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Tag: गीता देवी

गांधी जी का जन्म दिवस
कविता

गांधी जी का जन्म दिवस

गीता देवी औरैया (उत्तर प्रदेश) ************* महात्मा गांधी जी का जन्म दिवस मनाएँ। विद्यालय में सब मिलकर तिरंगा फहराएँ।। सदा सत्य बोलना सबको आज सिखाएँ। गांधी जी का हृदय से सभी मान बढ़ाएँ।। बच्चे उनको प्यार से बापू कहते थे, वाणी से सदा मीठे बोल बोलते थे। सादा जीवन उच्च विचार ही रखते थे, सदा अहिंसा की राह पर वह चलते थे।। महात्मा गांधी जी के अब कथन सुनो, सत्य अहिंसा का ही तुम मार्ग चुनो। निर्मल मन से सद्भावों को सभी गुनो, समय और धन बचा कर भविष्य बुनो।। प्यारे बापू मात पिता की सेवा थे करते, सब की आज्ञा का पालन भी थे करते। २ अक्टूबर को जन्म दिवस मनाया करते, शुभ दिवस पर राष्ट्रपिता को नमन हैं करते।। परिचय :- गीता देवी पिता : श्री धीरज सिंह निवासी : याकूबपुर औरैया (उत्तर प्रदेश) रुचि : कविता लेखन, चित्रकला करना शैक्षणिक योग्यता : एम.ए. संस्कृत बीटीसी, सम्प्रति : बे...
हिन्दी है अनमोल
गीत

हिन्दी है अनमोल

गीता देवी औरैया (उत्तर प्रदेश) ************* (तर्ज- सावन का महीना पवन करे सोर) हिंदी भाषा अपनी है सबसे अनमोल, अन्य भाषा का इसके आगे चले न कोई जोर। जन्मी है हिंदी भाषा कहां से रे भैया, संस्कृत मानी जाए इनकी रे मैया। संस्कृत से मिले हैं गुण सारे अति घोर, अन्य भाषा इसके आगे चले न कोई जोर।। हिंदी भाषा .... अन्य भाषा.... रस छंदों का यहाँ पुंज है सारा, संज्ञा विशेषण और हैं अलंकारा। हिंदी का महत्व फहलाऊँ चहुँओर, पर भाषा का इसके साथ, नहीं है कोई जोड़।। हिंदी भाषा.... पर भाषा का.... हिंदी हमारी अब बने राष्ट्रभाषा, सपना यही मन में देश सजाता। मान मिले हिंदी को करें सभी अब गौर, अन्य भाषा इसके आगे, चल न पाए जोर।। हिंदी भाषा अपनी है सबकी सिरमौर, अन्य भाषा का इसके आगे चले न कोई जोर।। परिचय :- गीता देवी पिता : श्री धीरज सिंह निवासी : याकूबपुर औरैया (उत्तर प्रदेश) ...
मैं शिक्षक हूं
कविता

मैं शिक्षक हूं

गीता देवी औरैया (उत्तर प्रदेश) ************* मैं शिक्षक हूँ मैं शिक्षक हूँ, नई पीढ़ी को सजाता हूँ। भरूँ मैं ज्ञान का सागर, नई गागर बनाता हूं।। बनाऊँ देश का भविष्य, मैं अनुभव पढ़ाता हूँ। रहेगी दूर अब हर बुराई, मैं नेक इंसान बनाता हूँ।। पढ़े मेरे देश के बच्चे, यही स्वप्न सजाता हूँ। करें हर क्षेत्र में नाम, ऐसा पथ दिखाता हूँ।। ना हो विचलित उनका, लक्ष्य मैं अर्जुन बनाता हूं बनूँ में स्वयं द्रोणाचार्य, मैं कर्तव्य सिखाता हूँ।। चलूँ साथ साथ हर कदम, छात्र के डर को भगाता हूं । उलझन हो अगर जीवन में, तो उसको सुलझाता हूँ।। आए जो रास्ते में जो शूल, उन्हें में फूल बनाता हूं। मेरे छात्रों के पग में न, चुभे कंकड़ हटाता हूँ।। चाहे हो गर्मी या वर्षा, सभी की मार सहता हूँ। करें आज्ञा मेरा विभाग, मैं वह काम करता हूं।। मैं शिक्षक हूँ मैं शिक्षक हूँ, छात्र के म...
नीरज पर नाज
कविता

