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Tag: कृष्ण कुमार सैनी “राज”

नारी की लाज
कविता

नारी की लाज

कृष्ण कुमार सैनी "राज" दौसा, राजस्थान ******************** आज भी लुट रहा है, चीर नारी का। नारी, हर किसी पर है भारी, लेकिन न जाने क्यों हो रही है उसके साथ घटना दिन प्रतिदिन। कहते भी है कि "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता", फिर भी कर रहे हैं, छल, कपट, अत्याचार नारी के साथ, हम और आप मिलकर। पहले भी होते थे और आज भी हो रहे हैं, अत्याचार नारी पर। न जाने कब तक होते रहेंगे इस धरती पर नारी के साथ अत्याचार।। हे कृष्ण पहले भी तुम्हीं आए थे बचाने लाज। अब भी उम्मीद है तुमसे ही आकर बचालो आज।। कलयुग की द्रोपदी की लाज। आ जाओ एक बार कृष्ण आज... आज... आज...॥ परिचय :- कृष्ण कुमार सैनी "राज" निवासी - दौसा, राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविता...
बहाना था
ग़ज़ल

बहाना था

कृष्ण कुमार सैनी "राज" दौसा, राजस्थान ******************** तिरे लब पर हमेशा ही कोई रहता बहाना था तुझे भी है मुहब्बत यह मुझे यूँ आज़माना था मुझे तुम मिल गये मानो सभी कुछ मिल गया मुझको तुम्हारा प्यार ही मेरे लिये जैसे खज़ाना था हमेशा की तरह बारिश में मिलने रोज़ आता था मुहब्बत का यक़ीं हर रोज़ यूँ तुमको दिलाना था जले हों लाख दिल सबके मुहब्बत देखकर मेरी मुझे कुछ ग़म नहीं था प्यार बस तुझ पर लुटाना था हवा से उड़ गए लाखों घरौंदे हम गरीबों के कभी जिन में हमारा खूबसूरत आशियाना था लगा है रोग सबको प्रेम का जिसका मदावा क्या मगर यह "राज" सबके सामने भी तो जताना था मदावा --इलाज परिचय :- कृष्ण कुमार सैनी "राज" निवासी - दौसा, राजस्थान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर...