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Tag: गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी”

साँसों का क्या ठिकाना
कविता

साँसों का क्या ठिकाना

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** कृतघ्न हुए अब लोग यहां, स्वार्थी हुआ जमाना है, जियो जीवन हिलमिल, साँसों का क्या ठिकाना है। छोड़ो चलना चाल कुटिल, ह्रदय रखो गंगा जल सा बनो नीम से कडुवे बेशक़, रखो ना उर बेर फल सा। मुट्ठी भर माटी के लिए, कर न दुर्योधन-सा व्यवहार, बल का बल निकल जाता, अर्जुन भी हुआ लाचार । समझ न मूर्ख किसी को तू, जान स्वंय को ज्ञानवान, द्रोपदी-सी तेरी गर्हित हसी, ले डूबे ना कहीं पहचान। भुला भलाई अपनापन, सिमट गया क्यों स्वंय तलक, मिला न दें गर्दिश में तुझे, गैरों को मिटाने की ललक। भला चाहते हो ग़र अपना, रखना रवि-सा सम भाव , भर जाते हैं ज़ख्म तेग के, पर भरते न वाणी के घाव। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेर...
अमूल्य रत्न ..
कविता

अमूल्य रत्न ..

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** अट्ठाईस दिसम्बर सन सैंतीस, अवतरण नवल निकुंज, बिखरा जननी सोनू के दामन, अत्युत्तम प्रकाश पुंज। उद्योग जगत क़े अमूल्य रत्न थे, ये दानवीर रतन टाटा, मानवार्थ रहते थे सदैव समर्पित, भुला व्यापार में घाटा। भारतीय उद्योग जगत का जग ने, लोहा माना था सहर्ष, सूई से लेकर हवाई जहाज तक, भारत ने किया उत्कर्ष। पायी शिक्षा स्नातक रतन ने, कार्नेल विश्वविद्यालय से, पचास मिलियन डालर दान की, रख भाव हिमालय से। कम मूल्य पर "टाटा नैनो" लाए, हो उठे उपभोक्ता मगन कर्मपथ पर चलकर ही बनता, स्वर्णिम सबका जीवन। अविवाहित रहना रतन जी का, हर मन को खल गया, शायद किसी की यादों में ही, जीवन सारा निकल गया। पदम् विभूषण, पद्म भूषण से, अलंकृत थे रतन टाटा, नैस्कॉम ग्लोबल लीडरशिप से, शोभित रहे रतन टाटा। नों अक्ट...
रोज़ रात की नींद चुरावे
कही-मुकरी

रोज़ रात की नींद चुरावे

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** १ रोज़ रात की नींद चुरावे, आंख लगे आंखों में आवे। लगता जैसे कोई अपना, क्या सखि साजन? ना सखि सपना।। २ बिन काटे मज़ा नही आए, काटें तो नैना भर आए। समझ ना आये उसका राज, क्या सखि साजन? ना सखी प्याज।। ३ बढ़ाए जग में सदा सम्मान, कर सकता न कोई अपमान। लगे उसके बिन जीवन व्यर्थ, क्या सखि साजन? ना सखी अर्थ।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं,...
अब आदमी जलने लगा
कविता

अब आदमी जलने लगा

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** देखके दूसरों की सम्रद्धि, अब आदमी जलने लगा, करता जो जिनकी मदद, वो ही उनको छलने लगा। कैसे आयेगा ज़िंदगी में, कोई किसी के काम अब, स्वार्थ सिद्ध होते हो जाते, लोग नमक हराम तब। लोभ, मोह-ओ-कुंठा की, तन-मन में भरी गंदगी, धरके बगुला जैसा भेष, करे प्रभु की नित बन्दगी। बिखरा है दिग-दिगन्त, छल-छदम भरा व्यवहार, बनकर हम सब रौशनी, मुखरित करें यह संसार। भलाई से नही तोड़ना, भूलकर भी नाता कभी, एक दिन मिट ही जाएगी, बुराई से पोषित छवि। अपनी आंखों के सामने, देखना दगाबाज़ का नाश, होगी विजय सत्य की ही, अंर्तमन ऱखना तू विश्वास। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
बंद करो अब जयकार
कविता

