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40 साल बाद
दोहा

40 साल बाद

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* कपिलदेव नायक बने (विश्वकप विजय २५.६.१९८३) तरासी के साल में, आया था भूचाल। कपिलदेव नायक बने, भारत मां के लाल।। साठ साठ के मेच में, करते बेड़ा पार। किरकेट के बजार में, भारत की सरकार। पौने दो सौ रन बना, नया रचा इतिहास। विश्वकप को जीत के, लीनी थी फिर सांस।। टी-ट्वन्टी की क्या कहूँ, चौकों की बौछार। छक्के भी तो छूटते, बालर हा हा कार।। दो हजार अरु सात में, आया धोनी राज। बीस-बीस के मेच में, भारत के सिर ताज।। दो हज्जार एकादशा, बरस अठाइस बाद। तेंदुलकर की टेक थी, भारत कप निर्बाध।। हसन का बंगला ढहा, अंग्रेजन टकरार। आयरिश भी चले गये, डच भी भये किनार।। अफरीका भारी पड़ा, फिर भी कटी पतंग। इंडीजवेस्ट पिट गया, रहा नहि कोइ संग।। पोंटिंग आउट भये, अफरीदि गये हार। संगकारा संघर्ष में, छूट गई तलवार।। ...
महाप्रभु वल्लभ चालीसा
दोहा

महाप्रभु वल्लभ चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* श्री वल्लभ सुमिरन करुं, मनुज रूप अवतार। लीला राधे श्याम की, कीनी जग विस्तार।। जयजय महप्रभु वल्लभदेवा। पुष्टि मार्ग को तुम्ही सेवा।।१ इलम्मागारु कोख से आये। लक्षमन भट्ट पिता कहाये।।२ संवत पंद्रह सौ पैंतीसा। एकादशी को जन्में ईशा।।३ कृष्णा पक्ष मास बैसाखा। धरम महीना जग की आशा।।४ जिला रायपुर चम्पा ग्रामा। आये वल्लभ जन कल्याणा।।५ गोपाल कृष्ण कुल के देवा। मातु पिता सब करते सेवा।।६ गुरु मंगला विल्व पढ़ाया। अष्टादश का मंत्र बताया।।७ काशी में प्रभु विद्या पाई। अल्पकाल में करी पढ़ाई।।८ स्वामी नारायण दी शिक्षा। तिरदंडा संयासी दिक्षा।।९ ब्रह्मसूत्रअणु भाष्य बनाया। उत्तर मीमांसा कहलाया।।१० भगवत टीका की कर रचना। तत्व अर्थ दीपा का लिखना।।११ अग्निदेव अवतारा भाई। जगत गुरु की पदवी पाई।।१२ काशी अं...
पर्यायवाची शब्द चालीसा
दोहा

पर्यायवाची शब्द चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* कृष्ण कंहैया श्याम अरु, मोहन बृज गोपाल। दीनबंधु राधारमण, दुखहारक नंदलाल।। पर्यायवाची में लखो, बहु शब्दों का ज्ञान । भाषा की कर साधना, कहत हैं कवि मसान।। सरस्वती भारति मां शारद। ब्रह्मासुत ज्ञानी मुनि नारद।।१ पवनतनय कपिपति हनुमाना। राघव रघुवर राजा रामा।।२ स्वामी पति नाथ अरू कंता। साधू मुनि यति ज्ञानी संता।।३ विष्णुपगा गंगा सुरसरिता। कुंजा उपवन बाग बगीचा।।४ सोम सुधाकर शशि राकेशा। राजा भूपति भूप नरेशा।।५ वानर बंदर मर्कट कीशा। ईश्वर भगवन प्रभु जगदीशा।।६ पुत्र तनय सुत बेटा पूता । कोकिल कोयल पिक परभूता।।७ विष्णु चतुर्भुज हरी चक्रधर। वारिद बादल नीरद जलधर।।८ गणपति गणनायक लंबोदर। भ्राता भाई बंधु सहोदर।।९ सर तालाब सरोवर पुष्कर। आशुतोष शिव शंभू शंकर।।१० जहर हलाहल विष की धारा। बैरी दुश्मन शत्रु ...
वचनों को भी जानो भाई
कविता

