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Tag: किशन सनमुखदास भावनानी

मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं
कविता

मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** बड़े बुजुर्गों की कहावत सच है कि हाथी के दांत दिखाने खाने के और हैं मेरी पोल खोलना मत मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं बड़े बुजुर्गों की कहावत है कि एक उंगली दूसरे पर उठा तीन उंगली ख़ुदपर उठेगी मैं भी दूसरों पर उंगली उठाता हूं पर तीन उंगलियां का मैं दोषी हूं मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं अपने संस्था के प्रोग्राम में मुख्य अतिथि एसपी की पत्नी जज़अधिकारी को बुलाता हूं उनमें मेरे कई बहुत काम फ़सते हैं मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं मैं खुद प्राकृतिक संसाधनों का अवैध दोहन कर शासन को चुना लगाता हूं अधिकारियों के हाथ गर्म करता हूं मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं हर गलत काम जो अवैध करता हूं समाज में सफेदपोश बनकर रहता हूं नामी संस्था का संस्थापक हूं मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं यह सब बाते...
साथ मिलकर
कविता

साथ मिलकर

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाना हैं संकल्प लेकर सुशासन को आखिरी छोर तक ले जाना हैं भ्रष्टाचार को रोककर सुशासन को आखरी छोर तक ले जाना हैं सरकारों को ऐसी नीतियां बनाना हैं भारत को सोने की चिड़िया बनानां हैं आधुनिक प्रौद्योगिकी युग में भी अपनी जड़ों से जुड़कर रहना है प्रौद्योगिकी का उपयोग कुशलतापूर्वक करना है प्रौद्योगिकी पर जोर देकर विकास को बढ़ाना हैं कल के नए भारत को साकार रूप देना हैं भारत को परिवर्तनकारी पथ पर ले जाना हैं सबको परिवर्तन का सक्रिय धारक बनाना हैं न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन प्रणाली लाना हैं सुशासन को आखिरी छोर तक ले जाना हैं भारतीय लोक प्रशासन को ऐसी नीतियां बनाना हैं वितरण प्रणाली में भेदभाव क्षमता अंतराल को दूर करना हैं लोगों के जीवन की गुणवत्ता कौशलता विका...
ये ख्वाब हमारे
कविता

ये ख्वाब हमारे

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** जब देश की आजादी के १०० वर्ष पूरे होंगे आजादी के अमृत काल तक भारतीय शिक्षा नीति सारी दुनिया को दिशा देने वाले दिन होंगे ये ख्वाब हमारे संकल्प सामर्थ्य से पूरे होंगे अमृत काल में हिंदुस्तान की शिक्षा नीति की विश्व प्रशंसा करे, यहां ज्ञान लेने आएं, ऐसा हमारा गौरव हों, विश्व कल्याण की भूमिका निर्वहन करने में भारत समर्थ होंगे राष्ट्रीय शिक्षा नीति को शिक्षकों प्रशासकों ने गंभीरता से अमल में लाना है शिक्षा क्षेत्र में भारत को विश्वगुरु बनाना है भारतीय युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं बस गंभीरता से उसे पहचानना है शिक्षण को स्वांदात्मक बहुआयामी आनंदमयी अनुभव बनाना है छात्रों में मूल्यों को विकसित करने शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित करनाहै छात्रों के आचरण को सुधारने विपरीत परिस्थितियों का स...
सहज़ता में संस्कार उगते हैं
कविता

सहज़ता में संस्कार उगते हैं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** अपने आपको सहज़ता से जोड़ो सहज़ता में संस्कार उगते हैं सौद्राहता प्रेम वात्सल्य पनपता है लक्ष्मी सरस्वती का आशीर्वाद बरसता है जिंदगी की दुर्गति की शुरुवात अहंकार रूपी विकार से होती है अहंकार दिख़ाने को छोड़ो, परिणाम मानसिक असंतुलन की शुरुआत होती है क्रोध अहंकार दिखावा छोड़ सहज़ता जोड़ो क्रोध के उफ़ान में अपराध हिंसा हो जाती है घर बार जिंदगी तबाह हो जाती है जिंदगी को वात्सल्य रूपी सुयोग्य मंत्रों से जोड़ो क्रोध रूपी विकार को छोड़ो अपने, आपको विनम्रता से जोड़ो इस मंत्र से भारत के हर व्यक्ति को जोड़ो परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) निवासी : गोंदिया (महाराष्ट्र) शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं। आप भी अप...
आदत से मज़बूर हूं
कविता

