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Tag: ग्वाला प्रसाद यादव ‘नटखट’

बुरा न मानो होली है …
आंचलिक बोली, कविता

बुरा न मानो होली है …

ग्वाला प्रसाद यादव 'नटखट' जोशी लमती, राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी कविता) गरीबहा मनके घर फुटे परे, चोरहा मन महल में ढ़लगे हे घुसखोर के दिन-बादर चलत हे अऊ नेता मनके बात अलगे हे इहां दान-धरम के गोठे गोठ में कोढ़िया मनके भरे झोली हे अऊ तभो कहत हम छत्तीसगढ़िया बुरा न मानो होली हे.... नौकरी वाले घर अऊ नौकरी आथे फेर गरीब के लैइका बेरोजगार हे ब्यवहार कुशल जऊन जाने नहीं तेखर तीर डिग्री के भरमार हे ये लोकसभा चुनाव में नेता मन देथे भांग के मीठ मीठ गोली हे अऊ तभो कहत हम छत्तीसगढ़िया बुरा न मानो होली हे.... विकास के धुआं म हाय-हाय मनखे के जिनगी जरत हवय धरती के रंग बेरंग होथे इंहा कतको जीव जंतु मरत हवय सब्बो ल जानके मनखे करथे पेलहा कस हंसी ठिठोली हे अऊ तभो कहत हम छत्तीसगढ़िया बुरा न मानो होली हे.... परिचय :-  ग्वाला प्रसाद यादव 'नटखट' निवासी ...