नीरज पर नाज

गीता देवी औरैया (उत्तर प्रदेश) ************* है मान बढ़ाया तिरंगे का, लाल देश के नीरज ने। खूब दिखाया बाजुए जोर, होनहार वीर के धीरज ने।। देश की माताओं को सदा, रहेगा गर्व इस सुपुत्र पर। दुलार करती भारत की बहनें, स्वर्ण पदक लाए भाई पर।। देख नीरज के पौरुष को, युवाओं में साहस है भरा। दिखा दी बाजुए ताकत, भारत का रक्त देख जरा।। भारत का मान हमारा तिरंगा, गगन में ऊंचा कर दिखाया। हे हिंदुस्तान की शान नीरज, देश के भाल तिलक सजाया।। पग पग पर उड़ी रज ने, घर-घर में संदेश सुनाया। चमकता सोने का तमगा, सोने की चिड़िया के घर आया।। दे रही आशीर्वाद मेरी लेखनी, मिली प्रगति पल-पल आपको। तत्पर सदा है तैयार कलम, शौर्यता की कहानी लिखने को।। परिचय :- गीता देवी पिता : श्री धीरज सिंह निवासी : याकूबपुर औरैया (उत्तर प्रदेश) रुचि : कविता लेखन, चित्रकला करना शैक्षणिक योग्यता : ए...
रक्षाबंधन
कविता

रक्षाबंधन

गीता देवी औरैया (उत्तर प्रदेश) ************* तर्ज- (प्यार हमारा अमर रहेगा) वीर हमारा, प्राणों से प्यारा, जाने ये सारा जहाँ जहां तू रक्षक है, प्यारी बहना का, भाई सा कोई कहाँ। तुम को लगे ना, किसी की नजर, फूलों भरा हो तेरा सफर। प्यारा त्यौहार है, रक्षाबंधन राखी बांधे भाई को बहन है। मेरी दुआ है, रहे तू सलामत, चाहे बहन और क्या। तू रक्षक है प्यारी बहनों का। भाई सा कोई कहां। वीर हमारा प्राणों से प्यारा... तू रक्षक प्यारी बहनों का... तू है अमानत, मात-पिता की। भाई मेरे तू, जान मेरी है। मान रखे तू, मेरी राखी की, बहन तेरी बस इतना चाहे। इस रिश्ते का, मूल्य ना कोई, दे पाएगा जहां। तू रक्षक है प्यारी बहना का... वीर हमारा... तू रक्षक है... परिचय :- गीता देवी पिता : श्री धीरज सिंह निवासी : याकूबपुर औरैया (उत्तर प्रदेश) रुचि : कविता लेखन, चित्रकला करना शैक्षणिक योग्य...
गांव और शहर
कविता

गांव और शहर

गीता देवी औरैया (उत्तर प्रदेश) ************* जहां पनघट पर गांव की, बालाओं को चढ़ते देखा था। जहां खेत जाते किसानों को, हल चलाते देखा था।। बरगद के पेड़ के नीचे जहां, चौपाल लगाई जाती थी। और फैसला होने पर, बात पंचों की मानी जाती थी।। जहां गन्नों के खेतों में, कोल्हू से रस निकलता था। मीठे गुड़ की खुशबू से, तब वातावरण महकता था।। हर घर का आंगन भी, मां तुलसी से सुशोभित था। जहां ढोलक और मजीरों पर, स्त्रियों का संगीत गूंजता था।। छोटे-छोटे बच्चों को दादी, नानी की कहानी में लगाव था। गायें थी हल था अलाव था, वही मेरा गांव था।। और यहां प्रदूषण फैलाती हुई, बसें हैं कारें हैं टैक्सी हैं। चौराहे दर चौराहे पर , भीड़ भरी गैलेक्सी है।। नल है कल है कारखाने हैं, इंसान का इंसान से कोई नहीं रिश्ता है, मशीनों में जीता है मशीनों में पिसता है।। हर घर में टीवी है मोबाइल...
मित्रता
कविता