आदत से मज़बूर हूं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** प्रमोटेड हुआ हूं आदत से मज़बूर हूं बहुत छोटे पद से बड़े पद पर प्रमोटेड हुआ हूं भ्रष्टाचारी चाय पानी नहीं छोड़ा हूं कुर्सी पर बैठकर ग्राहक ढूंढता रहता हूं प्रमोटेड हुआ हूं आदत से मज़बूर हूं पूरा घरखर्चा इसी ऊपरी कमाई से निकालता हूं पगार को गुटका ठर्रा तंबाकू अय्याशी में उड़ाता हूं मिलीभगत तंत्र से काम चलाता हूं प्रमोटेड हुआ हूं आदत से मज़बूर हूं नए वर्ष में हितधारकों का काम किया हूं किसी को बताना मत घूसखोरी बहुत लिया हूं लगातार पंद्रह दिन न्यूईयर पार्टी ड्यू किया हूं प्रमोटेड हुआ हूं आदत से मज़बूर हूं अधीनस्थ कर्मचारियों पर रौब जमाता हूं धीरे से घूसखोरी की हिस्सेदारी मांगता हूं जो नहीं देता उसे ऑफिसबैठक ट्रांसफर करता हूं प्रमोटेड हुआ हूं आदत से मज़बूर हूं मैं जनता का नहीं जनता मेरी नौकर है सम...
निजी बयान है
हास्य

निजी बयान है

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** पार्टी के पदाधिकारी को बयान देने बोलता हूं तीर निशाने पर लगे तो सही है बोलता हूं कोई विवाद हो जाए तो प्लान बदल देता हूं यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं शाब्दिक बाण हमेशा स्टॉक में रखता हूं नहले पर दहला मारने बोलता हूं बात बिगड़ गई तो यू-टर्न ले लेता हूं यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं अक्सर चुनाव के समय बयान तीर से छोड़ता हूं बयान देने वालों की चैनल बनाता हूं दांव उल्टा पड़ गया तो पलट जाता हूं यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं शाब्दिक दांव-पेचों का खेल खूब खेलता हूं मान-सम्मान गिराने के दांव-पेच खेलता हूं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे टेढ़ा पड़ा तो यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं मेरे धुर विरोधी विचारधारा वाले भी खेलते हैं प्री प्लानिंग से उल्टा सीधा सब बोलते हैं फायदा हुआ त...
लिए दिए पर मिलता है भाई
कविता

लिए दिए पर मिलता है भाई

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** सुशासन समागम में सीएम ने यह बात बिना हिचक के उठाई हकीकत धरातल पर आई योजनाओं का लाभ लिए दिए पर मिलता है भाई सीएम ने ब्यूरोक्रेसी को फिर आईनासूरत दिखाई अफसरों ने मुझे अच्छी पिक्चर दिखाई असलियत में वैसा नहीं है भाई योजनाओं का लाभ लिए दिए पर मिलता है भाई मोटिवेशनल स्पीकर की तरह बोले एक्शन ऑन द स्पॉट करता हूं भाई झूठे पिक्चर मत दिखाओ भाई योजनाओं का लाभ लिए दिए पर मिलता है भाई जनता जागृत है इलेक्शन आग्रत है छवि ईमानदार बनाना है भाई नहीं खाने दूंगा हरे गुलाबी की मलाई योजनाओं का लाभ लिए दिए पर मिलता है भाई अफसरों से पूछताछ करते रहता हूं भाई संतोष नहीं हुआ तो करता हूं कार्यवाही कर दो अब भ्रष्टाचार को सख़्त मनाई योजनाओं का लाभ लिए दिए पर मिलता है भाई परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) निव...
नियमों कानूनों की धौंस बताता हूं
कविता

नियमों कानूनों की धौंस बताता हूं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** चेयर पर बैठने के बाद अपनी स्यानपत्ती चलाता हूं जनता के कामों में रोड़े अटकाता हूं मलाई हरे गुलाबी का इशारा देता हूं नियमों कानूनों की धौंस बताता हूं ऊपर से मिली हिंट दिशा निर्देशों पर काम करता हूं अर्जियों को हवा में उड़ा देता हूं ऊपर से नीचे तक हिस्सेदारी पर काम करता हूं नियमों कानूनों की धौंस बताता हूं डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर को भी चलाता हूं बड़े हिसाब से खूंटी गढ़ाता हूं डिजिटल काम भी चालाकी से लटकाता हूं नियमों कानूनों की धौंस बताता हूं हम सभी कर्मचारी हमाम में वो हैं समझता हूं कोई किसी की पोलपट्टी नहीं खोलता जानता हूं निलंबित होकर फ़िर वापस आ जाता हूं नियमों कानूनों की धौंस बताता हूं पद पर लगे का ब्याज सहित वसूलता हूं छोटे-छोटे कामों का भी बड़ा बड़ा लेता हूं कंप्लेंट का डर नहीं क्योंकि...
मैं खुद पर अमल नहीं करता हूं
कविता

मैं खुद पर अमल नहीं करता हूं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** मैं लोगों को बहुत ज्ञान बांटता हूं उदाहरण सहित नसीहतें देता हूं सचेत रहने की सलाहें देता हूं पर मैं खुद पर अमल नहीं करता हूं खास व्हाट्सएप ग्रुप में अच्छी पोस्ट डालने की सलाह देता हूं डर्टी बातें मीडिया में नहीं देखने की बातें जोर देकर बोलता हूं पर मैं खुद उस पर अमल नहीं करता हूं आध्यात्मिक वाणी वाचन बहुत करता हूं संगत को अमल करने की सलाह देता हूं बुरी चीजों से दूर रहने को बोलता हूं पर मैं खुद उस पर अमल नहीं करता हूं भाषणों में मैं विकास की बातें बहुत करता हूं याद से मेरे चिन्ह पर ठप्पा लगाने को कहता हूं जनता जनार्दन हित की बातें बहुत करता हूं पर मैं खुद उस पर अमल नहीं करता हूं समाज को प्रगति पथ पर चलने को कहता हूं उत्साह से उच्च पद कायम करने कहता हूं गरीबों की सेवा करने सबको उत्साहित करता ह...
बच्चों में भगवान बसते हैं
कविता

बच्चों में भगवान बसते हैं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** हर छल कपट दांव पेंच से दूर रहते अबोध बच्चे खिलखिलाकर हंसते हैं किसी के ऊपर ताने तंज़ नहीं कस्ते हैं क्योंकि बच्चों में भगवान बसते हैं बच्चे न कोई शिकायत गिले-शिकवे करते हैं वह बेटी या बेटा हूं अनजान रहते हैं ना किसी की बुराई ना गुणगान करते हैं क्योंकि बच्चों में भगवान बसते हैं नारी को मां बनने का सम्मान देते हैं पिता के गौरव और अभिमान होते हैं मत मारो कोख में वह एक नन्हीं सी जान है बच्चों मैं समाए होते भगवान होते हैं घर की चौखट चहकती है बच्चे जब हंसते हैं महकता है घर जिसमें बच्चे बसते हैं संस्कारवान बच्चे धन सम्मान सेवा के रस्ते हैं बच्चों में भगवान बसते हैं गम खुशी नहीं समझते हमेशा हंसते हैं दिल जुबां में कुछ नहीं बस हंसते हैं स्कूल जाते पीठ पर भारी बस्ते हैं तकलीफ़ नहीं बताते बस हंस्तें है...
विश्व के प्रमुख फैशन हाउसों में
कविता

विश्व के प्रमुख फैशन हाउसों में

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** विश्व के प्रमुख फैशन हाउसों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहिए अपने शिल्प और फैशन सामग्री को वैश्विक पटल पर आगे बढ़ाना चाहिए भारत को विश्व की फ़ैशन राजधानी बनना चाहिए भारत को अपने उत्पादों को विश्व के प्रमुख फ़ैशन हाउसों के साथ प्रदर्शन करना चाहिए प्रदर्शन में विश्व स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना चाहिए बिना किसी पूर्वाग्रह के राष्ट्र की प्रगति में सहयोग करना चाहिए परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) निवासी : गोंदिया (महाराष्ट्र) शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप
भजन, स्तुति

मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** धर्म ग्रंथों और पुराणों में मां लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों का वर्णन है मान्यता है मां लक्ष्मी की कृपा बिना जीवन में समृद्धि संपन्नता पाना असंभव है मां के अष्ट लक्ष्मी स्वरूप अपने नाम स्वरूप के अनुसार भक्तों के दुख दूर करती हैं सुख समृद्धि देकर वैभव बढ़ाती है धन की वर्षा से जीवन सफल बनाती है आदिलक्ष्मी धन लक्ष्मी धान्य लक्ष्मी स्वरूपों सहित गज लक्ष्मी संतान लक्ष्मी वीर लक्ष्मी जय लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी अष्ट स्वरूप है हर स्वरूप से कृपा रहमत बरसाती है लक्ष्मी मां का सशक्त अस्त्रों में मुद्रा अस्त्र है अलक्ष्मी चंद्रदेव शुक्राचार्य भाई बहन हैं मां का दिवस शुक्रवार जीवनसाथी विष्णु है सवारी गरुड़ उल्लू शेषनाग कमल है ओम श्री श्रेये नमः मूल मंत्र हैं वैंकुठ मणिद्वीप क्षीरसागर निवास स्थान है महालक्ष्मी...
भारत को सोने की चिड़िया बनानां हैं
कविता

भारत को सोने की चिड़िया बनानां हैं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** भारत को सोने की चिड़िया बनानां हैं भ्रष्टाचार को रोककर सुशासन को आखरी छोर तक ले जाना हैं हृदय में ऐसा जज्बा लाना है सरकारों को ऐसी नीतियां बनाना हैं साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाना हैं संकल्प लेकर सुशासन को आखिरी छोर तक ले जाना हैं भारत को परिवर्तनकारी पथ पर ले जाना हैं सबको परिवर्तन का सक्रिय धारक बनाना हैं न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन प्रणाली लाना हैं सुशासन को आखिरी छोर तक ले जाना हैं भारतीय लोक प्रशासन को ऐसी नीतियां बनाना हैं वितरण प्रणाली में भेदभाव क्षमता अंतराल को दूर करना हैं लोगों के जीवन की गुणवत्ता कौशलता विकास में सुधार करके सुखी आरामदायक बेहतर ख़ूबसूरत जीवन बनाना हैं सुविधाओं समस्यायों समाधानों की खाई पाटना हैं आम जनता की सुविधाओं को अधनुतिक तकनीकी से बढ़ाना हैं ...
स्थानीय निकायों के दस्ते
व्यंग्य, हास्य

स्थानीय निकायों के दस्ते

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** प्लास्टिक बंदी का दौर आया है स्थानीय निकायों ने बाजारों में रेड करने के क्षेत्र वाईस दस्ते बनाए है पर लगता है माल सुताई मौसम आया है कार्रवाई में भाई भतीजावाद समाया है अपनों पर कार्रवाई नहीं करने का मन बनाया है कुछ जातिवाद को प्रथा भी अपनाई है मलाई की चाहत भी दिखलाई है दस्ते ने अपनी दादागिरी दिखलाई है स्थानीय निकाय के अन्य विभागों से भी भीड़ कर्मचारियों की साथ लाई है पुलिस बनकर कार्रवाई की राह अपनाई है फैक्ट्रियों पर से नजर बिल्कुल हटाई है छोटे दुकानदारों पर सख्ती दिखाई है माल सूतो नीति अपनाई है हफ़्ता खोरी की नीति चलाई है दस्ते वालों समझो पीएम तक खबर पहुंचाई है मन की बात से बात बतलाई है। अब तुम पर कार्रवाई की नौबत आई है संभल जाओ वक्त की दुहाई है परिचय :- किशन सनमुखदास...
दुनिया में सभी सुखी रहें
कविता

दुनिया में सभी सुखी रहें

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** दुनिया में सभी सुखी रहें जीवन भर सभी के मन शांत रहें दूसरों की परेशानी में मदद करें यह भाव हर मानवीय जीव में रहे कभी किसी को दुख का भागी ना बनना पड़े यह कामना हर मानवीय जीवन में रहे जीवन में किसी जीव को परेशान बुराई ना करने का मंत्र ज्ञान मस्तिष्क में रहे सभी जीवन में सुखी रहें दुनिया में कोई दुखी ना रहे सभी जीवन भर रोग मुक्त रहे मंगलमय के हर पल के सभी साक्षी रहे सभी श्लोकों को पढ़कर जीवन में आनंद करें महापुरुषों के ग्रंथों को पढ़कर सही रास्ते पर चलकर सभी में यह सोच भरें किसी की बुराई और परेशान ना करें भारतीय संस्कारों को जीवन में अपनाते रहें सभी जीवो का कल्याण का कार्य करते रहें किसी के दुखों का भागी कारण न बने सभी की भलाई निस्वार्थ करते रहें परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) ...
भ्रष्टाचार
कविता

भ्रष्टाचार

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** भ्रष्टाचार करके परिवार को पढ़ाया टेबल के नीचे पैसे लेकर परिवार बढ़ाया कितना भी समेट लो साहब यह वक्त है बदलता जरूर है सरकारी पद था उसकी यादें बहुत है जिंदगी गुजर गई सबको खुश करने में परिवार कहता है तुमने कुछ नहीं किया सुनकर कहता हूं समय है बदलता जरूर है अनुभव कहता है उस समय ठस्का था पद पर बैठकर रुतबा मस्का था भ्रष्टाचार में जीवन खोया पैसों का चस्का था पद कारण भ्रष्टाचार का चस्का था अब स्थिति जानवर से बदतर है अब खामोशियां ही बेहतर है पाप की कमाई का असर है अब जिंदगी दुखदाई बसर है खामोशियां ही बेहतर हैं शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं बात बात पर लोग चिढ़ते बहुत हैं गुस्से में रिश्ते टूटते बहुत हैं परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) निवासी : गोंदिया (महाराष्ट्र) शपथ : मेरे द्वारा यह प्...
धरती पर पितृपक्ष में आए हैं
कविता

धरती पर पितृपक्ष में आए हैं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** भारत में प्राचीन मान्यता है पितृपक्ष में यमराज पितरों को अपने परिजनों से मिलने मुक्त करते हैं इसलिए धरती पर पूर्वज आए हैं मान्यता है कि श्राद्ध करने से घर में सुख शांति पाए हैं यह समय पुण्य करने का है समस्याओं का निवारण पाए हैं पितृपक्ष आए हैं। पूर्वजों की याद लाए हैं।। आशीष भरपूर हम पाए हैं। परिवार वालों की स्मृति संजोए हैं।। जीवन से मुक्त हुए। जो शाश्वत क्रम वो हुए।। जीवन भर प्रेरणा दिए। हम सबका जीवन संजो दिए।। आज फिर छाया तुम्हारी। पूरे परिवार ने महसूस किए हैं।। कन्याओं को भोजन के रूप में। तुम्हारे पवित्र मुख में भोज अर्पण किए हैं।। परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) निवासी : गोंदिया (महाराष्ट्र) शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक, स्वरच...
विकास के नाम से सुना था
कविता

विकास के नाम से सुना था

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** विकास के नाम से सुना था पर उसका भी दामन खाली है किसे सुनाऊं अपनी व्यथा जीवन अब बदहाली है वित्तीय सहायता का मन स्वाली है कोई दे नहीं रहा हैं क्योंकि सभका दामन खाली है किसे सुनाऊं अपनी व्यथा वित्तीय रूप से बिफोर कोरोना मैं बहुत सुदृढ़ था यूं खाली हो जाऊंगा पता न था दुकान में ग्राहक नहीं है ग्राहक के पास पैसा नहीं है सभका पैसा ऐसा चला जाएगा ऐसा बिल्कुल पता न था सुनते हैं मीडिया से हमारा राष्ट्र कर रहा है आज बहुत विकास डिजिटल के बहुत आयाम हो रहे हैं ख़ास ऐसा जोरदार विकास होगा बिल्कुल भी पता न था व्यक्तिगत विकास के लिए हो जाऊंगा मैं मोहताज़ ऐसा बिल्कुल पता न था कैसे सुनाऊं अपनी व्यथा बैंक अकाउंट खाली है ज़मा पूंजी पूरी उठाली है हालात ख़स्ता दामन खाली है परिचय :- किशन सनमुखदास भाव...
मां की ममता मिलती हैं सबको
कविता

मां की ममता मिलती हैं सबको

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** मां की ममता मिलती हैं सबको कोई अच्छूता नहीं कद्र करने की बात है कोई करता कोई नहीं मां वात्सल्य प्रेमामई ममता मिलती हैं सबको कोई अच्छूता नहीं कद्र करने की बात है, कोई करता कोई नहीं मां का आंचल अपने सपूतों के लिए हरदम खुला बंद नहीं अपनी तकलीफों दुखों से घिरी पर ममता की छांव हटाई नहीं चार बातें कड़वी भी सुनीं तुम्हारी पर ममता की छांव हटाई नहीं तुमने कद्र भले की हो या नहीं पर मां ने ममता घटाई नहीं हैं ऐसे भी कुछ लोग मां की ममता का आंकलन करते नहीं बस दिखावे में जीतें हैं मां की ममता का सम्मान करते नहीं समझ लो ऐसे लोगों, मां की ममता नसीब करेगा भगवान भी नहीं बस मां की ममता आंचल में समाए रहो फिर पूजा पाठ की जरूरत नहीं मां का वात्सल्य प्रेमा मई ममता मिलती हैं सबको कोई अच्छूता नहीं कद्र करन...
दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार
भजन

दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार बस इतनी तनखा देना तेरा होता रहे दीदार तेरे काबिल नहीं हूं सतगुरु फिर भी काम चला लेना जैसा भी हूं तेरा हूं मेरे सारे अवगुण हर लेना बस तेरी कृपा होगी सतगुरु तेरी कृपा होगी मेरा सुधरेगा संसार... सारे जगत के दाता हो तुम मेरी क्या औकात है तेरे दर की सेवा करना तो किस्मत की बात है मानूंगा तेरा कहना सतगुरु दिल में मेरे रहना तेरा करता रहूं दीदार... संकट हरता मंगल करता सतगुरु तेरा नाम है यह तन मन यह जीवन सतगुरु अब तो तेरे नाम है चरणों में सतगुरु रखना दिल में हमको बसाना और देना हमको प्यार... मांगने की आदत है सतगुरु लाज़ तेरे दर आती नहीं परवाह करूं क्यों दुनिया की मैं दुनिया तो बिगड़ी बनाती नहीं तेरा काम है बिगड़ी बनाना भटकों को राह दिखाना दर पर आता रहूं हर बार.. ओ मे...
बच्चों को अमीर बनाते हैं पिता
कविता

बच्चों को अमीर बनाते हैं पिता

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** खुद गरीब पर बच्चों को अमीर बनाते हैं पिता कभी कंधे पर बिठाकर मेला दिखाते हैं पिता कभी घोड़ा बनकर घुमाते हैं पिता ऐसे सभी लोकों के महान देवता है पिता संकट में पतवार बन खड़े होते हैं पिता परिवार की हिम्मत विश्वास है पिता उम्मीद की आस पहचान है पिता जग में अपने नाम से पहचान दिलाते हैं पिता कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान हैं पिता मां अगर पैरों पर चलना सिखाती है तो पैरों पर खड़ा होना सिखाते हैं पिता कभी धरती तो कभी आसमान है पिता परिवार की इच्छाओं को पूरा करते हैं पिता हर किसी का ध्यान रखते हैं पिता धरा पर ईश्वर अल्लाह का नाम है पिता जग में अपने नाम से पहचान दिलाते हैं पिता परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) निवासी : गोंदिया (महाराष्ट्र) शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रच...
डिजिटल भारत मेक इन इंडिया
कविता

