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Tag: आकाश प्रजापति

तुझ बिन
भजन

तुझ बिन

आकाश प्रजापति मोडासा, अरवल्ली (गुजरात) ******************** तुझ बिन मैंने कैसी ये प्रीत लगाई रे राधे-राधे नाम जपते तेरी याद आई रे तुझ बिन कैसी प्रीत लगाई रे प्रेम की अभिभाषा तुझ से ही तो मुझे समझाई रे जीवन की नई दिशा तुझ से ही तो पाई रे तुझ बिन कैसी ये प्रीत लगाई रे राधा रानी भी तो कृष्ण को न मिल पाई रे फिर भी एक दूजे के हमराही रे तुझ बिन मैंने ये कैसी प्रीत लगाई रे राम सीता जैसी हमारी जोड़ी मिल आई रे जनम जनम के प्रेम के हम साथी रे तुझ बिन मैंने कैसी प्रीत लगाई रे किया तुझ से जब से मैंने प्रेम रे हुआ मैं तो इस दुनियां से मुक्त रे तुझ बिन मैंने कैसी प्रीत लगाई रे पास होकर भी हम एक दूजे से क्यों दूर रे जीवन भर साथ का है फिर भी क्यों मोह रे तुझ बिन मैं कैसे प्रीत लगाऊं रे तू ही मेरा जीवन है तू ही काया रे सदेव तुझ से ही प्रेम करूंगा तू ही मेरी छाया रे तुझ से ही...
काश ये सपना पूरा हो जाएं
कविता

काश ये सपना पूरा हो जाएं

आकाश प्रजापति मोडासा, अरवल्ली (गुजरात) ******************** एक सपना है मेरा जो पूरा हो जाए मैं तेरा बन जाऊं, तू मेरी बन जाए तू नाराज हो मुझसे, तो मैं तुझे मनाऊं और कभी मैं नाराज हो जाऊं तो तू मुझे मनाए काश ये सपना पूरा हो जाए... हमारी खट्टी-मीठी थोड़ी नोकजोख हो जाए कभी परेशान करके मैं तुझे सताऊं कभी ऐसे नखरे भी बताए थोड़े झगड़े करके फिर प्रेम जताए काश मेरा ये सपना पूरा हो जाए... रज़ा के दिन मैं तेरा हाथ बटाऊं तू दाल बनाएं तो मैं रोटी बनाऊं कभी हम बारिश में भीगकर आए अपनी साड़ी से तू मेरे बाल सुखाए काश मेरा ये सपना पूरा हो जाए... कभी हम ऐसे सफर पर जाए तू थक जाएं तो मैं तुझे गोद में उढाऊं तू ख्याल मेरा बने और मैं "आकाश" तेरा शायर, प्रेमी बन जाए यहीं बस सपना है मेरा काश ये पूरा हो जाए इसे पूरा सिर्फ तू कर सकती है तो तू जल्द से जल्द इसे पूरा बनाएं काश ये मेरा...
आज फिर उनसे मुलाकात हो गई
कविता

आज फिर उनसे मुलाकात हो गई

आकाश प्रजापति मोडासा, अरवल्ली (गुजरात) ******************** आज फिर उनसे मुलाकात हो गई इस रुकी हुई जिंदगी में फिर से फूलों की सौगात हो गई। आज फिर उनसे मुलाकात हो गई। बहुत दिनों बाद देखा उसको बदली बिलकुल न थी होठों पर वहीं मुस्कुराहट आखों में वहीं पुरानी नमी सी थी जुल्फें फिर से उड़कर चहरे पर छा रही थी देखकर मुझे जो शर्माती थी वो शर्म फिर उसे आ रही थी हाथों की चूड़ियां खनका कर वो कुछ तो कहना चाहती थी यह मुलाकात मुझे कुछ तो जतलाना चाहती थी सच्ची आज फिर उनसे मुलाकात हो गई इस रुकी हुई जिंदगी में फिर से अखियां चार हो गई। आज फिर से उनसे मुलाकात हो गई कहना तो बहुत कुछ चाहता था पर दिल तुम्हें देख कर बैचेन होता जा रहा था लोगों की भरी इस महफिल में सिर्फ तुम्हारा ही चहरा नजर आ रहा था बस हर दम सामने रहो तुम मेरे यहीं प्रभु मैं मांग रहा था किस लिए आज फिर से तुमसे...
बाप के बारे में
कविता

