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Tag: डॉ. निरुपमा नागर

तुम आओ चाहे चुपचाप
कविता

तुम आओ चाहे चुपचाप

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप मैं सुनती हूं कण कण में तुम्हारी पदचाप बीत गया पतझड़, खिलखिला रहे पलाश बीता सबका कल ,अब क्यों हो कोई उदास कल ‌का यह बीतना सुनाता तुम्हारी पदचाप हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप वासंती बयार फैल रही चंहु ओर मेरी धानी चुनरिया उड़ उड़ जाती पी की ओर पवन सुनाती तुम्हारी पदचाप हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप खेतों की पीली सरसों ज्यों खिल रही खिन्न उदासी की छाया भी दूर हो रही सरसों की खुशहाली सुना रही तुम्हारी पदचाप हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप आम्र तरु यूं लदा मोरों से नाच उठा मन मेरा जोरों से आम्र आने की यह सुवास महका रही मेरी हर सांस हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप कोयल कूक कूक कर घोल रही मिठास कोयल का यह अमृत रस छलक रहा आसपास हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप भंवरे की गुनगुन जगा रही मीठी आस दिग्...
दिल हूं हिंदुस्तान की
कविता

दिल हूं हिंदुस्तान की

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** सरल, सहज, सुमधुर वचन संस्कृत से पाया अपना जीवन सबके मन को भाती सकल जगत को मोह रही है अंक मेरे अपार शब्द राशि सहेज रही बोलियों को बन मातृशक्ति नवीन तकनीक के लगा कर पंख मैं तो उड़ चली हिंदी कहते मुझको दिल हूं हिंदुस्तान की राजभाषा बन हिंद की राष्ट्र भाषा बनने की अब तमन्ना मैं कर रही परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com ...
अमृत महोत्सव आजादी का
कविता

अमृत महोत्सव आजादी का

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** अमृत महोत्सव है आजादी का अपना मिल जुल कर हम इसे मनाएं शान से तिरंगा घर घर लहराएं है यही स्वर्णिम सपना स्वर्ण महोत्सव है आजादी का अपना तीनों रंगों की शुभता पाएं जोश‌, शांति और समृद्धि लाएं रग रग में राष्ट्रभक्ति है जगाना स्वर्ण महोत्सव है आजादी का अपना हों जाएं नतमस्तक इस पर आंख न उठे दुश्मन की तिरंगे पर ऐसी नज़र है भारतवासी को पाना स्वर्ण महोत्सव है आजादी का अपना रक्षा करने इसकी जो शहीद हुए मां भारती का अंक वो तो पा गए ना कुर्बानी है, उनकी भुलाना स्वर्ण महोत्सव है आजादी का अपना परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिच...
अमर प्रेमचंद
कविता

अमर प्रेमचंद

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** हो चाहे नाटक, या, हो कथा संसार कलम के जादूगर ने समृद्ध किया हिंदी का संसार उपन्यास का अनमोल खजाना देकर बने उपन्यास सम्राट् कर्म पथ पर चलते-चलते हर विधा से किए दो-दो हाथ सुधारवाद का साहित्य रच-रच यथार्थवाद का परचम लहरा दे दी कितनी ही सीखों की सौगात "सौत" से "कफ़न" तक सफ़र किया आदर्शों के संग संग मुंशी थे वे, सिखा गये जीवन जीने का हिसाब दया, करुणा के धनपत प्रेम संदेश दे कर बने अमर प्रेमचंद परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं,...
कफन की शान तिरंगा
लघुकथा

