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Tag: किरण पोरवाल

अभिश्राप नही वरदान
कविता

अभिश्राप नही वरदान

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** पतिव्रता नारी पर तुम कितना भी लाछन लगा लेना, कितनी भी परीक्षा ले जग उसकी, हर परीक्षा ? प्रतिष्ठा ही उसकी, मान और सम्मान वही। राम ने सीता को जाना पर जनता ने पहचाना क्या ? हर परीक्षा परिणाम के लिए नहीं होती, उत्तर दे समझाना क्या। राजा जनक प्रतिक्षा ही करते, प्रतीक्षा ही संतोष सही, प्रतीक्षा ही उत्तर है उनका (राम) प्रतिक्षा ही यहा प्रतिउत्तर हैं। हीरा तो जौहरी ही जाने, सबकी दृष्टि मै काँच वही, उसकी कीमत वो ही जाने जिसकी दृष्टि जौहरी सी है, एक पिता बेटी की कीमत, या फिर प्रियतम पहचाने, क्या मोल नारी का जग में , मार्गदर्शक वह बन जावे, सरस्वती दुर्गा हे यह बुद्धि ज्ञान की भंडार है, युद्ध कोशल मै हे वह लक्ष्मी तलवार खून की प्यासी है, प्रेम का पाठ सीखा सदा इसने, राधा मीरा सी भक्ति है राजनी...
मानवता देखो शरमाई
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मानवता देखो शरमाई

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** मानवता का छेद, जात पात का भेद, कभी ना बुर पाई, वोट बैंक की रोटी सेके जात पात के चूल्हे पर, मानवता में घृणा पैदा कर, छेद और भेद बुद्धि में भर देवें, आज का मानव शिक्षित और समझदार ! छेद और भेद का फर्क है समझे, वह हे पढ़ा लिखा इंसान। छेद और भेद की परिभाषा है देखो उसके पास, कम पढ़े (अनपढ़) और बुद्धिहीन करते जाति भेद की बात, आदर्श राम तो शबरी और केवट को गले लगाते, प्रेम के साथ, विभीषण का भेद नहीं लेते हैं श्री राम, राम-राज्य में छेद करें, देखो मंथरा दासी बात, वन जाते श्री राम प्रभु छेद भेद की नही बात। राजनीति में चलती है छेद-भेद की बात, भारत में सब मिलजूल कर रहते हे हर पंथ, छेद-भेद की बात तो अशोभनीय देती अपने मुहँ, वसुदेव कुटुंबकम् का भाव रहा हरदम, जात पात का जहर क्यों? घोलो मानव तन, जह...
२१ लाख दीपो की श्रृंखला
कविता

२१ लाख दीपो की श्रृंखला

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** उज्जैन जगमगाया, देख नजारा रामघाट का, विश्व स्तब्थ खडा सा पाया विश्व रिकॉर्ड तोड़ा उज्जैन ने, विश्व मे नाम कमाया, क्यों ना चमके उज्जैन जगत मे, महाकाल जहां हे पाया, विक्रमादित्य कालिदास की नगरी नवरत्न जहां है पाये, राजा भर्तहरी, पीर मछंदर, शक्तिपीठ, दर्शन जहाँ हे पाये, पुरानी चमक फिर से यहाँ चमके, इसलिए दीपो से जगमगाया, अवंतिका तो अवंतिका हे, अवन्तिकानाथ जहाँ हे पाया, ३२ पुतलियाँ करे हे निर्णय सिंहासन धर्राया, नतमस्तक हो गई हे दुनिया, जहां महाकाल मै काल समाया, नित्य मुर्दे की भस्म चढे शीश पर, साधु संत मन भाया, देख नजारा रामघाट का जीवन धन्य धन्य हो पाया परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्ष...
ख्वाब
कविता

