खण्डहर
डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)
********************
लोग मुझे खण्डहर कहते हैं
कुछ अनजान से होते हैं,
खण्डहर समझ कर
मुझे ठुकरा कर,
आगे बढ़ जाते हैं
जानते नहीं वो,
मैं भी था कभी
एक आलीशान महल,
राजसी ठाठ
कभी मेरा भी था यौवन,
मैं भी सिर उठा
खड़ा अभिमान से
देखता, हर कोई
मुझमें झाँकने का
साहस न बटोर पाता।
किंतु, समय के गर्त ने
मृत्यु के समान
अपने अंक में मेरा
रूप समेट लिया।
आज सभी मुझे
बाहर से देख कर
आगे बढ़ जाते हैं !
मानव भी तो
शव हो जाता है
श्रद्धांजलियाँ अर्पित
करते हैं हज़ारों,
और मेरे इस शव की?
उपेक्षा करते हैं,
क़दम एक भी रखते नहीं
जिससे वो मलिन न हो जाए।
रूप दोनों का एक ही,
पर स्वागत ?
कैसा है प्रकृति का
व्यंग्य !!
परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी ...