समय यूं ही बीतता जाता है। ******* जब तक हम कोई उद्देश्य नहीं बनायेंगे। तब तक जिंदगी के पल यूं ही व्यर्थ में गंवायेंगे। ******* नए साल से हम नई आशाएं रखें। और नई सफलता का स्वाद चखें। ******* लीजिए कुछ नए संकल्प जीवन को प्रगतिशील बनाईये। कुछ अच्छे नये काम करकर जग में नाम कमाइये। ******* किसी भी परिस्थिति में न माने हार। डटे रहेंगे तो जीत में बदल जायेगी हार। ******* संकल्प के अनुसार ही अपना योजना बनाएं। कड़ी मेहनत कर अपनी इच्छित मंजिल को पाएं। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उ...
भोर आई अलबेली
कविता

भोर आई अलबेली

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** रोज सुबह अलबेली भोर होती है। आधी दुनिया तब तक सोती है। ******* चिड़ियों का चहचहाना चारों तरफ मस्त हवाएं। लगता है ऐसे कि हम किसी नयी दुनियां में आये। ******* चारों तरफ शांति का वास होता है। हर व्यक्ति प्रकृति के पास होता है। ******* गुनगुनी धूप में बहुत मजा आता है और साथ में कोई हो साथी तो आनंद छा जाता है। ******** भोर में भ्रमण का अलग ही मजा है। पेड़ की टहनी पर जैसे गुलाब सजा है। ******* सुबह भोर में उठकर करें प्रतिदिन व्यायाम योग,साधना कर अपना जीवन बनाए आसान। ******** जो रोज उठकर भोर को देखता है। वह कभी जिंदगी में डॉक्टर को नहीं देखता है। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौ...
शीशा और भविष्य
कविता

शीशा और भविष्य

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** शीशा कोई भविष्य नहीं दिखाता है। शीशा केवल हमारी सूरत दिखाता हैं। ******* हम जैसे होते है शीशा वैसा दर्शाता है। भविष्य से तो उसका दूर दूर न कोई नाता है। ****** हमारा भविष्य हमारे कार्य पर निर्भर होता है। जैसे कार्य करते है वैसा परिणाम होता है। ******* भविष्य जानने के चक्कर में अपनी जिंदगी बर्बाद न करें। जिंदगी का एक लक्ष्य बना उसपर कार्य करें। ****** यदि ज्योतिषी भविष्य जानते तो अपना क्यों नहीं देखता है। व्यर्थ की दुकानदारी चलाकर भोले लोगों को नोचते है। ****** आने वाले अच्छे कल के लिए अपना आज मत गंवाओ बिना किसी चिंता या डर के अपना वक्त बिताओ। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक...
प्यार की पहली नज़र
कविता

प्यार की पहली नज़र

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** उस नज़र के सदके जाऊं जब तुमसे प्यार हुआ। उस नज़र पर कुर्बान जाऊं जब तुम्हारा दीदार हुआ। ******* जब देखा तुम्हे पहली बार हम सुध-बुध खो बैठे। पहिली नज़र में ही अपना दिल हार बैठे। ******* तुम्हारे कातिल नयनों ने किया था मुझे घायल देख के तुम्हारा सौंदर्य मैं हो गया था पागल। ******* तुम्हारे नयन नक्शे पर मैं फिदा हो गया। खुद से तुमको आज तक जुदा नही कर पाया। ******* मत ऐसे सज-संवर के निकला करो बाजार में। हम अपना सब कुछ लूटा देंगे तुम्हारे प्यार में। ******* प्यार की पहली नज़र का भूत अभी तक मुझपर चढ़ा है। परन्तु उसकी तरफ से एक भी कदम आगे नहीं बढ़ा है। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः ...
दिल की गहराईयों में …
कविता