ख्वाब

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** ख्वाब में तुझे जब से देखा, चाहने की तमन्ना थी, मन में बड़ी उम्मीद थी, दिल में बड़ी उमंग थी, रब ने तुझे मेरे लिए ही भेजा, खयालों में दिन रात आती हो मेरे, ख्वाबों में सदा बस्ती हो तुम मेरे, नही ओझल होती हो तुम निगाहो से, वो नशीली आंखें मद होश, हर पल करती है मुझे, मुस्कान पर तेरी बिछा दूं, पलकों की चादर, मदहोश करती है हर अदा यह तेरी, वह होठ का तिल जो है वह जान है मेरी, गुलाबी होठों पर लाली जैसे गुलाबी फूल का खिलना, उड़ती जुल्फे है जो बिखरी, हवा की ओर जो उड़ती, लटकती लट जो हे तेरी, हर अदा पे वो बिखरी, ख्वाब तो बस ख्वाब था, जब होश है आया, वह अलग और मैं अलग, बस कहानी सपनों की थी। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प...
हिचकी
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हिचकी

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** कौन याद कर रहा है मुझे? हिचकी आई, कोई तो हमारा है तभी तो मुझे हिचकी आई, दूर बैठे हैं मेरे प्रियतम! भारत माता की रक्षा में, उसने मुझे याद किया होगा? तभी तो मुझको हिचकी आई, चिट्ठी नहीं कोई संदेश! हिचकी है उनका संदेश, मैं भी नहीं इसको है मिटाउ, प्रीतम की याद में भी इससे पाऊं, नहीं उन्होंने मुझे बिसारा, मुझको याद किया है उसने, तभी तो मुझको हिचकी आई, पल पल तेरी याद हे आती, मुझको तो दिन रात सताती, तेरा एहसास मुझे दिलाती, तभी तो मुझको हिचकी आती, कब सोने का सूरज निकले नई किरण की आस भी जगले, प्रीतम के आने की उम्मीद है जागी, पर फुर्सत में मुझे हिचकी आती परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुर...
क्या तुम जागा करते हो
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क्या तुम जागा करते हो

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** क्या तुम जागा करते हो, भारत माता के रखवाले, क्या तुम कभी सोते हो?, तुम तो जागा करते हो कोई दुश्मन ना आने पाए, अडिग खड़े तुम रहते हो, आंधी तूफान हो या बारिश, हिमपात या हो विपदा, कभी नहीं तुम डिगते हो, अपना हौसला बुलंद तुम रखते, वीर योद्धा तुम भारत के हो, क्या तुम जागा करते हो, भारत भूमि की शान तुम्ही से, आन बान और स्वाभिमान तुम्ही से, निंद्रा पर विजय हे पाकर, तुम सदैव जागा करते हो, तुम पर नाज हमें हे भाई, तन मन धन न्योछावर करके, तुम तो जागा करते हो, देश के नौजवानों जागो, बहुत सोए अब तो जागो, समय बीतता जाता है, अपने जीवन को अभी सँवारों समय गुजरता जाता है, कुछ पाने के हे खातिर, कुछ तो खोना पड़ता है, कुछ करने की राह पकड़ लो, संघर्षों से भरा ये जीवन है, रोडे भाटे और कठिनाई, सब ...
बेटी तो वरदान है
कविता

बेटी तो वरदान है

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** बेटी तो वरदान है नही हे अभिश्राप, दोनों कुल को तारती बेटी तो हे महान, बेटी लक्ष्मी बेटी दुर्गा सीता सयानी राधा सी प्यारी, मीरा कर्मा द्रोपति उत्तरा और अहिल्या शबरी अनुसूया, कोई रक्षा भारत की करती, कोई पिता का मान बढ़ाती, कोई प्यार को हे तज देती, कोई खिचड़ा भात खिलाती, कोई कृष्ण को है पुकारे, कोई गर्भ के प्राण बचावे, कोई पत्थर की नारी बनती, कोई झूठे हे बेर खिलाती, कोई बचपन सा लड़ाती, कोई देश की रक्षा करती, कोई न्याय का पाठ पढ़ाती, कोई ब्रह्म को धरती पर लाती, पुत्र रूप में गोद खिलाती, हर शास्त्र बेटी की वंदना, सरस्वती मीणा की वंदना, बेटी के कितने एहसान, धरती पर परब्रह्म का निवास, हर क्षेत्र में परचम भारी, कलम शस्त्र से लिखती हे भारी, धरती से आकाश उसी का, नहीं करो अपमान उसी का, नहीं कोख मे...
भक्तों का विश्वास
कविता

भक्तों का विश्वास

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** भक्तों का विश्वास है रहता एक दिन प्रभु तो आएंगे, डूबती नैया भक्तों की देखो आकर प्रभु बचाएंगे, ध्रुव प्रहलाद को आकर तुमने अपने गले लगाया है, खंब फाड़ नरसी अवतारे भक्तों को गले लगाया है, नानी बाई का भात हे भरने प्रभु तो तुम जब आए हो, नरसिंग जी का मान बढ़ाकर भात प्रभु भर जाते हो, कर्माबाई का खिचड़ा प्रभु तुम आकर रूप रूच पाते हो, मीराबाई के विरह गायन में आकर तुम बस जाते हो, दुर्योधन का मेवा त्यागा, साग विदुर घर पाते हो, विदुरानी के हाथ से देखो, केल का छिलका पाते हो, द्रोपति का प्रभु चिर बढ़ाते, कलयुग में कहां बिसराये हो, असंख्य दुशासन खड़े यहां पर, कब सुदर्शन धारी आओगे, असंख्य द्रोपति तुम्हें पुकारती, कब आकर लाज बचाओगे, किरण की प्रभु यही विनती, कब आकर दर्श दिखाओगे, तेरे दरस की अखियां प्यासी,...
मन की डोर
कविता

मन की डोर

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** मन की डोर, पतंग ज्ञान की, गुरुवर है आकाश, कैसे कांटे पतंग को भाव हमारा जान, ध्यान हमारा रहे हमेशा गुरुवर के हैं पास, ध्यान डोर की, पतंग प्रेम की, कैसे काटे गुरुवर महान, उड़ाओ या इसे काटो गुरुवर घटे तुम्हारा मान, नीचे गिरे तो चरण तुम्हारे, उड़ते मे हे दर्शन आप, सतरंगी पतंग में गुरुवर, भर दो सतरंगी रंग, सतरंगी इंद्रधनुष सा मै बिछ जाऊं दण्डवत कर, नहीं आशा की पतंग उड़ाऊ, नहीं चाह की डोर, भक्ति प्रेम ज्ञान मैं गुरुवर तो समर्थ है, नहीं काटेंगे मेरी डोर, गुरू आशा और विश्वास हे! काटे तो नहीं हार गुरूवर, नही काटे तो भी है जीत, पंतग (किरण) नीचे हे झुके गुरुवर के हैं चरण, ऊंचा उठे तो मिले गुरुवर के आशीष। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ...
प्रेम विवाह
कविता

प्रेम विवाह

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** आदर्श और संस्कारों की धज्जियां तुम नहीं उड़ाओ बेटी, नहीं तो अपने जिस्म के ३५ टुकड़े, शौक से तुम करवाओ बेटी। तुम क्यों भरोसा करती हो, इन छँलियों और मक्कारो पर, वेश बदलकर आता है रावण सीता को छलने को। मां-बाप की आत्मा को, जब भी तुम दुखाओगी। औलाद कभी सफल नहीं होगी जग में प्रेम विवाहो से। आधुनिकता की चमक में खो गया है इंसान, मर्यादा और आचरण खूंटी पर दीया टांग। फिल्मों की है बेशर्मी से बिगड़ा है इंसान, हीरो-हीरोइन अच्छे लगे क्या आचरण और व्यवहार। माना फैसला आपका, पर चूक न जाए सावधान? जीवन जब धिक्कारता यह गुंडे और बदमाश, नारी तू नारायणी तू है हीरे की खान, जौहरी ही पहचानता, हीरे का हे दाम संस्कार और संस्कृति नई पीढ़ी के लिए अनमोल, इसको तुम मिटाओगे तो आगे की पीढ़ी, क्या जानेगी मोल। परिचय ...
संस्कार
कविता

संस्कार

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** बच्चों के आप दोस्त बने, करे दोस्त सा व्यवहार, मजा उसी मै आयगा, सदा साथ व्यवहार। खुलकर रहे वो भी सदा, करे मन-तन की हर बात। अब मात-पिता पर आती है, कैसे दिये संस्कार। नींव यदि मजबूत हे, डिगा ना सके कोई माय का लाल। मात-पिता दृढ़ निश्चय हे, चले कदम वह साथ। हिम्मत मेहनत दिन रात कर, बढता समय के साथ। साथ रहे वह हर पल, हर दम उसके साथ। दुख सुख की सब बात करे, दोस्त बने रहे साथ। संस्कार और संस्कृति का, मान और सम्मान का, आदर और सत्कार का, प्यार और व्यवहार का। दिया हे तुमने ज्ञान, सबके मन को जीतेगा, उसका यह व्यवहार। चाहे (प्यार करे) उसको, हर पल हर दम, उसका ही व्यवहार। आगे बढाते जायेगा, उसका यह स्वभाव। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :...
प्रभु की चाह
स्तुति

प्रभु की चाह

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** ईर्ष्या नहीं ईश्वर चाहिए, द्वेष नहीं द्वारकाधीश चाहिए। कपट नहीं कन्हैया चाहिए, छल नहीं छलिया श्री कृष्ण चाहिए। राग नहीं राघवेंद्र चाहिए, भेद नहीं भगवान चाहिए। घृणा नहीं घनश्याम चाहिए, क्रोध नहीं कान्हा चाहिए। मन में मेल नहीं कृष्ण सुदामा सा दोस्त चाहिए। लोभ नहीं लट घुंघराले श्याम चाहिए, मोह नहीं मोहन चाहिए, मद नहीं मन मोहक कृष्ण चाहिए। तृष्णा नहीं तीराने वाला राम चाहिए। अंधकार नहीं किरण चाहिये, गम नहीं मुस्कान चाहिये। युद्ध नहीं गीता का ज्ञान चाहिये, हार नहीं विजय चाहिये। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी...
ठहाके जनकपुर में
कविता

ठहाके जनकपुर में

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** जनकपुरी में सखी करें मजाक, राम लखन से करें तकरार। दशरथ के घर एक अचंभा? बिना पिता के भये संतान, खीर खाए पैदा बेटा भये, एक नहीं चार चार महाराज।। सखी सहेली करे ठिठोली, गजब खीर से हुए हैं पुत्र रत्न, दशरथ घर भयी संतान। हंसी मस्करी कर लक्ष्मण मुस्काने, गजब अचंभा जनक के घर का, हमरे तो माता के भय ललना, तुमरे जनक में नहीं माता-पिता से, पैदा भयी देखो संतान।। तुम्हारे यहां तो धरती उपजे है, खेती कर निबजे संतान। ले ठहाका लक्ष्मण मुस्काने, राम लला मंद-मंद मुसकाने, सखियों के चेहरे कुमलाने, सखी राम सब करें मजाक, जनकपुर में गारी खावे हे राम। "किरण विजय" कहे जनक सखी यू, हंसी-खुशी रहे युगल जोड़ी सरकार।। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं य...
प्यारी बेटी
कविता

प्यारी बेटी

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** मां के मन का भाव है बेटी, पिता के दिल का अहसास है बेटी। आत्मा की आवाज है बेटी, चित ज्ञान और विवेक हे बेटी। घर की रौनक हे बेटी, आंगन में बहार है बेटी। मां की जिगरी दोस्त है बेटी, पिता का मनोबल है बेटी। दुख का साथ बेटी, सुख का मार्ग है बेटी। निस्वार्थ भाव है बेटी, घर का मान है बेटी। घर का सम्मान है बेटी, घर की आन बान और शान है बेटी। पिता का सम्मान है बेटी, घर मौहल्ला और समाज देश की नाक हे बेटी। "इसे हम क्यों मारे गर्भ मैं" फिर सीता राधा अनुसूया, लक्ष्मी इंदिरा सुषमा अहिल्या। ललिता प्रतिभा द्रोपदी, और किरण विजय के होंठो की, "मुस्कान" कहां से लाएगे हम। बेटी को बचाए हम, "बेटी है तो कल है, बेटी है तो सकल है" परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ...
देखो ओ काल्या की काकी
आंचलिक बोली, कविता

