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Tag: डाॅ. दशरथ मसानिया

हिन्दी चालीसा
दोहा

हिन्दी चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* तैंतिस व्यंजन को गिने, ग्यारह स्वर पहिचान। अं अः है आयोगवह, चार संयुक्त जान।। ड़ ढ़ को मत भूलिये, हिंदी अक्षर ज्ञान। बावन आखर जानिये, कहत हैं कवि मसान।। जय कल्याणी हिंदी माते। तुमको नित विज्ञानी गाते।।१ व्याकर तीनों भाग बताये। वरण शब्द अरु वाक्य कहाये।।२ वर्णों का जब होता मेला। संधि का है यही झमेला।३ तीन भेद संधी है भाई। स्वर व्यंजन विसर्ग कहाई।।४ बहु तत् द्विगु अरु कर्मधराये। अव्यय द्वन्द्व समास बनाये।।५ उपसर आगे प्रत्यय पीछे। तत्सम मूला तद्भव रीझे।।६ वाक्य की परिभाषा जानो। सरल संयुक्त मिश्रा मानो।।७ सकल नाम संज्ञा कहलाते। सर्वनाम बदले में आते।।८ किरिया कर्म करत है भाई। विशेषण रंग रुप गहराई।९ अल्प अर्द्ध अरु पूर्ण विरामा। योजक कोष्ट प्रश्न निशाना।।१० गुरु कामता व्याकरण दाता। भाषा नियमा रचा विधाता।।११ नागरी देव लिपि है आली...
बेटी चालीसा
दोहा

बेटी चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* बेटी तीनो तीनों देव हैं, ब्रह्मा विष्णु महेश। बेटी धरती की धुरी, धारे रूपहि शेष।। जय जय जय बेटी महरानी। लछमी दुर्गा शारद जानी।।१ उल्लू सिंह है वाहन तेरे। हंस सवारी विद्या मेरे।।२ सरस्वती बन विद्या देती। लक्ष्मी बन भंडारे भरती।।३ अंजनि बन हनुमान पठाये। जग में सबके काम बनाये।।४ वेद पुराण सदा जस गावे।। ब्रह्मा विष्णु पार न पावे।।५ रिद्धि सिद्धि गणराज बखानी। बेटी शक्ती रूप भवानी।।६ जब वह रणचंडी बन जाती। दुर्गा बनके शस्त्र चलाती।।७ दुर्गावती झांसी की रानी। इतिहासों ने कही कहानी।।८ बेटी गंगा बेटी जमना । बेटी रेवा कृष्णा सपना।।९ बेटी काली जग कल्याणी। सीता उमा अरु ब्रह्माणी।१० मंदोदरी कुंती अरु तारा। अहिल्या द्रोपति है पंचारा।।११ बेटी करुणा बेटी माया। सारे जग को पार लगाया।।१२ दुख तारा दमयंती रानी। लीलावत ने सत्य बखानी।१३ धरती जै...
गाँधी  चालीसा
कविता

गाँधी चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* सत्य धरम अरु राष्ट्रहित, गाँधी का अवतार। भौतिक सुख साधन तजे, राखे उच्च विचार।। जय जय प्यारे बापू गाँधी। सत्य अहिंसा की तुम आँधी।।१ भारत माता के तुम पूता। बने जगत के शांति दूता।।२ जन्मे मोहन दो अक्टोबर। सन अट्ठारह सौ उनहत्तर।।३ पितु करमचन्द पुतली माता। तुम जन्मे पोरा गुजराता।।४ हरिश्चंद्र जब नाटक देखा। जाना जीवन सांचा लेखा।।५ भक्त श्रवण की कथा सुहाई। मात पिता की सेवा भाई।।६ संस्कार बचपन से पाया। साफ छवि का चरित्र बनाया।७ शाला में जब नाम लिखाया। सीधा बालक गुरु को भाया।।८ एक निरीक्षक शाला आये। शिक्षक देख तुरत घबराये।९ केपिटल लिखना नही आया। नकल त्याग ईमान दिखाया।।१० कॉलेज की जब शिक्षा पाई। विधि की सीख विलायत जाई।११ लंदन में जब करी पढ़ाई। तीन बात मां ने समझाईं।।१२ परनारी से दूरी रखना। मदिरा मांस कभी न चखना।१३ सादा जीवन उच्च व...
दक्ष चालीसा
दोहा

