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बेड़ियां
मुक्तक

बेड़ियां

जय चौहान देपालपुर, इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************   चित्र देखो कविता लिखो प्रतियोगिता हेतु प्राप्त रचना तय समय के बाद प्राप्त होने से प्रतियोगिता में सम्मिलित नहीं हो सकी ...अतः क्षमा ....🙏🏻 उत्कृष्ट रचना हेतु रचनाकार को शुभकामनाएं ...🙏🏻💐💐💐 परम्परा की बेड़ियों में जकड़ी हुई बेटियाँ सदियों से ज़ुल्म सहती रही है बेटियांँ यह कैसा कुकर्म फैला समाज में युगों युगों से अर्थी पर सजती रही बेटियांँ। बंधन बांधकर पहले अधिकार बनाया, जीवन भर फिर गुलाम बेटियों को बनाया परम्परा रिवाज के नाम पर चुप रखा घर को कोने में सिसकती रही बेटियांँ। ऐसे रिवाज परम्परा बनाई, आँखो में आँसू फिर भी मुस्कुराई मायके और ससुराल में अपना घर ढुंढती पर दो दो घर फिर भी बेटियांँ पराई। कभी दहेज के नाम पर जलाई बेटियांँ कभी इज्जत के नाम पर भेंट चढ़ी बेटियांँ तोड़ दो यह गुलामी की बेड़...