कफन की शान तिरंगा

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** आज लंबे अर्से के बाद पोस्टमेन की आवाज सुनकर, और उसके हाथ में लिफाफा देख कर दिल खुशी से नाच उठा। क्योंकि आजकल मोबाइल के जमाने में डाक से चिट्ठी कहाँ आती है? जरुर किसी पुराने परिचित ने भेजी होगी। झटपट लिफाफा ले कर खोला तो देखा बचपन की सहेली अपूर्वा की चिट्ठी थी। चिट्ठी खोलते हुए हाथ कांपने लगे क्योंकि कुछ दिनों पहले ही उसका बेटा अचल, जो सेना में ऊंचे ओहदे पर था, काश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था। तब फोन पर ही मैं उसे दिलासा दे पाई थी। चाहकर भी मिलने नहीं जा पाई थी। उसका पत्र हाथ में लेकर आँखें गीली ह़ो गयी। लिखा था, मन की कुछ बातें फोन पर नहीं हो पाती हैं इसलिए आज तुझे चिट्ठी लिख रही हूँ। विभा, तुझे क्या बताऊँ, अचल के जाने के बाद कैसे थोड़ा संभल पाई थी कि आज हमारे यहाँ के महपौर स्वयं घर आए। वे इस बार गणतंत्र...
नाना की नीति
कविता

नाना की नीति

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** फिरंगियों का दम खम ‌करने चूर बने वे तो क्रांति दूत साधु, ज्योतिष, कबीर, मदारी दे कर रुप अनेक, बनाई सेना न्यारी तीर्थाटन के बहाने घूम-घूम कर राजे रजवाड़ों में आजादी की अलख जगाई हाथ खड्ग! निशां था कमल रोटी रक्त कमल की भाषा ने की अगुआई नाना साहब पेशवा थे वे रहस्य भेद की नीति थी अपनाई कब कैसे कहां हुई उनकी बिदाई दुनिया भेद यह जान न पाई परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानि...
इंदौर नगरी आलीशान
कविता

इंदौर नगरी आलीशान

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** इंद्रावती से बनी नगरी इंदौर होलकरों ने इसे सजाया है शबे मालवा की रौनक यहां अहिल्या माता की छत्रछाया है राजवाड़ा में बिखरी राजसी शान गांधी हाॅल ने समय को जाना है शीशमहल की कारीगरी यहां भारत माता मंदिर पाया खजराना गणेश इसकी पहचान बड़ा गणेश आलीशान कैट और शिक्षालयों से शिक्षित औद्योगिक राजधानी भी कहलाती महाकाल बाबा है एक ओर दूसरी ओर ममलेश्वर का छोर रुपमती को आवाज देती नर्मदा मैया की यह आभारी है सामाजिक कार्यकलापों की भरमार धार्मिकता का भी है कारोबार लता, किशोर की यह नगरी हुकुमचंद सेठ को भाई थी स्वच्छता का पंच परचम लहराया अहिल्या माता इसकी शान इंदौर नगरी बन गयी आलीशान। परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
शुक्ल पक्ष की चांदनी
कविता

शुक्ल पक्ष की चांदनी

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** माॅ, शुक्ल पक्ष की चांदनी तुम हमें देती रही स्वयं कृष्ण पक्ष की चांदनी सी ढलती रही चांदनी का यूं ढलते जाना क्यों हम गवारा करें अमावस की रात, जीवन में कभी तुम्हारे पग न धरे। परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 ...
पथ तुम्हारा प्रशस्त है
कविता

पथ तुम्हारा प्रशस्त है

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** श्रम पथ पर चलने वाले स्वेद बिंदु से धरा चमकाते हो रक्त बिंदु तुम्हारी नव निर्माण का आव्हान करे खेत, खलिहान, सड़क, कल कारखानों का संधान करे सीने में धधकती ज्वाला लिए जहां भी धरते तुम पग बन जाता है वहीं अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ हार न तुमने कभी मानी चले जब-जब रोज़ी रोटी की शान बनी श्रम वीर बन तुम मुसकाए निज गौरव को भी समेट लाए पथ तुम्हारा प्रशस्त है श्रम की भागीदारी का शोर है रज को जब तुम स्वर्ण बनाते हो क्यूं दामन अपना बिछाते हो श्रम पथ पर चलने वाले स्वेद बिंदु से धरा तुम चमकाते हो ।। परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने प...
रा म जैसे सुंदर दो अक्षर
स्तुति