दिल की गहराईयों में …

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** तुम्हारी याद मुझे हर वक्त आती है। दिल की गहराईयों में समा जाती है। ******** इतना लम्बा साथ था कैसे भूलूंगा तुम्हे। जब तक जिंदा रहूंगा याद करता रहूंगा तुम्हें। ******* जब कभी तुम्हारी कही कोई बात याद आती है। फिर तुम्हारी मोहिनी सूरत मेरे सामने आती है। ******* तुम रहती हो मेरे दिल में कोई तुम्हें नही निकाल पायेगा। किराया दो या मत दो पर यह तुम्हारा घर कहलायेगा। ******** मैं किसी को याद नही करता दिल की गहराइयों से। केवल एक तुम हो जो रहती हो दिल की गहराइयों में। ******** जब तक जिंदा हूं तुम्हे याद करता रहूंगा। हर जन्म में तुमसे मिलने की फरियाद करता रहूंगा। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर...
न जन्म सहज न मृत्यु सहज
आलेख

न जन्म सहज न मृत्यु सहज

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** पुराने समय में महिलाएं प्रसव घर पर ही करती थी। उस समय दाईया होती थी जो सुरक्षित प्रसव कराती थी। अस्पताल जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। न कोई ज्यादा खर्च न कोई झंझट सरलता से प्रसव हो जाता था। वर्तमान युग में प्रत्येक प्रसव अस्पताल में हो रहा है और डॉक्टर पैसा कमाने के चक्कर में साधारण प्रसव के स्थान पर आपरेशन द्वारा प्रसव कराते है। बच्चे के जन्म के साथ परिवार में खुशियां आती है और प्रसव आपरेशन द्वारा होता है तो डॉक्टर का बिल बढ़ जाता है इसलिए आपकी खुशी के साथ साथ डॉक्टर भी खुश हो जाता है। पहिले जब कोई व्यक्ति बीमार या दुर्घटना ग्रस्त होता था तो डॉक्टर यथा संभव साधनों द्वारा उसका उपचार करते थे। उनकी भावना मरीज को ठीक करने की होती थी। जब हमारा उद्देश्य सही होता है तो स्वयं भगवान आपकी मदद करने के लिए आ जाते है और अक्स...
आज की खुशी
कविता

आज की खुशी

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** आज की खुशी क्यों? खुशी हर रोज होना चाहिए। सभी को रोज प्रसन्न रहना चाहिए। ******* आज नही बल्कि हर पल खुश रहा करो। खुशियों के गीत रोज कहा करों। ******* खुशी मन की भावना है जो बाजार में नही मिलती जब मन होता है खुश तो चेहरे पर स्वयं प्रकट होती । ******* हजारों परेशानियां हो मत घबराया करों। हर परिस्थिति में मुस्कुराया करों। ******* हर काम आसान हो जाता है जब हमारा मन खुश हो जाता है। ******* खुश होता है मन तो चेहरे पर रौनक आ जाती है। उदासी हमसे कोसो दूर भाग जाती है। ****** खुद भी खुश रहें और रखें दूसरों की खुशियों का ध्यान। तभी आप बन पायेंगे सबसे महान। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्...
मैं देश नही बेचता
लघुकथा

मैं देश नही बेचता

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ********************  बनारसी दास जी सताधारी पार्टी के बहुत बड़े नेता था। बहुत ही तिकड़मी और प्रभाव शाली थे। वे जब भी गाड़ी से अपने ऑफिस जाते थे तो एक ट्रैफिक सिग्नल पर उनकी मुलाकात एक बच्चे से होती थी वह बच्चा कभी गुब्बारे बेचता कभी फल बेचता था।सीजन के हिसाब से कुछ न कुछ बेचता रहता था। आज भी जब बनारसी जी की गाड़ी सिग्नल पर रुकी। तो बच्चा छाता लेकर के बनारसी दास के पास आया और उनसे खरीदने के लिए बिनती करने लगा। बनारसी दास जी ने इस बच्चे से पूछा- तुम रोज नई-नई चीजें बेचते हो? ऐसी कौन सी चीज है जो तुम नहीं बेचते हो? साहब मैं देश नही बेचता हूं। यह कहकर बालक चुप हो गया परन्तु उस वक्त बनारसी दास जी के चेहरे से रंगत उड़ रही थी। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता ...
आखरी साड़ी
लघुकथा

