प्रयाग-कुम्भ
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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यह कुम्भ धर्म से संगम है
साहित्य संस्कृति सर्जन का।
उत्थान पतन चिन्तन मन्थन
मन मर्दन मन संवर्धन का।।१।।
आलिंगन का आलिंपन का
आलम्बन का अवलम्बन का।
तर्कों के खण्डन मण्डन का
कचमुण्डन पिण्डन पुण्डन का।।२।।
यह कुम्भ धर्म से .............।।
अंजन मंजन मन रंजन का
भय भंजन का दुख भंजन का।
कन्दर कानन के आँगन से
निकले सन्तानन पादन का।।३।।
चतुरानन का पंचानन का
सप्तानन और षडानन का।
आवाहन का अवगाहन का
आराधन का अवराधन का।।४।।
यह कुम्भ धर्म से .............।।
मोहन मारण उच्चाटन का
भोजन भाजन भण्डारण का।
चारण उच्चारण तारण का
कुल कारण और निवारण का।।५।।
गायन नर्तन संकीर्तन का
पूजन अर्चन पदसेवन का।
वन्दन अभिनन्दन चन्दन का
फिर खुलकर आत्मनिवेदन का।।६।।
यह कुम्भ धर्म से .............।।
स्पर्शन ...