बाप के बारे में

आकाश प्रजापति अरवल्ली (गुजरात) ******************** आज मां बाप के बारे में कुछ कहना है। सब कुछ मां बाप ने दिया तो आज उनसे क्यों दूर रहना है। चिलचिलाती धूप में पसीना बहाते देखा है पिताजी को, दूसरो के घर में गंदे बरतन साफ करते देखा है मां को, इन दोनों की छाँह में तू बढ़ा हुआ है, तो फिर आज तू उनसे क्यों दूर है।। आज मां बाप के बारे में……. बचपन में तुझे आंसू न आए इसका वो कितना ख्याल रखते थे, तेरे खाने से लेकर तेरे सोने की हर चीज का वो ध्यान रखते थे, तू उनकी परवाह करे या ना करे उन्हें तेरी परवाह हैं, वो तेरे भगवान है फिर तू आज उनसे क्यों दूर हैं।। आज मां बाप के बारे में…….. तू आज भले ही मां बाप से रिश्ता तोड़ ले पर वो तुझे कभी नहीं छोड़ेंगे, तू जब भी मुसीबत में होगा तब मां बाप ही तेरे काम आयेंगे, अभी भी वक्त है तू समझ जा, उनसे प्यार कर, उनका ख्याल रख...
वक़्त
कविता

वक़्त

आकाश प्रजापति मोडासा, अरवल्ली (गुजरात) ******************** जीवन में सच्चाइयों दिखलाता है वक़्त। दुःखों में भी सुखों का और सुखों में भी दु:खों का अर्थ समझाता है वक़्त।। वक़्त की कोई सीमा नहीं होती। कोई आये या जाये उसे किसी की परवाह नहीं होती।। वो तो अपने आप में ही एक पहेली हैं। जान जाओ तो ठीक है वरना सबकी सहेली हैं।। वक़्त इंसान को यह सिखलाता हैं। अपना काम वक़्त पर कर लो, बाद में तू क्यों पछताता हैं।। वक़्त और कुदरत का तो पुराना नाता हैं। दोनों कब आये, कब गये कौन जान पाया हैं।। वक़्त पर अभी तक कोई पाबंदी नहीं लगा पाया हैं। जीसने भी यह कोशिश की है उसने अपनी मुश्किलों को बुलाया हैं।। परिचय :- आकाश कल्याण सिंह प्रजापति निवासी : मोडासा, जिला अरवल्ली, (गुजरात) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशि...
गुजरात गौरव और वॉरियर्स
कविता

गुजरात गौरव और वॉरियर्स

आकाश प्रजापति मोडासा, गुजरात ******************** गुजरातने तो बड़ी से बड़ी, मुसीबतों का सामना किया है। सब एकजुट होकर मुसीबतों को, दूर कर जीत को हासिल किया है।। आज एक बार फिर गुजरात पर, एक नई मुसीबत आई है। कोरॉना नामकी महामारी सब पे, डर बन के छाई हैं।। ये वाइरस ने गुजरात पर, ऐसा प्रभाव डाला है। खाना-पीना तो छोड़ो, जीना भी मुश्किल कर डाला हैं।। भैया ये चीन का वाइरस है वाईरस, इसे तो कुछ पता नहीं। इसका सामना गुजरातवालों से पड़ा हैं ये अभी जानता नहीं।। यहां के डॉक्टर्स, नर्स, पुलिस, सफाई कामदारों में वो ताकत है। इस वाईरस को जड़ से निकाल देने में, ये सब सक्षम है।। हम भी अपना पूरा, सहयोग इनको देंगे। इनकी हर बात मानकर, इनकी मदद करेंगे।। ये तो हमारे लिए, गुजरात के कॉरोना वॉरियर्स हैं। ऐसी मुश्किल समय में भी हमारे बारे में, सोचते ये ही हमारे रियल हिरोज हैं।। ग...
लॉकडाउन
कविता

लॉकडाउन

आकाश प्रजापति मोडासा, गुजरात ******************** आज सब की झूबा पे सिर्फ एक का ही इजहार हैं। चीन से आया मेहमान कब जाएगा बस इसका ही इंतजार हैं।। लॉकडाउन के आज ६० दिन हो गए। लोगो के आंख के आंसू भी सुख गया गऐ।। सबकी हालत आज बेहाल हैं। हम स्टूडेंट्स भी इस कॉरोना से बड़े परेशा हैं।। सोचा था कॉलेज से कुछ दिन ही दूर रहना है। कॉरोना चला जाएगा फिर कॉलेज से रोज मिलना है।। अब ना तो कॉरोना जा रहा है, ना ही लॉकडाउन खत्म हो रहा है। कॉलेज और दोस्तो को याद कर घर में ही कैद होकर रहना हैं।। जब कॉलेज के दिनों में कॉलेज जाने में पक जाते थे। अब लॉकडाउन समझा रहा हे की कॉलेज के दिन ही तुम्हारे अच्छे अफसाने थे।। १२ बजे की कॉलेज होती थी तो, दोहपर का नास्ता दोस्तो के संग होता था। शाम आते आते दिन मस्ती कब गुजर गया, पता ही नहीं चलता था।। अब बस बहुत ठहर लिया, इस बिन बुलाए चीनी मेहमान ...