बंद करो अब जयकार

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** असत्य पर सत्य की विजय का, पर्व है दशहरा, छूपा निज ह्रदय में रावण कहते गर्व है दशहरा। जन-जन का अंर्तमन लगता, दशानन जैसा ही, क्षण-क्षण पर छल-कपट करते रावण वैसा ही। जला रहे सिर्फ़ पुतले असली रावण तो जिंदा है, देख मनुज का दोगलापन लगे रावण शर्मिंदा है। सत्य खड़ा पहरेदारी में, कैसे संभव होगा न्याय, पाखंडी पग-पग प्रतिष्ठित, कैद हैं लाखों बेगुनाह। कथनी-करनी का अंतर, स्पष्ठ दिखे कण-कण में, बगुले-सा लिया रूप धर, विष भरा है तन-तन में। निज ह्रदय बैठे रावण की बंद करो अब जयकार, सत्य न्याय ईमान धर्म से, करो सुरभित ये संसार। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आ...
प्यारा सजा है दरबार
कविता

प्यारा सजा है दरबार

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** गली-गली गूंजी मैया की, प्रेम भरी जय जयकार, आई नवरात्रों की घड़ियां, प्यारा सजा है दरबार। शेरावाली, मेहरावाली की, लीलाएं हैं अपरम्पार, जो निर्मल मन जपे माता, छटे विपदाएं बेसुमार। अप्रितम छवि मैय्या की, तन मन धन वारी जाऊं, सदा करूं माँ का चिंतन, सदा ही माँ को में ध्याऊँ। सौहार्द, समर्पण, भरा हुआ, होता है नवरात्रा पर्व, मुखरित करें मानवता हम, त्याग छदम छल गर्व। विविध भांति धर स्वरूप, दुष्टन का कियो संहार, मैय्या से ही जीवंत जमी, मैय्या से ही यह संसार। करे नमन सकल सृस्टि, जगजननी महारानी को, करना क्षमा हुई मुझसे, भूल सभी अनजानी को। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
पथ कठिन पर चलना होगा
कविता

पथ कठिन पर चलना होगा

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** बन दीप अब जलना होगा, पथ कठिन पर चलना होगा। नही आयेगा तुम्हें उठाने कोई, गिरकर स्वयं सम्भलना होगा।। डरना नही देख उड़ती धूल, खिलते कांटे भी बनकर फूल। जो पाना है ग़र निश्चिय लक्ष्य, समय रहते सुधारो सारी भूल । हारा है हमेशा जो लड़ा नही, संकल्पों से कुछ भी बड़ा नही। क़िस्मत कर्मठशीलों की दासी, छूता है शिखर जो चढ़ा सही।। समय रहते सीखो ध्येय चुनना, पड़े न व्यर्थ कभी सिर धुनना। नाप लेते श्रमसाधक सिंधु भी, कर्तव्य पथ आता जिन्हें गुनना।। होगा जग में यशगान तुम्हारा, मुस्कायेगा फ़िर गुमान तुम्हारा। भुला बातें कल की सब कड़वी, करेगा इंसान गुणगान तुम्हारा।। उठो! करो!! सर संधान तुम, बड़े चलो बनकर तूफान तुम। सीख मिलेगी या फ़िर सफलता, छांटो तम, बन नव विहान तुम।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोवि...
हिंदी है अभिमान देश का
कविता

हिंदी है अभिमान देश का

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** हिन्दी है संबिधान देश का हिन्दी है अभिमान देश का ! हिन्दी है अनुसंधान देश का हिन्दी है स्वाभिमान देश का ! आओ पढ़े ,पढ़ाएं हिन्दी में हिन्दी है सु-सम्मान देश का ! मिश्री-सी है मधुर शब्दावली गढ़ती नूतन विज्ञान देश का ! दोहा-छंद चौपाई और रोला गद्य-पद्य आख्यान देश का ! संधि-समास, उपसर्ग-विसर्ग करे सुदृढ़ व्याख्यान देश का ! सूर-कबीर निराला -जयशंकर करते हिंदी में गुणगान देश का ! हिन्दी हो जन-जन की भाषा अंग्रेजी है अपमान देश का ! प्रण करें परिपूर्ण अब हम हिन्दी बने भगवान देश का ! हर ह्रदय की धड़कन हो हिंदी "गोविमी "है अरमान देश का ! परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं ...
आख़िर कब तक
कविता

आख़िर कब तक

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** सीधी अंगुली घृत न निकले, नही हर्ज अंगुली टेडी करने में। सृस्टि सृजक अब सृजो तलवार नही भलाई किंचित भी डरने में।। माना ममतामयी है ह्रदयसिंधु पर, दृगों में जला तू आग आज। मसल डाल वहशी भेड़ियों को नोच रहे जो निर्भय नारी लाज।। बढ़ रहे हौंसले पल-प्रतिपल, निर्दयी निर्लज्ज दुशासन के। अंधे, गूंगे, बहरे, बेबस पाण्डव, धृतराष्ट्र दीवाने सिंहासन के।। थी सुरक्षा जिनकी जबावदेही मानो थर-थर वह कांप रहे। पिला रहे दूध सांपों को शायद, या नुकसान स्वंय का भांप रहे।। हो चुकी हैं हदें अब पर सभी, रहे न जिंदा कोई बलात्कारी। करें शीघ्रता से सरकार निर्णय, छोड़ जाती-धर्म अब लाचारी।। आख़िर कब तक रहेंगी लुटती, बनकर बेबस बेचारी नारियां। उठो ! जागो रणचंडीयो अब तो छोड़के बनना, तुम फुलवारियां।। परिचय :- गोविन्द सरावत...
गुनगुनी धूप है शिक्षक
कविता

गुनगुनी धूप है शिक्षक

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** ईश्वर का होता सु-रूप है शिक्षक, सद्गुणों भरा मृदु कूप है शिक्षक। अनसुलझी-सी सर्द फिजाओं में, जैसे कि-गुनगुनी धूप है शिक्षक।। अज्ञानता भरे खाली अ से लेकर, 'ज्ञ' तक का देता है निश्छल ज्ञान। नही जगत में सदगुरु से बढ़कर, गोविन्द हो या, फिर हो इंसान।। कहलाती प्रथम गुरु निज जननी, लेती परख पलभर में सब कुछ। पिता है सदगुरु धरती पर दूसरा, जाती, देख पीड़ा भरी पावक भुझ।। तपकरक़े स्वंय सद्कर्म वेदी में, स्वर्ण को कुंदन बनाये सद्गुरु जी। लगाए चांद के तिलक शिष्य निज, पंखों में परवाज जगाये सद्गुरु जी।। अंधकार भरे छल-छ्द्ममी जग में, सद्गुरु ही हैं एक महा दिव्य-दीप। चुन चुनकर बूंद स्वाति नक्षत्र की, करता सृजित वह अनमोल सीप।। जिसे मिला सानिध्य सद्गुरु का, बन गया वह "नर" नारायण यहां। हुआ धन्य जीवन...
जय आदिवासी
कविता

जय आदिवासी

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** हम आदिवासी जल जंगल जमीन हमारे प्राण प्यारे।। आदिवासी संस्कृति प्रकृति पूजक शुभ मंगल पूज्य जंगल।। तीर कमान हर आदिवासी करे अभिमान पहचान अतुल्य।। मानव सभ्यता सहेजे सृस्टि पर आदिवासी अमिट अविनाशी।। प्रकृति संरक्षण करता रहा अदम्य सहासी जय आदिवासी।। प्रकृति धर्म समझा आदिवासी अंतस्थ मर्म जय भौमिया।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कव...
तेरी शहादत अमर रहेगी
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तेरी शहादत अमर रहेगी

