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Tag: ज्योति लूथरा

कोरोना अब तू जा भारत से
कविता

कोरोना अब तू जा भारत से

ज्योति लूथरा लोधी रोड (नई दिल्ली) ******************** हर तरफ है कोरोना का प्रभाव, थोड़ा-सा ऑक्सीजन का अभाव, क्यों आ गया ये दुख का सैलाब? अब तो खत्म हो ये संताप, लोग डर से गए है काँप, जीवन को भी रहे नाप, पीड़ित कर रहे है प्रलाप। जाने किस घड़ी में आई ये महामारी, खुशियाँ लूट ली इसने हमारी, हर समय हो गया हैं भारी, दुःख की घड़ी है सारी। अपने जा रहे है दूर, वक्त हो गया है क्रूर, कोरोना तू आया क्यों? कब जायेगा तू? सब कुछ हो गया बन्द, लॉकडाउन का हुआ प्रबन्ध, प्रकृति का है कैसा खेल? घर ही बन गया है जेल। कोरोना अब तू जा भारत से, दोस्ती नहीं करनी हमे तुमसे, बहुत ले लिया हमारा सुख-चैन, अब बस बहुत हुआ, कोरोना अब तू जा भारत से। अब बस बहुत हुआ, कोरोना अब तू जा भारत से। परिचय :- ज्योति लूथरा संस्थान : दिल्ली विश्वविद्यालय निवासी : लोधी रोड, (नई दिल्ली) ...
हिंदी
कविता

हिंदी

ज्योति लूथरा लोधी रोड (नई दिल्ली) ******************** हिंदी है ही इतनी प्यारी, जितना जानो कम है, इसमे इतना दम है, क्योंकि हिंदी से ही हम है। हिंदी ने ही मुझे बनाया बढ़ाया, मुझे सिखाया सवारा सुधारा, हिंदी है अनुपम माया, इसकी है शीतल छाया। हिंदी न मेरी न तेरी वो है सबकी, हिंदी में कुछ बात है हिंदी हमारे साथ है, हिंदी है ज्ञान का भंडार इसमें है अनेक विचार, हिंदी को बनाओ प्यार हिंदी है मेरी यार। हिंदी को बनाओ प्यार हिंदी है मेरी यार। परिचय :- ज्योति लूथरा संस्थान : दिल्ली विश्वविद्यालय निवासी : लोधी रोड, (नई दिल्ली) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
मेरी सहेली
कविता

मेरी सहेली

ज्योति लूथरा लोधी रोड (नई दिल्ली) ******************** मेरी माँ मेरी सहेली है, वो एक जादुई पहेली है, मेरी हर ज़रूरत, मेरी हर इच्छा का ध्यान रखने वाली मेरी माँ है। दुःखी होने पर मेरे आँसू पोछने वाली, गिरने पर मुझे उठाने वाली मेरी माँ है, वो मुझे जन्म देने वाली देवी हैं, मेरी प्यारी दोस्त है, मेरी माँ मेरा सम्मान है, वो इंसान नहीं भगवान है। मेरी हर बात को सुनने वाली, मुझे समझने वाली मेरी माँ है, अंजानों की दुनिया में अपनी-सी, एक अप्सरा-सी मेरी माँ है। मुझे सिखाने वाली मुझे उड़ाने वाली मेरी माँ है, उनके स्पर्श में एक जादू है, सारी परेशानी एकदम गायब हो जाती है, उदास मन फूल की भाँति, खिलखिला उठता है, दिल पंछी की तरह उड़ने लगता है। माँ केवल त्याग, प्रेम, समर्पण की नहीं, ख्वाबों, उम्मीदों, हौसले, अपनेपन की भी मूरत है, वो एक अद्भुत सूरत है। वो मेरी गुरु मेरी द...
फोन
कविता

फोन

ज्योति लूथरा लोधी रोड (नई दिल्ली) ******************** हर वक्त फोन-फोन, सदा बजती इसकी रिंग-टोन, चलते रहते इसमें अनेक सॉन्ग, है ये विस्फोटक बॉम्ब, दुनिया का है सबसे बड़ा डॉन। फोन है एक बीमारी, विचित्र माया है सारी, न जाने कितने आते संदेश, या होते कई नोटिफिकेशन। फोन बन गया वो जोड़, जिसे न हम पाएं छोड़, ताकत इसकी है बेजोड़, जवाब दे ये मुँह-तोड़। करता कितने काम ये, बनाता हमे महान ये, एक बटन दबाते ही, पहुँचता हमे विदेश ये। गाने, फिल्में, तस्वीरें, करता कितने काम रे, मुसीबत करे आसान, इसमें है संपुर्ण जहान। घंटो बने हमारा दोस्त, हो जाए हम इसमें मदहोश, छोटा है पर काम बड़े, कारनामे इसके देख हाथ हो खड़े। फोन नहीं ये डॉन है, इसके बिना कौन है? आज का ये हीरो है, फोन ही हमारा गुरु है। आज का ये हीरो है, फोन ही हमारा गुरु है। परिचय :- ज्योति लूथरा स...
पिता
कविता

पिता

ज्योति लूथरा लोधी रोड (नई दिल्ली) ******************** जो अपने पूरे परिवार के लिए है हर समय जीता, जो अपने सपनों को छोड़ बच्चो के ख्वाब है सिता, जो कभी न बताए की उस पर क्या-क्या है बिता, वो दुनिया का अनमोल रत्न है पिता। मेरा स्वाभिमान, मेरा सम्मान, मेरा अभिमान, है मेरे पिता। अपने बारे में कभी न सोचते, बस हमारे ही सपने संजोते, मेरा मान मेरी उड़ान, है मेरे पिता। गलती होने पर तुरंत कर देते माफ, उनका दिल है कितना साफ़, बाहर से सख्त अंदर से नरम, उनकी डाट भी है कितनी अनुपम। मेरी जान है मेरे पिता, दुनिया का अनमोल रत्न है पिता, जो हमेशा सब को देता, पर खुद के लिए कभी कुछ न लेता। वो महान इंसान है पिता, वो भगवान है पिता। परिचय :- ज्योति लूथरा संस्थान : दिल्ली विश्वविद्यालय निवासी : लोधी रोड, (नई दिल्ली) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ...
लड़की
कविता

लड़की

ज्योति लूथरा लोधी रोड (नई दिल्ली) ******************** मैं हूँ आज की लड़की, मेरे भी कुछ अरमान है, मेरी भी कोई उड़ान है, मेरा भी सम्मान है। हाँ मैं जानती हूँ इस दुनिया में कुछ शैतान हैं, पर इसमें मेरा क्या अपराध है, या फिर इनकी मानसिकता ही खराब है, क्या कोई दबाव है? तुम लड़की हो तो चुप रहो, तुम लड़की हो तो रुक जाओ, लड़की कोई पुतली नहीं, उसकी आँखें धुंधली नहीं। अरे अब तो बदलो, लड़की को पढ़ाओ, अपने विचारो को बढ़ाओ, कुछ तो खुदको याद दिलाओ। क्यों लड़की किसी पर निर्भर है, क्यों उसकी आँखों में आँसू है, अब बन्द करो ये सब, बहुत देर हो गई है अब। जिसे देखो लड़की को सिखाता है, लड़की को बताता है, लड़की को ही समझाता है, उसे डराता है। काम काम है, उसका कोई लिंग नहीं, मानसिकता पिछड़ी है, उसमें कोई बदलाव नहीं। जब लड़की घर की इज्ज़त है, तो पहले उसकी तो ...