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Tag: डॉ. जबरा राम कंडारा

बिन शिक्षा बेकार
कविता

बिन शिक्षा बेकार

डॉ. जबरा राम कंडारा रानीवाड़ा, जालोर (राजस्थान) ******************** बिन शिक्षा बेकार, होय नाकारा जैसा। नही मिले सम्मान, पास हो बहु धन पैसा।। पढ़ा-लिखा जो खूब, मान उसका बढ़ जाता। पद कद ऊंचा होय, सभा में वो चर्चाता।। है शिक्षा में सार, बाल उसके सब पढ़ते। सब करते तारीफ, पैर निज मंजिल चढ़ते।। काम बने आसान, मिटे सारी दुविधाएं। सुख भोगे संसार, पाय सारी सुविधाएं ।। पढ़ता वेद पुराण, कुरान बाइबिल गीता। पाये ज्ञान अपार, आधुनिक और अतीता।। बन महान विद्वान, नाम जग में चमकाये। ये सकल करामात, पढा है वो कर पाये।। है बाघिन का दूध, पीये वो दहाड़ेगा। वो ही भाषणवीर, बात कहे लताड़ेगा।। परिचय :- डॉ. जबरा राम कंडारा पिता : सवा राम कंडारा माता : मीरा देवी जन्मतिथि : ०७-०२-१९७० निवासी : रानीवाड़ा, जिला-जालोर, (राजस्थान) शिक्षा : एम.ए. बीएड सम्प्रति : वरिष्ठ अध्यापक कवि, लेखक, समीक्षक। ...
चूड़ियां
कविता

चूड़ियां

डॉ. जबरा राम कंडारा रानीवाड़ा, जालोर (राजस्थान) ******************** नारी के हाथ की शौभा, सौभाग्य की प्रतीक। पर्वों पर सज-संवर के, जाय होती सरीक।। रंग-बिरंगी चूड़ियां कई, मिलती है बाजार। कांच प्लास्टिक दांत की, ओर अनेक प्रकार।। बेशकीमती आकर्षक, नग जुड़े कई भांत। चलन नही महंगा बहुत, चुड़ला हाथी दांत।। चूड़ी की खनक सुन के, उमड़े प्रीत अपार। नारी के लिए खास गहना, सौंदर्य का निखार।। चूड़ी खनके मस्त लगे, खनक सुहावै खूब। चूड़ी के संग मुस्कान हो, बेहद खुश महबूब।। परिचय :- डॉ. जबरा राम कंडारा पिता : सवा राम कंडारा माता : मीरा देवी जन्मतिथि : ०७-०२-१९७० निवासी : रानीवाड़ा, जिला-जालोर, (राजस्थान) शिक्षा : एम.ए. बीएड सम्प्रति : वरिष्ठ अध्यापक कवि, लेखक, समीक्षक। रचना की भाषा : हिंदी, राजस्थानी विधा : कविता, कहानी, व्यंग्य, लघु कथा, बाल कविता, बाल कथा, लेख। प्रकाशित : ...
मुझको दुनिया में आने दो
कविता

मुझको दुनिया में आने दो

डॉ. जबरा राम कंडारा रानीवाड़ा, जालोर (राजस्थान) ******************** मुझको दुनिया में आने दो। बेटी का हक बस पाने दो।। सज-धज के शाला जाने दो। पढ़-लिख के आगे आने दो।। अपनी प्रतिभा बढवाने दो। ऊंचा पद मुझको पाने दो।। पैरों पे होय खड़ी जाने दो। कमाऊंगी कुछ कमाने दो।। जग में मुझको चर्चाने दो। रुतबा अरु रौब जमाने दो।। स्वतंत्र बनूं उड़ जाने दो। चिड़िया सा गाना गाने दो।। खुशियों के संग छाने दो। पर्व-उत्सव भी मनाने दो।। सबके मन को बहलाने दो। दादी को लाड़ लड़ाने दो।। सबका मुझे प्यार पाने दो। अपनी भी बात बताने दो।। मुझे दांव-पेश लड़ाने दो। अपना हुनर दिखलाने दो।। मयूरी सा नृत्य दिखाने दो। कोयल सा राग सुनाने दो।। मुझको भी स्वप्न सजाने दो। हंसने और मुस्कुराने दो।। परिचय :- डॉ. जबरा राम कंडारा पिता : सवा राम कंडारा माता : मीरा देवी जन्मतिथि : ०७-०२-१९७० निवा...
खुशियों का स्पंदन
कविता

खुशियों का स्पंदन

डॉ. जबरा राम कंडारा रानीवाड़ा, जालोर (राजस्थान) ******************** दिल में खुशियों का स्पंदन। नूतन वर्ष का करें अभिनंद।। सभी सुखमय निरोगी हो। षटरस भोजन भोगी हो।। स्वछंद मस्त होकर घूमे। सफलता कदमों को चूमे।। विपदा-बाधाएं दूर रहे। खिले चेहरा मुख नूर रहे।। सबके सारे ही काज सरे। अन्न-धन से भंडार भरे।। फले कामना सबकी सारी। हर कोई बानी बोले प्यारी।। सुखमय हो ये जग सारा। एक रहे सदा देश हमारा।। परिचय :- डॉ. जबरा राम कंडारा पिता : सवा राम कंडारा माता : मीरा देवी जन्मतिथि : ०७-०२-१९७० निवासी : रानीवाड़ा, जिला-जालोर, (राजस्थान) शिक्षा : एम.ए. बीएड सम्प्रति : वरिष्ठ अध्यापक कवि, लेखक, समीक्षक। रचना की भाषा : हिंदी, राजस्थानी विधा : कविता, कहानी, व्यंग्य, लघु कथा, बाल कविता, बाल कथा, लेख। प्रकाशित : माणक, जागती जोत, शिविरा, सुलगते शब्द (संकलन में) व मासिक पत्रिका...