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Tag: जितेन्द्र पटैल (कुशवाहा)

कोरोना काल से निर्भयता की ओर…
कविता

कोरोना काल से निर्भयता की ओर…

जितेन्द्र पटैल (कुशवाहा) गाडरवारा नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) ******************** फिर मिलेगी दरख़्तों की छांव, फिर वही माहौल होगा गाँव-गाँव, देखना फिर से चौपालें लगेंगीं, और चबूतरे श्रृंगारित होगें गली-गाँव। हर एक, हर एक से मिल पाएगा, यह निबिड़ अंधेरा, समाप्त हो जाएगा, और फिर से मिलेंगे मेरे आपके हँसी के दाँव, खुशी आएगी हर जगह, हर गाँव। यह माहौल भी अस्थाई है, चिरंतन तो खुशी और निर्भयता होगी, हमें मिलती रहेगीं बड़े बुजुर्गों की आशीष छाँव, खुशियां फैलेगीं, गाँव-गाँव। अंधकार कभी नहीं रोक पाया है सबेरे को, शोर को शांति कभी जीतने नहीं देगी, फिर हम मिलेंगे, फिर वही माहौल होगा, आध्यात्मिक वातावरण होगा गांव-गांव। जगह-जगह मिलेगे प्राकृतिक पडाव, खत्म होगें इस आशंका के भाव, अब देर नही है यारों देखिएगा, जब मधुवन होगा हर गली, हर गाँव परिचय :- जितेन्द्र पटैल (कुशवाहा) निवासी...