वचनों को भी जानो भाई

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* जब भाषा में संंख्या पाते। तब वचनों की महिमा गाते।। जयजयजय वचन महाराजा। कम ज्यादा का बजता बाजा।। एक बहु अरू द्वि कहलाते। पर हिन्दी में दो ही आते।। दो प्रकार के होते वचना, हिन्दी में इनकी है रचना। एकवचन अरु बहु कहाते। भाषा में संख्या बतलाते।। एक वचन तो एक बताता। जैसे लड़का रोटी खाता।। बहूवचन तो बहुत बताते। जैसे लडकें रोटी खाते।। खेल खेलते कविता गाते नचते गाते खुशी मनाते।। शाला में दीदी समझाया। संख्या बोध तुरत कराया।। बच्चे ज्यादा दीदी एका। वचनों को हम गाकर सीखा।। हंसा बहिना ने बतलाया। हॅंसी-हॅंसी में हमें सिखाया।। परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है।...
शिक्षक चालीसा
दोहा

शिक्षक चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* पांच सितम्बर गुरुदिवस, राधा कृष्ण मनाय। शिक्षक सारे राष्ट्र का, निर्माता कहलाय।। जयजय गुरुवर शिक्षक भाई। सारा जग है करत बड़ाई।।१ गुरु विश्वामित द्रोण कहाये। सांदिपन ने कृष्ण पढ़ाये ।।२ तुम चाणक बन राष्ट्र बनाते। चन्द्रगुप्त को राज दिलाते।।३ तुम गुरुवर बन कला सिखाते। जनगणमण भी गान कराते।।४ राजनीति शिक्षा में आई। तब से गुरु की साख गिराई।।५ शिक्षक के हैं भेद अनेका। शिक्षा कर्मी गुरुजी एका।।६ संविदा उच्च सहायक जानो। व्याख्याता प्राचार्य बखानो।।७ अतिथि की नही तिथी बताते। जीवन दुखड़ा सभी सुनाते।।८ समय का फेर बदलते देखा। आय व्यय का करते लेखा।।९ कर्मचारी बन वेतन पाते। सकल योजना तुम्हीं चलाते।१० बच्चों को भोजन खिलवाते। मिड डे की भी डाक बनाते।।११ समग्र अयडी भी बनवाओ। ता पीछे मेपिंग करवाओ।।१२...
भादों की बरसात में
दोहा

भादों की बरसात में

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* भादों की बरसात में, मेरो मन हुलसाय। मोहन तेरी याद में, मोसे रहो न जाय।।१ बनो मेघ तुम दूतड़ा, जाव पिया के पास। प्रीतम के संदेश की, रहती मन में आस।।२ बरसाने की राधिका, नंद गांव के लाल। रिमझिम-रिमझिम बरस के, सबको करो निहाल।।३ राधा ने ऐसी करी, तुमसे कही न जाय। बंसी मुकुट छुड़ाय के, सखियां लई बुलाय।।४ घन बरसे घनश्याम से, मघा पूरवा साथ। ग्वाला घूमे गौ संग, लई लकुटिया हाथ।।५ वृंदावन की गलिन में, राधा संग गुपाल। बलदाऊ के संग में, गैया चारे लाल।।६ एक दिना की बात है, मोहन माखन खाय। पीछे आई गोपिका, मां को लिया बुलाय।।७ मैया से कहने लगी, चोरी करते लाल। देखें तो पति बंधे मिले, भाग गयो वो ग्वाल।।८ हाथ जोड़ कहने लगी, माफ करो अब श्याम। मैं तो मूरख गोपिका, तू जग को घनश्याम।।९ लाला तुम बड़ चतुर हो, हमें रहे भरमा...
गणित सूत्र को गाइये
दोहा

