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एक नारी
कविता

एक नारी

अविनाश यादव महू (मध्य प्रदेश) ******************** हे एक नारी, एक-एक नारी। एक नारी, एक-एक नारी। भाग्य रचिता है, मेरी क्या तुम्हारी। उसका करो सब सम्मान, वो ही मां का रूप है हमारी। हे एक नारी, एक एक नारी। वो ही बनातीं है, घर को प्यार का दर। कुछ नहीं चाहतीं वो, निस्वार्थ होकर। बुरे से बुरे वक्त में, वो ही साथ निभाए। हर परेशानी से वो ही, वो डटकर लड़ जाएं। उसके पास है इतनी शक्ति, वो शक्ति का रूप अवतारी। हे एक नारी, एक एक नारी। बनाने वाले ने भी, उसको सबसे अलग बनाया। वो हर नामुमकिन को मुमकिन, कर दें ऐसी वो काया। खुशियां लुटाती है वह, हर दुःख भी उसके हिस्से में ही आया। हर दुखों से लड़कर भी, उसका मन नहीं घबराया। वो सबसे कर सकतीं हैं संघर्ष, घर वालोें पे लुटाती जिंदगी सारी। हे एक नारी, एक एक नारी। भाग्य रचिता है, मेरी क्या तुम्हारी। उसका करो सब सम्मान, व...