शिक्षक: एक भविष्य निर्माता
अशोक कुमार यादव
मुंगेली (छत्तीसगढ़)
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ज्ञान की पाठशाला में,
जो सबको पढ़ाई करवाता है।
वो शिक्षक ही तो है,
जो बगिया में फूल खिलाता है।।
सादे कोरे कागज में,
शब्द लिखकर चित्र बनाता है।
बच्चे कच्ची मिट्टी के समान,
उन्हें आकार दे जाता है।।
स्वयं चलता दुर्गम राह में,
शिष्यों के लिए सुगम बनाने।
स्वयं तपता है भट्टी में,
कच्चे लोहे से औजार बनाने।।
सड़क के जैसे पड़ा है,
विद्यार्थी आते-जाते अनजाने।
चले जा रहे रफ्तार से,
मुसाफिर के मंजिल है सुहाने।।
एक लक्ष्य, एक राह,
मन में पैदा करता है सदा जुनून।
हौसलों को बुलंद कर,
अनुभव की चक्की से पीसे घुन।।
शिक्षादूत, ज्ञानदीप,
शिक्षाविद् ही दूर करता है अवगुन।
जीत दिलाने अध्येता को,
त्याग देता है चैन और सुकून।।
कर्म औषधि जड़ी-बूटी को,
अज्ञानियों को खिलाता है।
ज्ञान गंगा प्रवाहित कर,
ज्ञान अमृत सबको पिलाता है।...