गणित सूत्र को गाइये

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* लंबाई चौड़ाई गुणा, क्षेत्रफल का मान। चाल समय का गुणा करें, दूरी का हो ज्ञान।।१ लंबाइ चौड़ाई अरु, ऊंचाई गुण आन। आयतना को पाइए, कहत हैं कवि मसान।।२ त्रिज्या पाई दो गुनी, वृत्त की परिधि जान। त्रिज्या दुगुनी व्यास है, कहत हैं कवि मसान।।३ आंकड़ों का योग करें, कुल संख्या का भाग। फिर औसत को पाइये, मिले गणित का राग।।४ दर समय अरू मूल का, गुणा करें सम्मान। सौ से भाग दीजिये, सरल ब्याज को आन।।५ गायन वाचिक परम्परा, भारत की पहिचान। गणित ज्ञान को गाइये, कहत हैं कवि मसान।।६ संकेत १. क्षेत्रफल=लंबाई×चौड़ाई २. दूरी=चाल×समय ३. आयतन=लंबाई×चौड़ाई ×ऊंचाई ४. वृत्त की परिधि= २πr या २×त्रिज्या ५. औसत=सब संख्याओं का योगफल/संख्याओं की संख्या ६. सरल ब्याज=मूलधन×दर×समय/१०० परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आ...
बारह पूनम जानिये
दोहा

बारह पूनम जानिये

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* हनुमत प्रगटे चैत में, बुद्ध बैसाख जान। जेठ कबिरा अवतरे, अषाढ़ व्यास महान।।१ सावन में राखी बंधे, भादों तर्पण दान। शरद पूर्णिमा क्वार की, वाल्मीक भगवान।।२ कार्तिक नानक जानिये, अगहन दत्त सुजान। पौष कहो शाकंभरी, माघ रैदास आन।।३ फागुन में होली जले, नाश बुराई जान। बारह पूनम जानिये, हिन्दी महिना ज्ञान।।४ परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से हिंदी गायन की विशेष विधा जो दोहा चौपाई पर आधारित है, चालीसा लेखन में लगे हैं। इन चालिसाओं को अध्ययन की सुविधा के लि...
चाय का महत्व
कविता

चाय का महत्व

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* चाय चतुर्भुज रूप है, कप नारायण जान। भगवन माया केटली, पीजे जल्दी छान।। रोज थकान मिटाती चाय। सबके मन को भाती चाय।।१ सुबह शाम दिन में चाय। रुकते काम बनाती चाय।।२ बाबू जी भी होटल जाय। फ़ाइल का सब हाल बताय।।३ वेटर कहता पीलो चाय। सबके होंश जगाती चाय।।४ जगते उठते चाय चाय। बच्चे बूढ़े सब चिल्लाय।।५ अब तो हमको देदो चाय। दादी-नानी मांगे चाय।।६ दादाजी पहले पी जाय। शौचालय से पहले चाय।।७ चाय-चाय जग चिल्लाय। मै भी रोज बनाता चाय।।८ अदरक कूटा डाली चाय। शकर दूध सही मिलाय।।९ कड़क उकाले वाली चाय। पत्नी पीके खुश हो जाय।।१० रेलों में भी मिलती चाय। घोल पाउडर तुरत पिलाय।।११ गुजराती की अच्छी चाय। मोदी जी की ऊंची चाय।।१२ जो दिल्ली तक ले जाय। जापानी भी पीते चाय।।१३ चीन अमरीका मांगे चाय। कोरोना को गि...
संधि और उसके भेद
कविता

संधि और उसके भेद

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* दो या दोधिक वर्ण से, मिलके संधी आन। वर्णो का ही खेल है, कहता सकल जहान ।।१ स्वर व्यंजन अरु विसर्ग, संधि भेद है तीन। शब्दों को विच्छेद कर, संधी होती छीन।।२ स्वर से ही जब स्वर मिले, स्वर संधी का आन। अच् हल् हल् हल् जब मिलें, व्यंजन संधी मान।।३ वरण बीच विसर्ग लगे, विसर्ग संधी आन। संधी तीनों जानिये, कहते संत सुजानन।।४ दीर्घ अयादि वृद्धि अरु, गुण यण को पहिचान। स्वर संधि के पाँच रूप, कहत हैं कवि मसान।।५ स्वर - विद्या+आलय = विद्यालय व्यंजन - जगत्+नाथ = जगन्नाथ विसर्ग - रामः+अयम् = रामोऽयम् परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्...
लता चालीसा
चौपाई