डिजिटल भारत मेक इन इंडिया

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** रचनात्मक नवाचार से जुड़ा विज्ञान आम आदमी के लिए जीवन में सहजता लाता है डिजिटल भारत मेक इन इंडिया जैसी थीम जनहित में लाता है भारत वैज्ञानिक दृष्टिकोण के फलक को विकसित करने नए आयाम बनाता है सतत विकास और नए तकनीकी नवाचारों के माध्यम के साथ उन्नति दिखाता है भारत नवाचारों का उपयोग करके ऐसी तकनीकी विकसित करता है जनता के लिए सस्ती सुगम सहजता लाए ऐसा नवाचार विज्ञान नए भारत में लाता है उन्नत भारत अभियान में नवाचार भाता है उन्नत ग्राम उन्नत शहर में विज्ञान लाकर नमामि गंगे का अभियान चलाना है नवाचार आम आदमी के जीवन में सहजता लाता है परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) निवासी : गोंदिया (महाराष्ट्र) शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं। ...
संस्कृति का ख़जाना
कविता

संस्कृति का ख़जाना

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** भारत राष्ट्र प्रेम संस्कृति का ख़जाना है यह कभी भी कम ना हो पाए घर घर में जाकर भारतीय राष्ट्र प्रेम संस्कृति दिल से अपनाने का मंत्र दिलाएं बच्चों युवाओं में भारतीय राष्ट्र प्रेम संस्कृति के प्रति प्रोत्साहन करवाएं हमेशा याद दिलवाएं हम अपनी विरासत की जड़ों को भूल न जाएं आओ साथ मिलकर राष्ट्र प्रेम का क जन जागरण कराएं हमारी परम्पाओं सभ्यताओं कलाकृतियों में आस्था दर्शाए डटकर लड़ना होगा हमें पाश्चात्य संस्कृति से ऐसा संकल्प करवाएं हम अपनी जड़ों को भूल ना जाएं पारंपरिक कला शैलियों को कायम रखने हम ऐसा मिलकर रास्ता अपनाएं बेहतर जिंदगी की तलाश में हम अपनी जड़ों को भूल ना जाएं हम देख रहे हैं कैसे शहरीकरण स्वदेशी लोककला शैलियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं बड़े बुजुर्गों की बातों को छोड़ पाश्चात्य सं...
घर-घर तिरंगा
कविता

घर-घर तिरंगा

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** आई घर-घर तिरंगा मिशन बढ़े चलो की घड़ी आई घर-घर तिरंगा मिशन बढ़े चलो की घड़ी ७५ वें अमृत महोत्सव की मज़बूत कड़ी अगले २५ वर्षों की नई यात्रा की झड़ी समझो आत्मनिर्भर भारत की यात्रा आगे बढ़ी आई विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा की झड़ी जय-जय भारत देश हमारा जय-जय भारत देश नारे से युवाओं की फौज खड़ी आत्मनिर्भर भारत ज़रूर बनेगा जब लगेगी ऐसी श्रृंखलाओं की लड़ी हुनर हाट लोकल फॉर वोकल बेस्ट फ्रॉम वेस्ट की लगेगी झड़ी युवाओं बुजुर्गों महिलाओं की जुड़ेगी कड़ी कौछलता का विकास होगा कार्यबल शक्ति होगी भारत की बड़ी रोज़गार की उमड़ेगी झड़ी स्वप्न साकार होंगे स्वावलंबन के खुशियों की जल्द आएगी वह घड़ी हर नागरिक को कारीगर के हौसले को जबरदस्त देनी होगी प्रोत्साहन की झड़ी हर नागरिक को स्थानीय के ...