अभिश्राप नही वरदान
किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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पतिव्रता नारी पर तुम
कितना भी लाछन लगा लेना,
कितनी भी परीक्षा ले जग उसकी,
हर परीक्षा ? प्रतिष्ठा ही उसकी,
मान और सम्मान वही।
राम ने सीता को जाना पर
जनता ने पहचाना क्या ?
हर परीक्षा परिणाम के लिए नहीं होती,
उत्तर दे समझाना क्या।
राजा जनक प्रतिक्षा ही करते,
प्रतीक्षा ही संतोष सही,
प्रतीक्षा ही उत्तर है उनका (राम)
प्रतिक्षा ही यहा प्रतिउत्तर हैं।
हीरा तो जौहरी ही जाने,
सबकी दृष्टि मै काँच वही,
उसकी कीमत वो ही जाने
जिसकी दृष्टि जौहरी सी है,
एक पिता बेटी की कीमत,
या फिर प्रियतम पहचाने,
क्या मोल नारी का जग में ,
मार्गदर्शक वह बन जावे,
सरस्वती दुर्गा हे
यह बुद्धि ज्ञान की भंडार है,
युद्ध कोशल मै हे वह लक्ष्मी
तलवार खून की प्यासी है,
प्रेम का पाठ सीखा सदा इसने,
राधा मीरा सी भक्ति है
राजनी...