लता चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* (विनम्र शब्दांजलि) भारत मां की लाड़ली, गाये गीत हजार। सुर संगीत खजान है, कहत है कवि विचार।। हे सुर देवी कंठ सुहानी। लता नाम से सब जग जानी।। मास सितंबर सन उनतीसा। जन्मी बेटी सुर की धीसा।। इंदुर नगरी खुशियां छाई। मातु अहिल्या मन मुसकाई।। पंडित दीना पिता कहाये। मां सेवंती गोद खिलाये।। ज्योतिष हेमा नाम बताया। लता नाम को पिता धराया।। सुर कोकिल है नाम तुम्हारा। राग सुनाती नित नव प्यारा।। सुर सम्राज्ञी भारत कोकिल। मधुर कंठ से जीते सब दिल।। आशा, मीना, ऊषा बहिना। हृदयनाथ भाई जग चींहा।। पांच साल की आयु पाई। नाटक अभिनय धूम मचाई।। प्रथम गुरु थे तात तुम्हारे। जो संगीत कला रखवारे।। राग धनाश्री पिता सिखाया। फिर कपूरिया को समझाया।। तेरह बरस की उम्र थी भाई। पिता भूमिका आप निभाई।। सन पैंतालिस ...
सार-सार को जान लें
कविता

सार-सार को जान लें

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* गायन शोध नवाचार सकल नाम संज्ञा कहो, बदले सर्वनाम। करत काम किरिया लखो, कहत है कवि मसान।। व्यक्ति भाव जाति अरू, समूह द्रव्य को ज्ञान। पांच भेद संज्ञा कहो, कहत है कवि मसान।। निश्चय व अनिश्चय कहो, प्रश्न पुरुष निज जान। सर्वनाम के भेद छः, अंतिम संबंध मान।। कब कहां कैसे किसका, कौन कौनसा ज्ञान? क्या क्यों को भी जानिए, प्रश्नों की पहिचान?? कर्ता कर्म करण अरू, सम सम्बोधन जान। अपादान अधिकरण अरु, संबंध कारक मान।। परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से ह...
श्री गोवर्धन चालीसा
दोहा

श्री गोवर्धन चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* गोवर्धन गौआ चरण, घांस पात भंडार। कणकण में राधारमण, कहे मसान विचार।। जय जय गोवर्धन महराजा। ग्वालबाल के तुम ही राजा।।१ छप्पन भोग तुम्हें लगाऊं। नित उठ पूजा कर गुण गाऊं।।२ गौ माता के पालन हारा । घांस पात के तुम भंडारा।।३ पर्यावरण के हो तुम रूपा। छाया फल दे संत स्वरूपा।।४ जीव जन्तु के तुम रखवारे। पंछी करते कलरव सारे।।५ सात कोस की करे चलाई। कोई चलते दंडवत जाई।।६ लाल लंगुरों की चपलाई। फल फूलों को लेत छुडाई।।७ लाला ने जब तुम्हे उठाये। तब से गिरधारी कहलाये।।८ जय गिरधर जय पर्वत राजा। माथमुकुट भौ तिलक विराजा।।९ जतीपुरा अरु मानस गंगा। दान घाटी से धरम प्रसंगा।।१० नंगे पैर अरु हाथन माला। मुख में नाम भजें गोपाला।।११ हर पाथर है सालग रामा। तेरी रज मे बसती श्यामा।।१२ सात दिनों की बरसा भारी। हा हा...
मां शबरी चालीसा
दोहा

