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Tag: के.पी. चौहान

नारी
दोहा

नारी

केदार प्रसाद चौहान (के.पी. चौहान) गुरान (सांवेर) इंदौर ****************** नारी को जो समझे बेचारी। वह नर हे बड़ा अत्याचारी।। नारी को भी अब निडर होना चाहिए। अपनी रक्षा के लिए स्वयं लीडर होना चाहिए।। छोड़कर मान मर्यादा अब माता सीता वाली। बन जाओ रणचंडी नवदुर्गा और काली।। देखकर माथे का सिंदूर। समझे ना कोई मजबूर।। नारी तेरे हाथों से अब कमाल होना चाहिए। एक खंजर के वार से दरिंदों का चेहरा लाल होना चाहिए।। कैसे समझाएंगे इनको यह आदमखोर दरिंदे हैं। डूब मरो कानून के रखवालों जब तक जुल्मी जिंदे हैं।। नजर उठा कर देख ना सके इनकी आंखें फोड़ देना चाहिए। काट कर दोनों हाथ पैर तोड़ देना चाहिए।। बीच चौराहे सूली पर टांग कर सजा देना चाहिए। केरोसिन डालकर इन दरिंदो को भी आग लगा देना चाहिए।। . लेखक परिचय :-  "आशु कवि" केदार प्रसाद चौहान के.पी. चौहान "समीर सागर"  निवासी - गुरान (सांवेर) इंदौर ...
खरदूषण
कविता

खरदूषण

के.पी. चौहान गुरान (सांवेर) इंदौर ****************** दीपावली के इस पावन पर्व। और सुहाने मौसम, तथा प्यार भरी बारिश, बन के आई है। प्रदूषण से त्रस्त लोगों के लिए।। अमृत वर्षा। सोचा होगा, कब तलक दिल्लीवासी। दीपावली पर छोड़े गए पटाखों के, प्रदूषण के जहर को भागेगा। नादान है इंसान, समझने को तैयार नहीं। वह पता नहीं कब तक। अपने जीवन के साथ खेलेगा।। इंसान तो मरेंगे ही साथ में जीव जंतु। और वन्य प्राणियों की जान भी ले लेगा।। अति उत्साह में चलाकर पटाखे। बढ़ा रहा है प्रदूषण।। उसे नहीं पता कि १ दिन। हमें ही खा जाएगा यह; खरदूषण।। . लेखक परिचय :-  "आशु कवि" के.पी. चौहान  "समीर सागर"  निवासी - गुरान (सांवेर) इंदौर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हे...