आखरी साड़ी

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ********************  रेनू एक मध्यम परिवार की बहु थी। उसको कपड़ो का बहुत शौक था। दिन में दो बार कपड़े बदलना उसकी आदत में शुमार था। उसकी अलमारी में कभी खत्म न होने वाले कपड़ो का भंडार था। इसके बाद उसका मन आज एक और साड़ी खरीदने के लिये ललियात था। रक्षा बंधन आने वाला था और उसने सोचा कि यह नई साड़ी मैं रक्षा बंधन को पहनूगी। शाम को उसका पति राजेश जब घर आया। पति को नाश्ता देकर रेनू ने कहा बाजार चलिए आज एक साड़ी लेनी है। राजेश थका हुआ घर आया था इसके बाद भी उसने ना न की और फटाफट रेनू के साथ बाजार को निकल पड़ा। राजेश और रेनू शहर के एक सबसे बड़े शो रूम पर पहुंचे। रेनू ने ढेर सारी साड़ियां देखी। उनमे से एक साड़ी रेनू को पसंद आ रही थी परन्तु रेनू का मन पास वाले एक शो रूम में साड़ियां देखने का था। सेल्समेन को यह अनुभव हो गया कि रेनू को यह साड़ी पस...
हरे भरे खेत
कविता

हरे भरे खेत

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जब हो हरे भरे खेत तो किसान को तस्सली मिलती है। उसकी की गयी मेहनत फली भूत दिखती है। ****** हरे भरे खेत देखकर किसान खुश हो जाता हैं। और सपनों की दुनियां में खो जाता हैं। ******* हरे भरे खेत किसान की मेहनत का परिणाम है। अपनी जीविका को देता अंजाम है। ****** हरियाली आंखो को भाती हैं। प्रकृति में चारों ओर खुशी छा जाती है। ******* अगर खेत हरे भरे रहेंगे तो देश में खुशहाली आयेगी। और अन्नदाता किसान की जिंदगी बदल जायेगी। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा ...
पत्थर हुआ इंसान
कविता

पत्थर हुआ इंसान

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** आजकल इंसान नही रहा इंसान । हो गया है पत्थर समान। ******* प्रत्येक इंसान अपनी दुनियां में खो गया है। इसलिये शायद भावना शून्य हो गया है। ****** समाज में होनी वाली घटना का उस पर कोई असर नहीं होता है। वह तो केवल अपनी मस्ती में मस्त होता है। ****** चाहे हो जाय हत्या चाहे हो जाय बलात्कार उसके कानों पर जूं नही रेंगती। उसको तो केवल अपनी पड़ी रहती हैं। ******* दया,करुणा और सहनुभूति आजकल इंसानों में नहीं मिलती इसलिये दुनियां में अब खुशहाली नही दिखती। ****** अब इंसानियत खो चुका है इंसान। इसलिये पत्थर दिल हुआ है इंसान। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। ...
जमाना आजकल
कविता

जमाना आजकल

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जमाना जैसा था कल वैसा आज है। कभी नही बदलेगा in शायद हमसे नाराज हैं। ******* जमाना हम से मिलकर बनता है। जब हम सुधरेंगे तो जमाना बदलता है। ******* जमाने को दोष मत दीजिए झाकिए अपने गिरेवान में। सब कुछ पता लग जायेगा देखकर अपने गिरेबान में। ******* जमाने को किसी की परवाह नही है। यह बात सौ प्रतिशत सही है। ******** अगर बदलना चाहते हो जमाने को तो बदलाव स्वयं से करो। टांग खींचना लोगों की बंद कर अच्छे काम करो। ******* आजकल हर आदमी अपनी मस्ती में मस्त हैं। अपने दुख से नहीं बल्कि दूसरो की खुशी से ग्रस्त हैं। ******** परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी क...
मैने सोचा इश्क करू
कविता

मैने सोचा इश्क करू

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** इश्क करने के लिये सोचना नही पड़ता। वो स्वयं ही हो जाता हैं। मन किसी की यादों में खो जाता है। ****** इश्क कोई काम नहीं जो इसे सोच कर करें। दिल जिस पर आ जाये उसी से इश्क का इजहार करे। ****** इश्क करे तो इजहार जरूर करे। एक तरफा प्यार कभी परवान नही होता। ****** सुंदर चेहरा देखकर इश्क न करें। सूरत के साथ सीरत की भी जांच करें। ****** कोई आपकी सूरत से इश्क करते है कोई आपकी दौलत से इश्क करते है। इस दुनियां में सच्चे प्रेमी बहुत कम ही मिलते हैं। ****** परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिच...
लम्हों में सिमटी ज़िंदगी
कविता

लम्हों में सिमटी ज़िंदगी

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** ज़िंदगी लम्हों में सिमटी है। खुशी और गम में बंटी है। ******* कुछ लम्हें खुशी के होते हैं। कुछ लम्हें दुःख देते हैं। और हम ज़िंदगी भर यूं ही रोते हैं। ******* लम्हा जिंदगी का एक क्षण है। जो बदलता हर पल है। ******* लम्हें चाहें क्षण भर के हो। पर याद उम्र भर की होती हैं। इसी के सहारे हमें गम या खुशी नसीब होती है। ******* कभी फुरसत के लम्हें होते है कभी काम के लम्हें होते हैं। परन्तु हर वक्त मेरे प्रियतम मेरी यादों में होते है। ******* चुरा लो खूबसूरत लम्हें इस जिंदगी से क्योंकि कितनी बाकी है जिंदगी? किसीको पता नहीं। ******* लम्हों पर भारी पड़ गई है महंगाई। इसलिए फुर्सत के लम्हें नहीं मिलते मेरे भाई। ******* अफसोस न कीजिए बुरे लम्हों को। बुरे थे इसलिये जल्दी चले गये । *****...
स्वास्थ्य ही सब कुछ है
कविता

स्वास्थ्य ही सब कुछ है

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** अच्छा स्वास्थ्य ही हमारे जीवन का आधार है। बिना अच्छे स्वास्थ्य के जीना बेकार है। ******** धन चला गया तो वो दोबारा वापस आ जायेगा। परन्तु स्वास्थ्य की कमी को कोई दूर नही जब कर पायेगा। ******* जब आदमी स्वास्थ्य होता है। तभी हर चीज का आनंद लेता है। ******* करोड़ों रुपये भी बेकार है। यदि आप बीमार है। ******** पहले अच्छा स्वास्थ्य बाद में सारे बाकी काम। खुद भी पालन करें और जमाने को दे ये पैगाम। ******* समय पर खाना, समय पे सोना यदि यह कर लिया। तो जिंदगी में कभी नहीं पड़ेगा रोना। ******* स्वास्थ्य व्यक्ति से ही स्वास्थ्य राष्ट्र बनेगा। यदि होंगे हम बलशाली तो सारा विश्व हमसे डरेगा। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्व...
तेरा अहसास …
कविता

तेरा अहसास …

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** दूर होकर भी जो तुम्हारे पास होने का कराता है आभास वही कहलाता हैं अहसास। ******* जब भी मुझे तुम्हारे पास होने का एहसास होता है वह पल मेरे लिए बहुत खास होता है। ******* अहसास से हमें मानसिक बल मिलता है। उसी के आशा से सुनहरा कल मिलता है । ******* अहसास खत्म होने से रिश्ता खत्म हो जाता है क्योंकि बंधन रिश्तों का नहीं बल्कि अहसास का होता है। ******* दूर रहकर भी तेरा अहसास होता है। तू सामने नही पर हर ख्वाब में साथ होता है। ******* अहसास आशा उम्मीद जगाये रखता है। दूर होकर भी प्रियतम को पास बनाए रखता है। ******* जीने के लिये जैसे जरूरी है सांस। वैसे ही जरूरी है हर वक्त तेरा अहसास। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा क...