मां शबरी चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* भक्ति शिरोमणि मातु है, शबरी सुंदर नाम। रामनाम सुमिरन किया, पाया बैकुंठ धाम।। सीधी साधी भोली-भाली। दंडक वन में रहने वाली।।१ सबर भील की राजकुमारी। करुणा क्षमा शीलाचारी।।२ बेटी श्रमणा सबकी प्यारी। सुंदर रूपा बढ़ व्यवहारी।।३ बीता बचपन भइ तरुणाई। समय देख कर भई सगाई।।४ फिर पिता ने ब्याह रचाये। जाति भाई सभी बुलाये।।५ मंडप बंदन खूब सजाये। बेलें बूटे फूल लगाए।।६ नगर गांव में बजी बधाई। नाचे गावे लोग लुगाई।।७ समझ पाए बरात बुलाई। बूढ़े बालक सबमिल आई।।८ भोज रसोई मेढा़ लाई। दृष्य देख शबरी घबराई।।९ करुणा से आंखे भर आई। उपाय कोई समझ न पाई।।१० सौ जीवों की जान बचायें। कोई बात सुझा ना पाये।।११ मंडप छोड़ा शबरी भागी। प्रभु की भक्ती मन में लागी।१२ गुरु मतंग के आश्रम आई। चरण छुए फिर आशीष पाई।।१३ श्र...
श्री राम चालीसा
दोहा

श्री राम चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* रघुकुल वंश शिरोमणी, मनुज राम अवतार। मर्यादा पुरुषोत्तमा, कहत है कवि विचार।। जै जै जै प्रभु जय श्रीरामा। हनुमत सेवक सीता वामा।।१ लछमन भरत शत्रुघन भ्राता। मां कौशल्या दशरथ ताता।२ चैत शुक्ल नवमी सुखदाई। दिवस मध्य जन्में रघुराई।।३ नगर अवध में बजी बधाई। नर नारी गावे हरषाई।।४ दशरथ कौशल्या के प्राणा। करुणा के निधि जनकल्याणा।।५ श्याम शरीरा नयन विशाला। कांधे धनुष गले में माला।।६ काक भुसुंड दरश को आते। शिव भी जिनकी महिमा गाते।।७ विश्वामित्र से शिक्षा पाई। गुरु वशिष्ठ पूजे रघुराई।।८ बालपने में जग्य रखवाये। बाहु ताड़का मार गिराये।।९ गौतम नारी तुमने तारी। चरण धूल की महिमा भारी।।१० मुनि के संग जनकपुर जाई। शिव का धनुष भंग रघुराई।।११ सीता के संग ब्याह रचाया। जनक सुनेना के मन भाया।।१२ मिथिला नगरी दर्शन प्यारे। नर नारी सब भये सुखारे।।१३ म...
नल दमयंती चालीसा
दोहा

नल दमयंती चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* युधिष्ठिर के दुख देख के, वृहदश मुनि समझाय। नल दमयंती कथा कहि, सुन पांडव हरषाय।। वीर सेन थे निषद नरेशा। सुंदर पूत भये नल एका।।१ वीर उदार पराक्रम भारी। एक बुराई कभी जुआरी।।२ एक दिना की सुनो कहानी। उपवन में नल घूमन आनी।।३ सुंदर जोड़ा हंसन देखा। चितवन चंचल रूप विशेषा।।४ दमयंती की करी बड़ाई। सुनके नल मन में हरषाई।।५ भीम नाम कुंडनपुर भूपा। जिनकी कन्या सुंदर रूपा।।६ दमयंती बेटी है नामी। सुघर सलोनी जगत बखानी।।७ सुता स्वयंवर भीम रचाये। राजा मानव देव बुलाये।।८ वरुण इन्द्र अग्नि यम आये। चारों ने नल रूप बनाये।।९ जब कन्या ने नल नहिं जाना। देवों से की विनती नाना।।१० प्रसन्न हो दो दो वर दीना। फिर कन्या ने नल वर लीना।।११ इंद्रसेन सुत सुता कहाये। रानी दम ने गर्भन जाये।।१२ खुशी खुशी कछु समय बिताई। नर नारी सब भये सुखाई।।१३ काल समय ने पलटा ...
सुदामा चालीसा
दोहा