रा म जैसे सुंदर दो अक्षर

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** रा म जैसे सुंदर दो अक्षर छत्र, मुकुट, मणिरुप हैं सबसे ऊपर धारण करते नर नारायण श्री राम रघुकुल के नामी, रघुनाथ श्री राम मन मोह बसते हैं, मनोहर श्री राम सुंदर, चितवन नयन राजीव लोचन श्री राम द्युति दे सूर्यवंश को भानुकुल भूषण श्री राम शर, चाप, बल धर धनुर्धर श्री राम मर्यादा की ध्वजा लहराते, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम राम नाम जप कलि काल में कल्प तरु श्री राम चंद्र हास को मान देते, रामचन्द्र श्री राम दया, करुणा का कोष बिखराते, करुणानिधान श्री राम सत,रज,तम निधान त्रिगुण श्री राम जीत क्रोध, ल़ोभ, मोह, जितेंद्रिय श्री राम दैहिक, दैविक, भौतिक ताप हर तारणहार श्री राम मन मोह जानकी का, जानकीवल्लभ श्री राम राम, रमापति स्त्री धन को देते मान सिया-राम हैं जय जय श्री राम जय-जय श्री राम हैं सियाराम। परि...
नव बना रहे हिंदुस्तान
कविता

नव बना रहे हिंदुस्तान

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** संवत् विक्रम, करते हैं तुमको नमन नव ऊष्मा बन लाए नव चितवन है तुमसे नवागत गुड़ी पड़वा चैत्र नवरात्र का है जलवा बैसाखी करती मन पुरवा राजीव लोचन आए पलना झूलेलाल की झांकी महान् नवरोज की भी रखते शान आम्रफल से सज गया उपवन देखो, नव पल्लव, नव धान वसुधैव कुटुंबकम् की तुम पहचान नव निधि साथ लिए नव बना रहे हिंदुस्तान। परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप...
मन पलाश बन गया
कविता

मन पलाश बन गया

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** रंग को तुम्हारे मैंने अपने में समा लिया रंग तुमने डाला ऐसा, मन पलाश बन गया अबीर, गुलाल या रंग हो हरा सारे रंगों ने रंगी कर दिया जिया मेरा रंग को तुम्हारे मैंने अपने में समा लिया सामने बैठ कर तुमने लालिमा बना दिया सुर्ख लब किए और रुखसार भी रंग दिया रंग को तुम्हारे मैंने अपने में समा लिया होली है या नज़र की पिचकारी तुम्हारी छिन-छिन, पल-पल हो रही बावरी तुम्हारी रंग गिरते रहे और छा गई खुमारी इंद्रधनुष सा तुम्हारा मन, जीवन सतरंगी कर गया तन मन तो क्या तुमने, वजूद भी रंग दिया रंग को तुम्हारे मैंने अपने में समा लिया परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आ...
ताड़न की अधिकारी
लघुकथा

ताड़न की अधिकारी

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर होने वाले एक कार्यक्रम में मैं रचना पाठ के लिए आमंत्रित की गई थी। वहां जाने के लिए तैयार होते हुए ही सोच रही थी कि मुझे अपनी कौन सी रचना सुनानी चाहिए। कभी-कभी स्वांत: सुखाय कविताएं मैं लिखती हूं, मगर मंच से सुनाने का पहला अवसर था अतः बहुत उत्साहित थी। तभी गुस्से से चिल्लाते हुए विनोद की आवाज सुनाई दी। "अरे ! कहां हो भाई! कितनी ‌देर से आवाज लगा रहा हूं।" आवाज़ सुनकर मैं तैयार होते हुए रुक गई। बोलो क्या बात है? "तुमको कोई होश है? महिला दिवस, महिला दिवस बस! क्या है यह महिला दिवस ! तुम औरतें भी ना ! पता नहीं कौन सा फितूर सवार है ! घर के काम-काज तो ठीक से हो नहीं पाते। चलीं हैं महिला दिवस मनाने। तुलसीदास जी ने सही कहा है- ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी सब ताड़न के अधिकारी।। यह सुनते ही...
शूरवीर भारत के
कविता

शूरवीर भारत के

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** शूरवीर तुम भारत के जिस पथ पर तुम चल दिए वीर गति को पा गए कण-कण को नतमस्तक कर गये शूरवीर तुम भारत के जान हथेली पर रख मुस्काए ना देखे दिन और रात तुम केवल रिपुदमन बन गए शूरवीर तुम भारत के देश के दिल की धड़कन बन जन-गण को तुम जिला गये ध्वज तिरंगे में लिपट भारत मां का अंक पा गए शूरवीर तुम भारत के परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@...
शारदा सुता
कविता

शारदा सुता

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** थी वह तो भारत रतन आभा जिसकी फैली दिग् दिगन्त जब ताल ने बदली करवट हेमा, लता बन मुस्काई सुर साम्राज्ञी वह तो युगों-युगों तक दिलों में छाई भारतीय संस्कृति की थी पहचान भारत माता का जग में बढ़ाया मान कोयल सी मीठी रसभरी स्वर कोकिला वह कहलाई त्याग और प्रेम की मूरत महकती रहेगी तब तक तारे हैं जब तक जमीं पर शारदा सुता वह तो मां शारदा मेंं ही समाई परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानिया...
तुम आओ चाहे चुपचाप
कविता

तुम आओ चाहे चुपचाप

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप मैं सुनती हूं कण कण में तुम्हारी पदचाप बीत गया पतझड़, खिलखिला रहे पलाश बीता सबका कल ,अब क्यों हो कोई उदास कल ‌का यह बीतना सुनाता तुम्हारी पदचाप हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप वासंती बयार फैल रही चंहु ओर मेरी धानी चुनरिया उड़ उड़ जाती पी की ओर पवन सुनाती तुम्हारी पदचाप हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप खेतों की पीली सरसों ज्यों खिल रही खिन्न उदासी की छाया भी दूर हो रही सरसों की खुशहाली सुना रही तुम्हारी पदचाप हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप आम्र तरु यूं लदा मोरों से नाच उठा मन मेरा जोरों से आम्र आने की यह सुवास महका रही मेरी हर सांस हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप कोयल कूक कूक कर घोल रही मिठास कोयल का यह अमृत रस छलक रहा आसपास हे ऋतुराज तुम आओ चाहे चुपचाप भंवरे की गुनगुन ज...
तेजोपुंज महान्
कविता

तेजोपुंज महान्

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** सप्त घोड़ों पर सवार जब तुम आते नभ पर हर बार जीवन, कालचक्र, तेज और बल सबके बन जाते संबल गतिमान् तुम, जगत् प्रकाशक तुम रवि, आदित्य, दिवाकर ,विवस्वान अनेक शुभ नामों से होता तुम्हारा गुणगान धरा हमारी घूम घूम कर लगाती फेरे चारों ओर पा कर नव ऊष्मा तुमसे बांध रही सबके जीवन की डोर सृष्टि के तुम पालनहार न तुमको कोई मान गुमान उदय होते, अस्त होते रहते सदा एक समान बादलों को भी देना है मान तुमने कर लिया है यह ठान जब वे आते आसमान खुश हो दे देते तुम अपना स्थान सर्वशक्तिमान तुम, तेजोपुंज हो महान् ।। परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
नव बना रहे हिंदुस्तान
कविता

नव बना रहे हिंदुस्तान

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** संवत् विक्रम करते हैं तुमको नमन आनंद बन लाए नव चितवन है तुमसे नवागत गुड़ी पड़वा चैत्र नवरात्र का है जलवा बैसाखी करती मन पुरवा राजीव लोचन आए पलना झूलेलाल की झांकी महान् नवरोज की भी रखते शान आम्रफल से सज गया उद्यान देखो, नव पल्लव, नव धान वसुधैव कुटुंबकम् की तुम पहचान नव निधि साथ लिए नव बना रहे हिंदुस्तान https://youtu.be/0GKyIN1ETfA परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gm...