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** जब तक अर्श-जमी रहेगी, तेरी शहादत अमर रहेगी। होंगे चर्चे तुम्हारे ही दर-दर, हस-हस शूरता समर सहेगी।। फ़िर होगा न कारगिल-सा, छल-छदम भरा संग्राम। मुस्तेद खड़े प्रहरी सीमा के, हो निर्भय अविचल अविराम।। भारतीय वीर बांकुरें पलते, पल-पल तूफ़ानी आगोश में। लेगा न प्रतिपक्षी फ़िर पंगा, आकर कभी क्षणिक जोश में।। सैंकड़ों शहीदों की कुर्बानी, नही,व्यर्थ जाने दी हमने। ख़ून का बदला सिर्फ़ ख़ून, कुछ को फ़िर मारा ग़म ने।। कारगिल विजय दिवस पर, है सादर नमन तुम्हें हमारा। अमर रहेगा बलिदान यह, रहेगा गर्वित भारत प्यारा।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविता...
श्री गुरु पद पंकज नमन
कविता

श्री गुरु पद पंकज नमन

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** बड़ा कठिन सदगुरु बिना, मिलना जग में नव ज्ञान। जो करे कृपा गुरुवर अगर, बन जाता अविज्ञ गुणवान।। प्रथम गुरु कहलाई जाती, निज जननी ही सदा जग में। चुरा ब्रम्हा से खुशियां अगनित लिख देती संतति के भग में।। माटी भी उगलती है मोती, पड़ जाती है जब गुरु दृष्टि। कण-कण कुंदन बन जाता, पग-पग प्रमुदित होती सृष्टि।। कैसी भी आएं बाधा पथ पर, आसा करे गुरुवर की सीख। कलियों से महके स्वप्न-सिंदूरी, ऐतिहासिक बन जाए तारीख।। छल-बल, घृणा, द्वेष मिटाकर, सत्य-न्याय, दया-धर्म प्रचारे। मुखरित हो मानवता जग में, प्रतिपल यही जयघोष उचारे।। गुरु से ही बड़ते हैं यश-वैभव, करते हैं गुरु ही सौभाग्य सृजन। गोविंद की जो कराए अनुभूति ऐंसे, श्री गुरु पद पंकज नमन।। परिचय :-  गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोर...
छाई हरियाली (सिहरी)
कविता

छाई हरियाली (सिहरी)

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** १ छाई हरियाली गाती गीत कोयल काली बरसे बदरा !! २ घिरी घटा लगती मोहक निर्झरिणी छटा उत्ताल तरंग !! ३ बहते निर्झर कली-कली मंडराए मधुकर महके प्रसून !! ४ रिमझिम-रिमझिम रही बरस बरखा रानी पानी-पानी !! ५ प्रकृति हरसाई दुल्हन बन धरा मुस्काई पल्लवित कानन !!! परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हम...
उठो द्रोपदी अब अस्त्र उठाओ
कविता

उठो द्रोपदी अब अस्त्र उठाओ

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** उठो द्रोपदी अब अस्त्र उठाओ, कब तक जियोगी बनके बेचारी। क्यों लज्जित पग-पग स्वाभिमान, क्यों बढ़ाते नही चीर गिरधारी।। तुम स्वयं सृष्टि की हो सृजक, तुमसे ही कण-कण स्पंदित है। सीने में धधके ज्वालामुखी तेरे तुझसे ही नभ-भू आनन्दित है।। समझो न स्वंय को अब अबला, तुम तो पालक हो महाप्रलय की। तुम ही हो सुख-समृद्धि की दाता, तुम ही हो वर शाश्वत अभय की।। संभव नही मानव जीवन यह, बिन वामांगी के इस संसार में । करो नही मर्दन मान स्वंय का, छल-छदमी कामी व्यवहार में।। अब फिर न दुष्ट दुशासन कोई, केश खींचने का दुःसाहस करे। अब गली-गली दुर्योधन घूमते, सोच-समझकर ही व्यवहार करें।। अनुसुइया-सा तेरा जीवन पावन, फिर क्यों लगे तन पर लिवास भारी। तुम तो हो स्वंय प्रतिमूर्ति सौंदर्य की, तुमसे ही सुरभित यह धरा प...
बेटियां
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बेटियां