देखो ओ काल्या की काकी

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** देखो ओ काल्या की काकी उमड़ घुमड़ कर बादल आए पनिहारीन पानी हे चाली गाय तो में दुवा ने जाऊं बोकड़ा तो छोरा है लईग्या गाय तो चरवा मैं हूं लई जाऊ मक्कयां तो पाकन है लागा कागला आईने तू है उड़ाय कड़वा नीम की डाली पे देखो छोरिया झूला दे रे लगाए देखो काल्या की काकी उमड़ घुमड़ कर बादल आए टापरो ऊपर मै तो ढाकू कवेलू तू मने झेलाए छाछ तो मैं बिलोवन लागी छोरा हाको देरे लगाए आबा पर तो मोड़ है अईग्या कोयलड़ी है शोर मचाए देखोओ काल्या की काकी उमड़ घुमड़ कर बादल आए खेत पर मैं तो हूं जाऊं रोटा लइने तु हे आए छोरा छोरी आंगण में खेले प्रेम घणो उनमें है आए पड़ोसी मिल बाता में लागी छोरा छोरी टेर लगाएं चालो मिल झूला है झूला आपस में है गीत सब गाय किरण तो मालवी है बोले प्रेम घणों इनमें ...
युद्ध
कविता

युद्ध

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** गुलामी की दास्तां को हमसे है कोई पूछें कितने जुल्म को सहना यह भारत से वह पूछे नहीं कोई साथ है देता नहीं कोई साथ ही रहता, अपने मुल्क की आजादी यही स्वाभिमान है अपना, किसी कमजोर से लड़ना यह ताकत नहीं उसकी सहारा दे उठाकर फिर चलना मर्दागी है उसकी गुलामी की जंजीरों में जकड़ कर इस तरह रहना, इससे तो यही बेहतर की थोडे मै है खुश रहना, किसी भी मुल्क पर हमला तबाही और मंजर है, सकुन तुम को नहीं मिलता, सुकून किस को नहीं मिलता, कितने घर तो हे उजड़े, कितने बेघर को वह समझे किसी ने बाप खोया है किसी का सिंदूर है उजड़े एक दौलत के है खातिर हजारों लाश देखी है, इन्हें इतिहास के पन्ने किस निगाहों से देखेगा, एक देश भक्ति से हे पूजे, एक अत्याचार से जाने, किरण ! हम उस शक्ति से पहचाने, जिसे संसार है पूजे, भारत श...
बेटा और बेटी
कविता

बेटा और बेटी

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** बेटा और बेटी तराजू के २ पलड़े हैं बेटी प्रकृति का वरदान है। बेटी प्रभात की किरण की मुस्कान है। बेटी ना होती तो दुर्गा पूजा कहां होती। बेटी तू दुर्गा है बेटी वृषभान दुलारी है बेटी जनक नंदिनी है बेटी मीरा भक्ति का वरदान है, बेटी कृष्ण की कर्मा हे। बेटी लक्ष्मी बाई तलवार की धार है। बेटी तो प्रतिभा की खान है, बेटी इंदिरा है तो बेटी सुनीता विलियम है। बेटी शक्ति है तो बेटी साहस हैं, बेटी मर्यादा है तो बेटी विनम्रता की मूरत है। बेटी ललिता और रमन है, बेटी तो मां की आत्मा है और पिता के दिल का टुकड़ा है बेटी बिन जग अधूरा है बेटी ज्योति है तो बेटी माधुरी है बेटी ममता की छांव है बेटी तो लाल चुनरी में दीपक का प्रकाश है, बेटी निधि है तो बेटी आयु है। बेटी तो आंगन में तुलसी की शोभा है, बेटी तो राखी क...