दक्ष चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* ब्रह्म कमल से ऊपजे, प्रजापति महाराज। चार वरण शोभित किया, करता नमन समाज।। जय जय दक्ष प्रजापति राजा। जग हित में करते तुम काजा। वेद यज्ञ के तुम रखवारे। कारज तुमने सबके सारे।।२ दया धरम का पाठ पढाया। जीवन जीनाआप सिखाया।३ प्र से प्रथम जा से जय माना। अति पावन है हमने जाना।४ पूनम गुरू असाड़ी आना। जा दिन को प्रगटे भगवाना।५ पीले पद पादुका सुहाये। देह रतन आभूषण पाये।।६ रंग गुलाबी जामा पाई। पीतांबर धोती मन भाई।।७ कनक मुकुट माथे पर सोहे। हीरा मोती माला मोहे।।८ सौर चक्र भक्ति का दाता। पांच तत्व में रहा समाता।।९ चंदन तिलक भाल लगाई। कृष्ण केश अरु मूंछ सुहाई।१० बायें भुजा कृपाण को धारे। दाहिने हाथ वेद तुम्हारे।११ ब्रह्मा आपन पिता कहाये। विरणी से तुम ब्याह रचाये।१२ पुत्र सहस दस तुमसे आये। कन्या साठ रही हरषाये१३ हरिश्चंद्र ने सत को साधा। प...
बुद्धिमान बालक
बाल कहानियां

बुद्धिमान बालक

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* बहुत पुरानी बात है। दक्षिण भारत में एक दयालु, न्यायप्रिय, प्रजा हितेषी एक राजा थे। उन्हें पशु-पक्षियों से बहुत प्यार था। वे पशु-पक्षियों से मिलने के लिए वन में जाते थे। हमेशा की तरह एक दिन राजा पशु-पक्षियों को देखने के लिए वन में गए। अचानक आसमान में बादल छा गए और तेज-तेज बारिश होने लगी। बारिश होने के कारण उन्हें ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, राजा रास्ता भटक गए। रास्ता दूंढते-ढूंढते किसी तरह वे जंगल के किनारे पहुंच ही गए। भूख-प्यास और थकान से बेचैन राजा, एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गए। तभी राजा को उधर से आते हुए तीन बालक दिखाई दिए। राजा ने उन्हें प्यार से अपने पास बुलाया, बच्चों यहां आओ। मेरी बात सुनो। तीनों बालक हंसते-खेलते राजा के पास आ गए। तब राजा बोले-मुझे बहुत भूख और प्यास लगी है, क्या मुझे भोजन और पानी मिल सकता है। बालक बोले, ...
बेटी स्कूल में
बाल कविताएं

बेटी स्कूल में

  डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* पाॅच बरस पूरे भये, बेटी गई स्कूल। गिनती गिनना सीखती, नहीं करती हैं भूल।। बोली बोले तोतली, भाषा अंग बनाय। टन टन घंटी की सुने, दौड़त दौड़त आय।। बेटी ठाड़ी सावधान, जन गण मन को गाय। कॉपी पेंसिल हाथ में, आम अनार बनाय।। इमली खट्टी जान के, रहती इससे दूर। उल्लू औरत सीख गइ उच्चारण भरपूर।। ए बी सी डी रटत है, पोयम करती गान। हाथ धोए भोजन करें, बोतल पीवे पानि। खेल खेलती रेस्ट में, रहती नंबर एक। गुड्डा गुड़िया साथ हैं, राखे अपनी टेक।। परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से हिं...
श्री राम चालीसा
दोहा

श्री राम चालीसा

  डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* रघुकुल वंश शिरोमणी, मनुज राम अवतार। मर्यादा पुरुषोत्तमा, कहत है कवि विचार।। जै जै जै प्रभु जय श्रीरामा। हनुमत सेवक सीता वामा।।१ लछमन भरत शत्रुघन भ्राता। मां कौशल्या दशरथ ताता।२ चैत शुक्ल नवमी सुखदाई। दिवस मध्य जन्में रघुराई।।३ नगर अवध में बजी बधाई। नर नारी गावे हरषाई।।४ दशरथ कौशल्या के प्राणा। करुणा के निधि जनकल्याणा।।५ श्याम शरीरा नयन विशाला। कांधे धनुष गले में माला।।६ काक भुसुंड दरश को आते। शिव भी जिनकी महिमा गाते।।७ विश्वामित्र से शिक्षा पाई। गुरु वशिष्ठ पूजे रघुराई।।८ बालपने में जग्य रखवाये। ताड़क बाहू मार गिराये।।९ गौतम नारी तुमने तारी। चरण धूल की महिमा भारी।।१० मुनि के संग जनकपुर जाई। शिव का धनुष भंग रघुराई।।११ सीता के संग ब्याह रचाया। जनक सुनेना के मन भाया।।१२ मिथिला नगरी दरशन प्यारे। नर नारी सब भये सुखारे।।...
श्री रामदेव चालीसा
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श्री रामदेव चालीसा

  डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. *******************      रामदेव जयंती पर विशेष २०/८/२० कलि काल प्रभु जन्म लिया, राम देव अवतार। जन जन के तो दुख हरे, दुष्टन को संहार।। जब जब होय धरम की हानी। करते रक्षा प्रभु जग आनी।। जय जय रामा पीड़ा हारी। भक्तन के तुम हो हितकारी।। भादो शुक्ला दूज सुहाई। संवत चौदह बासठ भाई।। बाड़मेर में उण्डू ग्रामा। जन्मे रामदेव भगवाना।। राजा रुणिचा मनुज सुधारक। दीन दुखी के पीड़ा हारक।। मैना देवी राज कुमारा। अजमल जी के घर अवतारा।।। अजमल मैना तप को जाई। पुरी द्वारका अरज लगाई।। कृष्ण मुरारी दे वरदाना। ईश अंश जन्में भगवाना।। बहिना सुगना लाछो बाई। वीरमदेवा थे बड़ भाई।। पांच पीर मक्का से आये। बाबा से परचा करवाये।। मांगे बर्तन निज के अपने। भाजन पाये जैसे सपने।। अमरकोट की राजकुमारी। बेटी थी नेतलदे प्यारी।। राजा ने पंडित भिजवाया। पाती राम ब्याह की लाया।। अ...
सूर्यकांत निराला चालीसा
दोहा

सूर्यकांत निराला चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* शारद सुत को नमन करुं, कीना जग परकाश। सूर अनामी गीतिका, परिमल तुलसीदास। अणिमा बेला अर्चना, चमेली अरु सरोज। गीत कुंज आराधना, सूरकांत की खोज।। हिन्दी कविता छंद निराला। सूर्यकांत भाषा मतवाला।। बंग भूमि महिषादल भाई। मेंदनपुर मंडल कहलाई।। पंडित राम सहाय तिवारी। राज सिपाही अल्प पगारी। इक्किस फरवरी छन्नु आई। पंच बसंती दिवस सुहाई।। बालक सुंदर जन्मा भाई। सकल नगर में बजी बधाई।। जनम कुंडली सुर्ज कुमारा। पीछे सूर्यकांत उच्चारा।। बालपने में खेल सिखाया। कुश्ती लड़के नाम कमाया।। हाइ इस्कूल करी पढ़ाई। संस्कृत बंगला घर सिखलाई ।। धीरे-धीरे विपदा आई। संकट घर में रहा समाई।। तीन बरस में माता छोड़ा। बीस साल में पिता विछोहा।। पंद्रह बरस में ब्याह रचाया। वाम मनोहर साथ निभाया।। पत्नी प्रेरित हिंदी सीखी। सुंदर रचना रेखा खींची।। शोषित पीड़ित कृषक लड़ाई। छोड़ न...
प्रेमचंद चालीसा
दोहा

प्रेमचंद चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* उपन्यास व गद्य कथा, हिन्दी का उत्थान। प्रेमचंद सम्राट हैं,कहत है कवि मसान।। प्रेम रंग सेवा सदन, प्रेमाश्रम वरदान। निर्मल काया कर्म प्रति, मंगल गबन गुदान।। प्रेमचंद लेखक अभिनंदन। हिन्दी विद्जन करते वंदन।।१ डाक मुंशी अजायब नामा। जिनकी थी आनंदी वामा।।२ मास जुलाई इकतिस आई। सन अट्ठारह अस्सी भाई।।३ उत्तर लमही सुंदर ग्रामा । प्रेमचंद जन्मे सुखधामा।।४ धनपतराया नाम धराये। पीछे नवाबराय कहाये।।५ सन अंठाणु मैट्रिक पासा। बनके शिक्षक बालक आशा।।६ इंटर की जब करी पढ़ाई। दर्शन अरु भाषा निपुणाई।।७ सात बरस में माता छोड़ा। चौदह पिता गये मुख मोडा।।८ दर दर की बहु ठोकर खाईं। बाला विपदा खूब सताईं।।९ बाल ब्याह से धोखा खाया। पीछे विधवा को अपनाया।।१० शिवरानी को वाम बनाये।। श्रीपत अमरत कमला पाये।।११ सन उन्निस शुभ साल कहाया। सोजे वतन देश में छाया।।१२...
नानकदेव चालीसा
कविता, चौपाई

नानकदेव चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* आदिगुरु हैं नानका, पीछे अंगद देव। अमरदास गुरू रामजी, पंचम अर्जनदेव।। हरगोविन्द हररामजी, हरकिशन अरु तेग। दशम गुरु गोविन्दजी, हरते पीडा वेग।। जय जय जय गुरुनानक देवा। प्रभु की वाणी मानव सेवा।। रावी तट तलवंडी ग्रामा। गुरु जनमें पावन ननकाना।। सन चौदह उनहत्तर साला। कातिक पूनम भया उजाला।। कालू मेहता घर अवतारा। मां तृप्ता की आंखों तारा।। देवी सुलछणी धरम निभाये। श्रीचंद लखमी दो सुत पाये।। गुरु गोपाला पाठ पढाये। नागरि लिपि आखर समझाये।। नानक नितनव प्रश्न बनाते । शिक्षक सब सुनके घबराते।। हिंदी संस्कृत फारस सीखा। सबमें एक प्रकाश ही दीखा।। लिपि गुरुमुख भाषा पंजाबी। जागा ज्ञान कुशंका भागी।। अ अविनाशी सत्य है भाई। जो सतनाम तुम्ही बतलाई।। नाच भांगडा लंगर द्वारा। सिख संगत गावे संसारा।। वाहेगुरु सतनाम बताया। छोड़ अहम ओंकार सिखाया।। पंथ ...