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Tag: डॉ. दीपा कैमवाल

यूँ ना बदला करो
कविता

यूँ ना बदला करो

डॉ. दीपा कैमवाल दिल्ली ******************** मौसम की तरह आप यूँ ना बदला करो आ जाओ लौटकर अब यूँ ज़िद्द ना करो।। हो रही देर अब यूँ न रुसवा करो मुँह से कुछ तो कहो चाहे शिक़वा करो। मुखातिब हूँ मैं तेरी मजबूरियों से ना चाहकर भी हैं दरमियाँ जो उन दूरियों से। काली ज़ुल्फ़ों में बिखर आई है अब चांदनी जाने से पहले हाले बयां कुछ करो। दे जाए सुकूं ऐसा कुछ तो कहो आती-जाती सांसों से छल अब ना करो। इम्तिहां हो गयी अब तो आके मिलो दिल-ए-नाचीज़ से आज कुछ तो कहो। जो दिया था कभी तुम्हे वक़्त उसकी कद्र कुछ तो करो मौसम की तरह यूँ ना बदला करो..... छोड़ो जाओ हमे बात करनी नहीं आपका होना नहीं आपमें जीना नहीं अब मुलाक़ात की आरज़ू करनी नहीं। है बदल जो गया उसमें खोना नहीं उसमें जीना नहीं उसमें मरना नहीं भूलकर भी उसे याद करना नहीं। प्रेम पर लिख दिए चं...
अनमोल हिंदी
कविता

अनमोल हिंदी

डॉ. दीपा कैमवाल दिल्ली ******************** क्यूं सिसके हिंदी कोने में? उससे बढ़कर जब न भाषा कोई। है गर्व हमें हिंदी पर है हर भारतवासी की पहचान यही। भावों की सुंदर अभिव्यक्ति जिसका है नहीं सानी कोई। संस्कार समाहित हैं जिसमें अनमोल, अमिट आभा इसकी। मुखरित होती मानवता जिसमें मनुष्यता की पहचान यही। जो लोग हीन खुद को पाते उनसे बढ़कर नहीं अनभिज्ञ कोई। माँ कहीं भुलाई जाती है क्या उसको छोड़ा जाता है। तुम भूल गए वो ना भूली बच्चों से क्या उसका नाता है। वो दुलार कहाँ से लाओगे आँचल में किसके समाओगे। मत मूर्ख बनो कुछ तो समझो उसके महत्व को अब तो समझो। वो तो है अनमोल कहीं विचरण करते जहां भाव सभी। भाषाएं कितनी कितनी बोली माँ से बढ़कर कब कोई हुई। इसका तो स्थान सबसे ऊपर ईश्वर के बाद अनमोल यही। आगे बढ़ने की चाहत में प...