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** जमीं-ओ-आस्मां का प्यार हैं, बेटियां, चांद-ओ-सूरज का निखार हैं, बेटियां ! कण-कण में व्यापत सांसों का दिगंत, करती रहती सतत विस्तार हैं, बेटियां !! सुख-ओ-दुःख की साथी हैं, बेटियां, योग-ओ-वियोग भी पाती हैं, बेटियां ! जन्म से मृत्योपरान्त हैं अनेक रूप, भार्या-बहिन ओ माँ कहाती हैं, बेटियां !! अपने-ओ-पराये की प्रिय हैं, बेटियां घर-आंगन की लाज व दिये हैं, बेटियां ! जाती जब लांघकर एक देहरी से दूजी बाबुल की दुआओं को जिए हैं, बेटियां !! सीता-ओ-राधा-सी निर्मल हैं, बेटियां, अनुसूइया, सावित्री-सी प्रबल हैं, बेटियां ! कूद पड़े रणभूमि में, बनके दुर्गा-काली, मीरा, संवरी-सी उज्जवल हैं, बेटियां !! युगों-युगों से सृष्टि का श्रृंगार हैं, बेटियां, धरती की हर हलचल-झंकार हैं, बेटियां ! मिट जाएगा भूमंडल, ब...
समय-रिश्ते-दोस्ती
कविता

समय-रिश्ते-दोस्ती

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** समय समय पवन का झोंका-सा, पल-पल बदले रूख़, साथ अग़र समय का मिले, हर क्षण सुख ही सुख। समय साथ जब छोड़ता है, पार्थ पत्थर बन जाता, जिसने समझा समय को, बन चांद वह मुस्कराता।। रिश्ते होते रिश्ते फूल से कोमल ऱखना सदा संभालकर, तोड़ न देना बिन समझे, वहम का कीच उछालकर। रिश्तों से ही धरती पर, अमन चैन सदभाव जीवंत , जो होते न ग़र रिश्ते-नाते, पशुता पसरी होती दिगंत।। दोस्ती है अगर दोस्ती सच्ची, रिश्ता भाई-भाई का फीका, मुहं न मोड़े मुश्किलों में, बताता हितकारी सलीका। श्रीकृष्ण-सुदामा-सी दोस्ती, मुमकिन कहां जग में, मुहँ पर तो मिश्री-सी वाणी, छल-छदम भरा रग में।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स...
सत्य-न्याय पग-पग प्रखर हो
कविता

सत्य-न्याय पग-पग प्रखर हो

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** सत्य-न्याय से पग-पग प्रखर हो दुआओं में मेरी खुदा ये असर हो। महके चमन प्रेम औऱ भाईचारे के छल-छदम भरा न कोई पहर हो। रखें भाव मिलजुल जीने का सभी जीवन एक-दूजे के लिये ही बसर हो। नही बड़ा कोई धर्म मानवता से यारो बन जाये अब खुदा हर बशर हो। कर न सके कैद दुनिया मे वक़्त को चलता रहा अविरल बेखौफ दहर हो। हो न कोई आंख भूलकर भी ग़मगीन छलका अश्क़ जो फूटेगा कहर हो। ये जमीं-आसमां औऱ चाँद-तारे सभी करना सदा "गोविमी" पर तुम मेहर हो। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के...
हर मुश्किल से हाथ मिलाता है पिता
कविता

