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Tag: कु.चन्दा देवी स्वर्णकार

हर्षोल्लास
कविता

हर्षोल्लास

कु.चन्दा देवी स्वर्णकार जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** मेरी चिरैया सोन चिरैया मनभावन है वह पर्यावरण की प्यारी चिरैया पर्यावरण में नैसर्गिक ताकि न होती तो तो तुम गौरैया कहाँ से आती आज प्रदूषण में कहां चली गई तेरी कूक से ही तो कोयल कूक तेरी कोख से ही तो सरगम बना तेरी ची्ची की आवाज में ही तो वैज्ञानिक को वैज्ञानिकता दी और तेरी ही कूक से गायकों का अवतरण हुआ. आज ही केदिन अलका याग्निक का भी "हुआ तेरी "दिवस पर है वैज्ञानिक का भी दिवदिवस न्यूटन का पुन्यतिथि का दिवस शायद वह भी आज अचंभित है शायद वह भी इस प्रदूषित संसार से दुखी होकर चला गया भौतिकवादी इस दुनिया ने तुझे ७०% मार दिया और विश्व पटल पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह दिया आखिर क्यों आखिर क्यों? छत पर आंगन पर ,घर के अंदर बाहर, राज्य था हमारा तेरे साथ साथ होली खेलते तुम हमारे साथ से दाना चुगती बचपनमें हम तुम एक साथ थे अलमस्त इस जीवन ...
महादान
लघुकथा

महादान

कु.चन्दा देवी स्वर्णकार जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** ज्योत्सना अपनी पति जगदीश के साथ हॉस्पिटल में ३ दिन से एक ही बेंच पर बैठी टकटकी लगाए उस कमरे की ओर देख रही है जहां उसका बेटा भर्ती है डॉ. उसे मिलने नहीं दे रहे हैं सड़क दुर्घटना में वह इस तरह से घायल हो गया है की उसे डॉ. किसी भी तरह से नहीं बचा पा रहे हैं। इन ३ दिनों में पति ने अनेकों बार उसे कुछ खा पी लेने के लिए कहा किंतु वह टस से मस न हुई और मन ही मन अनेक देवता देवी देवताओं को मनाती रही कि मेरे पुत्र को जैसे भी बने वैसे ठीक कर दो। अन्दर से डाक्टरों का समूह जैसे ही बाहर निकला उनमें से एक ने जगदीश को अपने पास बुलाकर जो कुछ समझाया उसे सुन कर जगदीश के हाथ पैर ढीले पड़ गये वे एकदम से गिरते-गिरते बचे। पत्नी ने पति के काँधे पर हाथ रखा और कहा- "मुझे बताते की जरूरत नहीं मैंने सब कुछ सुन लिया है। मेरा चिराग कुछ ही पल में जा...