सुदामा चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* कृष्ण सुदामा प्रीत को, जाने सब संसार। नाम प्रेम से लीजिए, होवें भव से पार।। मित्रों की जब होती बातें। कृष्ण सुदामा नही भुलाते।।१ जात पांत ना दीन अदीना। खेलत संगे प्रेम अधीना।।२ बाल पने में करी पढ़ाई। सांदीपन के आश्रम जाई।।३ बालक से फिर बन तरुणाई। छोड़ खेल गृहस्थी सिर आई।।४ नाम सुशीला भोली भाली। आज्ञाकारी थी घर वाली।।५ रुखी सूखी रोटी खाती । गीत भजन में समय बिताती।।६ फिर घर में बच्चे भी आये। भक्त सुदामा मांगत खाये।।७ जो भी मिलता करे गुजारा। घर का मिटता नही दुखारा।।८ एक दिना पति से बतराई। भूखे बच्चे दिल भर आई।।९ मैं नहि मांगू दाख मिठाई। पेट भरण का करो उपाई।।१० बाल सखा हैं कृष्ण मुरारी। जो दीनन के पीड़ा हारी ।।११ तुम भी जाओ करो याचना। मागों भिक्षा दरद बांटना।।१२ सच्चा सच्चा हाल सुनाओ। घर के दुखड़ा सभी बताओ।।१३ भगत सुदामा को ...
महाभारत चालीसा
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महाभारत चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* महभारत महकाव्य है, वेद व्यास का गान। एक लाख इश्लोक हैं, कहत हैं कवि मसान।। वेद व्यास ने ग्रंथ बनाया। महभारत जब नाम धराया।।१ एक लाख सब श्लोक रचाये। संत मुनी सबके मन भाये।।२ पर्व अठारह सकल कहानी। कौरव पांडव कथा बखानी।।३ आदि सभा आरण्य विराटा। करण उद्योग भीषम द्रोणा।।४ शल्य सौप्तिकआश्रम वासिक। स्वर्गारोहण महप्रस्थानिक।।५ इस्तरि शांति अश्वामेधिक। पर्व अठारह अनुशासनइक।।६ ब्रह्मा से मुनि अत्रि आये। चन्द्र बुध पुरुवा कहलाये।।७ आयु नहुष ययाति राजा। पुरुभरत कुरु शांतु समाजा।८ शांतनु गंगा भीषम जाये। सत्यवती से ब्याह रचाये।९ चित्रांगद विचित्र वीरा। भ्राता गंगासुत मति धीरा।।१० भीषम काशीराज हराये। अंबे अंबिक कन्या लाये।।११ व्यास दृष्टि धृतराष्ट्र बुलाये। अंबालिक ने पांडू जाये।।१२ फिर दासी हॅंस आगे आयी। विदुर मुनी सा बेटा पाई।।१३ राजा ...
रामायण चालीसा
दोहा

रामायण चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* राम नाम उच्चारिये,छूटे भव संसार। जीवन परहित कीजिये,कहत है कवि विचार।। राम नाम जग महिमा छाई। राम कथा शिव उमा सुनाई।।१ काकभुसुंड गरुड़ समझाई। याज्ञवल्क भरद्वाज बताई।।२ रामायण के भेद अनेका। बहुभाषा में कवियन लेखा।।३ कृती वास बंग्ला में गाया। रंगनाथ को तेलगु भाया।।४ भाष तमिल में कंबन भाई। दिवाकरा कश्मीरी गाई।।५ सरलदास की उड़िया भाषा। देश विदेशा जन विश्वाशा।।६ वाल्मीकि संस्कृत में गाई। तुलसी ने फिर अवधि रचाई।।७ संवत् सोलह तैंतिस आया। रामचरित मानस जग छाया।८ सात महीना अरु दो साला। छब्बिस दिन में ग्रंथ विशाला।।९ दोहा चौपइ छंद अनेका। सात कांड में रचना लेखा।।१० बाल कांड जन्मे रघुराई । भरत शत्रुघन लछमन भाई।।११ कौशल दशरथ नंदन प्यारे। खेलें आंगन आंखन तारे।१२ विश्वामित्र गुरू रघुराई। बाल पने में शिक्षा पाई।।१३ मार ताड़का सुबाहु दानव। ...
भगोरिया का रंग है
कविता