हर मुश्किल से हाथ मिलाता है पिता

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** भुला जमाने भर के ज़ख्म मुस्काता है पिता खुद के लिए कब कुछ यहां बनाता है पिता रह न जाये ख्बाब अधूरे पूरा करने के लिए देखो हर मुश्किल से हाथ मिलाता है पिता लगाना न इल्जाम निस्वार्थ त्याग पर उसके दाना-दाना घर-परिवार हित कमाता है पिता भीड़ भरी दुनियां में जाए न भटक संतति कदम -कदम हरपल खुद को जगाता है पिता मचलता कहां मन नित नये शौक के लिए जरूरतों की खातिर हस-हस मिटाता है पिता लादे हुए है बोझ बेसुमार जबाबदेहियों का भाई--मित्र--पुत्र-पति भी कहलाता है पिता मान लूं भगवान भी तो मान कम पड़ जायेगा "गोविमी" बन बरगद शीतल इठलाता है पिता परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
सदा इंसानियत जिंदा ऱखना
कविता

सदा इंसानियत जिंदा ऱखना

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** लाख सोचे कोई बुरा हमारा पर, भूलकर भी न अपशब्द बकना। इंसान की हो औलाद अगर, तुम तो सदा इंसानियत जिंदा रखना।। माना कि-दुनिया है मतलबी यह, फ़िर भी परमार्थ पथ कुछ चलना। खिलना बनक़े कुसुम करुणामयी, सदा सुवास-सा पल-पल पलना।। ऱखना निष्छल सदा अंतर्मन चंचल, जीवन यह धूप छांव-सा है। नही कोई अपना-पराया यहां पर, सब कुछ लगता ख़्वाब-सा है।। इस धरा का, इस धरा पर ही, सब कुछ ही धरा रह जाना है। आज यहां, कल होंगे कहां हम, नही पता कोई ठौर-ठिकाना है।। कहलाता श्रेष्ठ मानव-धर्म यह, करना सबका समादर सम्मान। बना मनुज भूतल पर ईश्वर वह, रोम-रोम रमे जिसके इंसान।। आता मनुज ख़ाली हाथ धरा पर, जायेगा भी लेकर खाली हाथ। जीते-जी के हैं यह कुटुंब-कबीले, श्मशान में जलता न कोई साथ।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा ...
ह्र्दयप्रदेश मध्यप्रदेश
कविता

ह्र्दयप्रदेश मध्यप्रदेश

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** भारत भूमि का अनुपम अंग सुख समृधि से भरा परिवेश। प्राणों से भी प्राण प्यारा है, ह्र्दयप्रदेश हमारा मध्यप्रदेश।। तीन सौ बाइस ईसा के पूर्व, चंद्रगुप्त मौर्य राज उदय हुआ। उन्नीस सौ पचास में बना म.प्र. कई रियासतों का विलय हुआ।। भोपाल बनी नव राजधानी नव खुशियों का आगाज़ हुआ। लड़े समर स्वतंत्रता हित कई तब स्थापित ये स्वराज हुआ।। बनी हमारी राजभाषा "हिंदी" "बारहसिंगा" बना पशु प्रथम। "माच" नाट्य शिरमोर हुआ नृत्य "राई" भी बना हमदम।। खेल भाया है "मलखम्ब" का, पक्षी "दूधराज" भी अनुपम है। सफेद "लिली" की निर्मल गंध चित्रकूट की छटा सर्वोउत्तम है।। "बरगद" वृक्ष शान राज की, भाता फल "आम" रसीला भी। ओरछा, सांची, खजुराहो, मांडू, का नीलाभ है कुछ हठीला भी।। समेटे हुए है जिले पचपन अब तहसील चार सौ अ...
मजदूर हूँ मजबूर नही
कविता