मित्रता

गीता देवी औरैया (उत्तर प्रदेश) ************* मन से मन का रिश्ता कहलाता मित्रता या दोस्ती। अच्छे बुरे वक्त में सदा, निभाई जाती है दोस्ती।। दोस्ती कभी ना देखती, सुनो अमीरी और गरीबी। ऊंच-नीच से है परे, बुराई में भी ढूंढे खूबी।। स्मरण करना नहीं छोड़ा, कृष्ण के मित्र सुदामा ने। दे दिया दो लोकों का सुख, मित्र को अपने कान्हा ने।। दुष्ट अत्याचारी था दुर्योधन, कर्ण को सम्यक् ज्ञान था। दोस्ती निभाने की खातिर, प्राणों का किया बलिदान था।। निषादराज जी सखा को, वचन दिया था श्री राम ने लौटेंगे वनवास से जब भी, मिलेंगे अवश्य कहा श्रीराम ने।। रिश्ते बनते और बिगड़ते, दोस्ती रहती सदा बरकरार। एक दोस्ती हुई लेखनी से, निभाएंगे रिश्ता अब लगातार।। परिचय :- गीता देवी पिता : श्री धीरज सिंह निवासी : याकूबपुर औरैया (उत्तर प्रदेश) रुचि : कविता लेखन, चित्रकला करना शैक्षणिक योग्...
आस्था और विश्वास
कविता

आस्था और विश्वास

गीता देवी औरैया (उत्तर प्रदेश) ************* इस जगत की यह सच्चाई, मिथ्या ना हो कोई आस। हर रिश्ते की है मजबूती, दो शब्द आस्था और विश्वास।। सच्ची आस्था का यह सत्य, न मानो अगर तो है पत्थर। कर लिया दृढ़ विश्वास तो मानव, निर्मित हो उठता है ईश्वर ।। अटूट प्रेम की सुंदर आस्था, एक पत्नी की पति के लिए। जीवन भर बना रहता रिश्ता, सच्ची विश्वसनीयता के लिए।। गुणवान बिटिया करती आस्था, जन्म देने वाले अपने पिता पर भेज देते हैं लाडली को अपनी, हेतु शिक्षा सिर्फ विश्वास पर।। अबोध शिशु को भी है विश्वास, रहता उसको अपने तात पर। हवा में उछाले पुत्र को अपने, आस्था अटूट पुत्र की पिता पर। अभिभावक अपने बच्चों को, छोड़ देते हैं आस्था के सहारे। गुरु देंगे सुशिक्षित प्रगाढ़ ज्ञान, दृढ़ विश्वास कभी ना हारे ।। जीव के लिए ईश्वर ने , दो शब्द बनाए हैं अनमोल। जिए सरलता से पृथ्वी पर ...
महीना सावन का
कविता

महीना सावन का

गीता देवी औरैया (उत्तर प्रदेश) ************* भरे दिखे हैं ताल-तलैया, मनभावन वाले सावन में। बोले मोर और पपीहा, अब हर घर केआंगन में।। लिए खड़ी हल्दी- कुमकुम- थाल, राह देख रही बहन कलाई की। भई हम जाएंगे पीहर अपने, याद आई हमें अब भाई की।। टर्र-टर्र करते मेंढक भी, बोले सुहाने सावन में। चले नाव कागज की, बच्चों की प्यारे सावन में।। सावन में याद सताती है, जिनके गए परदेस पिया। कोयल गाये गान मीठा जब, अब धड़के विरह में जिया।। हरे-भरे चहुँ दिशि देखे, बाग- बगीचे और खलियान। अनजान नहीं है कोई यहां, धान रोपने चले किसान।। हम सब झूला झूले, बच्चे बूढ़े और जवान। शिव को पूजे इसी महीने, जो देते मनचाहा वरदान।। परिचय :- गीता देवी पिता : श्री धीरज सिंह निवासी : याकूबपुर औरैया (उत्तर प्रदेश) रुचि : कविता लेखन, चित्रकला करना शैक्षणिक योग्यता : एम.ए. संस्कृत बीटीसी, सम्प्रत...