भगोरिया का रंग है

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* नाक सुआसी शोभती, खिलते लाल कपोल। आंखन अंजन आंझके, नैना बने अमोल।। हंस उड़ा बागन चला, ले मोतिन की आस। नगनथ देखो नाकको, मन मे होत उदास।। नदी नाव संजोग से, बहती पानी धार। नाविक नदिया एकसे, म्यान फँसी तलवार।। तोता मैना बोलते, चिड़ियां करती चींव। कोयल मीठा गा रही, सखी संग है पीव।। कामदेव सेना चली, करती चुनचुन वार। भगोरिया का रंग है, करता है इजहार।। मदन धनुष को धारके, तकतक मारे बाण। फूलकली बरषा करे, घायल होते प्राण। केरी रस से भर गई, मिठू मारे चोंच। रस बरसे रस आत है, मैना कर संकोच।। कमल पांखुड़ी खिलगई, भंवरों की ले आस। चम्पा चटकी पीतसी, सरिता सरवर पास।। कपोत कसके रातभर, मुरगा बोले भोर। मोर मोरनी छुप गये, नैना होते चोर।। पलाश भी अब दहकते, बिछुड़ी करें तलाश। चूड़ियां भी खनक उठी, मंगल मोती आस।। क्वारों की टोली चली, ले कं...
गुरु चालीसा
दोहा

गुरु चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* नमन करो गुरुदेव को, धर चरणों में ध्यान। ज्ञान दान के कुंभ में, सभी करें अस्नान।। जय जय जय गुरुदेव हमारे। हम आए हैं शरण तिहारे।।१ तुमसा कौन जगत में दानी। सादा जीवन मीठी वाणी।।२ गुरु बिन ज्ञान मिले ना भाई। चाहे लाख करो चतुराई।।३ मंत्री संत्री सभी गुरु से। यह परिपाटी रही शुरू से।।४ गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु कहाये। गुरु को शिव में हमने पाये।।५ गुरु ज्ञानी गुरु जग निर्माता। गुरू हमारे भाग्य विधाता।।६ गुरु ज्ञान की खानहि जानो। गुरु सम मात पिता को मानो।।७ गुरु नानक गुरु गोरख अपने। शंका मन में करो न सपने।।८ शिष को जीते प्रभु सुमरते। धन्य सभी को वे ही करते।।९ गुरुहि गोविंद तक पहुंचाये। अंधकार को दूर भगाये।।१० जिसने गुरु से लगन लगाई। नर से नारायण पद पाई।।११ सद्गुरु आये दर्शन पाये। कमल नैन देखत खिल जायें।।१२ मीरा ने रैदास हि पाया। रा...
मां अहिल्या चालीसा
दोहा