मजदूर हूँ मजबूर नही

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** मजदूर हूँ मजबूर नही, करता कभी ग़ुरूर नही! सींचा श्रम से कण-कण, तोड़ा कभी दस्तूर नही!! मेरे उर से जन्मा उत्थान मैंने किया नूतन-निर्माण! छुपा पेट भर रोटी में, मेरी, सकल सृस्टि का कल्याण!! धरती बनाई दुल्हन मैंने, सही हसके हर उलझन मैंने! रहा बांटता खुशियां अगनित, पर की न मैली चितवन मैंने!! चलता रहा सुबह-से शाम नही किया क्षणिक विश्राम! भाता मेहनत का कमाया ही लगे मुफ़्त के हीरे-मोती हराम!! गम नही, नही पास महल यूंही जाते हैं बच्चे बहल! 'आज' हमारा ही है जीवन, क्या भरोसा कल का चहल!! भाती है मेहनत की रोटी, हमसे ही हैं बंगला-कोठी! नही ज़माने से कोई गिला, समझना नही नियत खोटी!! परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ क...
लागी तुझसे लगन
कविता

लागी तुझसे लगन

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** उड़ गई निदिया रातों की, जल-जल जाए वदन, जबसे देखा चांद-सा चेहरा, लागी तुझसे लगन। जब भी देखूं,जहाँ भी देखूं, आये तुम ही नज़र, अपलक राह तके नयन, होकर ख़ुद से बेख़बर। तुम्हारी यादों में ही गुज़रे, अब तो मेरे दिन-रैन, जो आ जाओ मेरे सामने दिले-बेक़रार पाए चैन। यूं तो लाखों है दुनिया में, पर तुमसा कोई कहां, तुम्हें ही अपना "मत्स्य" माना, तुम्ही हो मेरे जहां। है बिन तेरे अब नामुमकिन, जग में तन्हा जीना, तेरी ही चाहत में रहे गुज़र, मेरे दिन साल महीना। आकर देख ज़रा अब मेरा, दर्दे-दिल ओ बेदर्दी, कितने ही सावन बरस गए, आया न तू हद करदी। जोड़ा तुमसे ही नाता मैंने, ओ मेरे जाने -जिगर, आ अब गले लगा ले मुझे, बनकर मेरा हमसफ़र। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) ...
गुमसुम बचपन
कविता

गुमसुम बचपन

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** हाय! हुआ गुमसुम बचपन यह कैसी सीख है। लदे हुए बस्ते भारी-भारी दबी हुई हर चीख़ है।। ग़ायब हुई कश्ती कागज़ की बरसाती पानी से। सिमट गया दौर किस्सों का बरगद-सी नानी से।। कोमल करों में ढेरों क़िताबें, कैसी यह पढ़ाई है। कूड़े में भाग्य ढूंढ़े बालमन, कैसी यह बड़ाई है।। ख़त्म बात विश्वास की, मन में कैसा मेल आया। जलता बालपन दीप-सा छटता ना तृषि साया।। शिक्षा व्यवसाय बनी संस्कृति से नही सरोकार। रिश्ते रद्दी कागजी लगे, नातों से मुक्त व्यवहार।। समय रहे करना होगा, बचपन का नव इंतज़ाम। वरना रहो भुगतने तैयार भीवत्स लाखों अंजाम।। आओ बचाएं बचपन प्यारा, मोबाइल के जाल से करें विचार मिलजुल अभी, पीड़ा किस सवाल से।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं ...
यशोदा नंदन
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यशोदा नंदन

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** १ यशोदा नंदन करता जग सारा अभिनंदन प्रगटे नंदलाला। २ नाच नचावत छछिया भर छाछ दिखाबत ब्रज ग्वालिन। ३ आठवी संतान लियो रूप नर,नाराण मुरली मनोहर। ४ वृषभानु दुलारी बनी कृष्ण प्राणन प्यारी अनुपम जोड़ी। ५ दाऊ भैय्या कहत मोल लीनो मैय्या खींजत घनश्याम। ६ त्यागे मिष्ठान तोड़ो दुष्ट दुर्योधन अभिमान विधुर भाए। ७ बन शांतिदूत किया कौरव कुल आहूत त्यागो विद्वेष। विधान - पहली पंक्ति २ शब्द, दूसरी पंक्ति ४ शब्द, तीसरी पंक्ति २ शब्द शब्द से आशय - दो या दो से अधिक सार्थक वर्णों से मिलकर बनने बाले शब्द परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, क...