मां अहिल्या चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* होल्करों के वंश में, अहिल्या भइ महान। भारतभूमि धन्य करि, कीना जन कल्याण।। जय जय जयति अहिल्याबाई तिहरी कीरति सब जग छाई। १ कोख सुशीला से जग पाया। पिता माणको की हो छाया। २ धनगर ग्वाला बेटी माया। इंदुर नगरी धन्य बनाया।। ३ चौड़ी गांव जनम तुम्हारा सुंदर जस छाया संसारा। ४ बालपने की कथा पुरानी। शिव को अर्पण कीना पानी। ५ राव मल्हार आपहि देखा। सादा जीवन कन्या वेशा। ६ उमा रूप पाया महरानी। गाथा आपन कवी बखानी। ७ खांडे रावा संग भवानी। चौड़ी से रथ इंदुर आनी। ८ काशी मंदिर को बनवाया। विश्वनाथ पूजन करवाया। 9 गंगा रेवा घाट बनाये। बापी कूआ बहुत खुदाये। १० इंदुर राजा की थी रानी। माहेश्वर कीनी रजधानी। ११ प्रजा कारणे कष्ट उठाया। देवी माता का पद पाया। १२ शिव का पूजन करती रानी। मां रेवा का पीती पानी। १३ चारो धाम बारह शिवालय। सात पुरी में निर्मि...
परशुराम चालीसा
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परशुराम चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* भृगुकुल वंश शिरोमणी, विप्र रूप अवतार। परशुराम को नमन करूं, कहत है कवि विचार।। जय-जय परसुराम अवतारी। तुम्हरी महिमा जगत विचारी।।१ पितृ भक्त संतन सुख दाता। सब जग गावे तुम्हरी गाथा।।२ मालव भूमी जन सुखकारी। लीला धारी प्रभु अवतारी।।३ माटी उपजउ फसल अनेका। सादा जीवन सब ने देखा।।४ इंदौर मुंबई रोड सुहाई। सरपट वाहन चलते भाई।।५ रेणुक पर्वत पाव पहाड़ी। कलरव पंछी हरिया झाड़ी। ६ पर्वत फोड़ निकलते झरना। उद्गम चंबल जीवन तरना।।७ तनया गाधि सत्यवति देवी। पतिव्रतधारी भृगु की सेवी।।८ ताके सुत जमदग्नी नामा। तेजवान सुंदर गुणधामा।।९ रेणूका संग ब्याह रचाये। जासे पांच पुत्र जग पाये।।१० पंचम पूत गरभ में आया। सुंदर समय जगत को भाया।।११ बैसख शुक्ला तीज सुखारी। प्रथम पहर में भै अवतारी।।१२ मंद पवन चल धूप न छाया। पावन बेला प्रभु की माया।।१३ नैन विशाल धरम...
राणा प्रताप चालीसा
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राणा प्रताप चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* मेवाड़ राज शिरोमणि, राणा वीर प्रताप। सूखी रोटी खाय के, धरम संभाला आप।। जय हो राणा जय महाराणा। जय मेवाड़ा राजपुताना।।१ धीर वीर प्रण के रखवारे। मा भारत के राज दुलारे।।२ राजस्थाना बसते भूपा। दिखते वैभव किला अनूपा।।३ जौहर पद्मा जगत बखानी। राणा वंशी वीर कहानी।।४ बलिदानी ममता की माता। पन्नाधाया जग विख्याता।।५ उदयपुर उदेसिंह बसाया। गढ़ चित्तोड़ा दुर्ग बनाया।।६ मातु पिता तुम्हरे जस पाई। उदय सिंह जसवंता बाई।।७ नौ मई पंद्रह सौ चालीसा। जन्में राणा हिन्दू ईशा।।८ कुंभलगढ़ में बजी बधाई। महलों में भी खुशियां छाई।।९ पूत अमरसिंह अजबद नारी। चेतक घोड़ा करी सवारी।।१० लम्बी भुजा लोह शरीरा। माथे तिलक मिवाड़ी वीरा।।११ तन अंगरखा लम्बी धोती। सुंदर सूरत ध्वजा करोती।।१२ तुम्हरा भाला ढाल कृपाणा। हरते रण में अरिदल प्राणा।।१३ दो तलवारे कटि सुहाती। भा...
व्याकरण चालीसा
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व्याकरण चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* अनुस्वार अनुनासिका, सदा राखिये ध्यान। अनुनासिक में लघु लखो, अनुस्वार गुरु जान।। अनुनासिक में एक है, अनुस्वार दो होय। हँसते-हँसते जानिये, हंस हँसा नहि कोय।। भाषा का संविधान बनाया। परिभाषा व्याकरण कहाया।।१ व्याकरणा के तीन हैं भेदा। वर्ण शब्द अरु वाक्य सुभेदा।।२ पाणिनि मुनि ने बहु तप कीना। हो प्रसन्न शिव ने वर दीना।।३ डिम डिम डमरु नाद सुनाया। शिव ने चौदह बार बजाया।।४ देव नागरी ध्वनी सुनाई । यही वर्णमाला कहलाई।।५ नागरि लिपि है ज्ञान की धारा। समय समय विज्ञान विचारा।।६ वर्णों के दो भेद बताये। स्वर व्यंजन में रहे समाये।।७ दीरघ लघु दो स्वर के भेदा। अइउऋ लगति मात्रा एका।।८ ए ऐ ओ औ ऊ अरु आ ई। सातों दीरघ दो कहलाई।।९ अं अः तो आयोग कहाते। ये भी मात्रा दो लगाते।।१० स्पर्श उष्मा अरु अंतस्था। व्यंजन संयुक्त अरु है रुढ़ा।।११ अष्टाध्यायी ग...