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Tag: अरविन्द सिंह गौर

वह पद और मद में चूर हो गए
कविता

वह पद और मद में चूर हो गए

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** वह पद और मद में चूर हो गए। उनको लगा वह मशहूर हो गए।। गर सच्चाई कुछ और ही निकली आज वह अपनों से ही दूर हो गए।। वह पद और मद में चूर हो गए। जो कहते थे कि मन है उसका कोयले से भी काला आज उनकी नजर में भी वह कोहिनूर हो गए।। वह पद और मद में चूर हो गए। "अरविंद" कहे वक्त नहीं रहता सबका एक सा वक्त की मार से वह भी चकनाचूर हो गए। वह पद और मद में चूर हो गए। परिचय :-  अरविन्द सिंह गौर जन्म तिथि : १७ सितम्बर १९७९ निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) लेखन विधा : कविता, शायरी व समसामयिक सम्प्रति : वाणिज्य कर इंदौर संभाग सहायक ग्रेड तीन के पद में कार्यरत घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ह...
उनको जब यह अहम हो गया हो गया
कविता

उनको जब यह अहम हो गया हो गया

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया, हर कार्य होगा उनसे ही उनको यह बहम हो गया। मुर्गे के बाग देने के पहले ही भोर का सूर्य उदय हो गया।। यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया। हर कार्य होगा उनसे ही उनको यह बहम हो गया। हर कार्य सफल होता है सब के सहयोग से वर्चस्व की लड़ाई से बना बनाया काम विफल हो गया।। यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया, काम उनसे ‌ही होगा उनको यह बहम हो गया। कहे "अरविंद" सबका साथ-सबका सहयोग होगा तो आपका हर काम सफल हो गया। यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया, काम उनसे ‌ही होगा उनको यह बहम हो गया। परिचय :-  अरविन्द सिंह गौर जन्म तिथि : १७ सितम्बर १९७९ निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) लेखन विधा : कविता, शायरी व समसामयिक सम्प्रति : वाणिज्य कर इंदौर संभाग सहायक ग्रेड तीन के पद में कार्यरत घोषणा पत्र :...
गरीबी अमीरी से जब
कविता

गरीबी अमीरी से जब

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** गरीबी अमीरी से जब जुदा हो गई गरीबी हुई खामोश तो अमीरी खुदा हो गई। गरीबी अमीरी से जब जुदा हो गई।। दुआएं बिकने लगी अब बाजारों में गरीबों को तो दुआ भी अब बद्दुआ हो गई। गरीबी अमीरी से जब जुदा हो गई।। आग और पानी का कोई मेल नहीं लेकिन आमिर के आगे वह भी मरहवा हो गई। गरीबी अमीरी से जब जुदा हो गई।। अमीरी की हवा ही चली कुछ इस तरह गरीबी की हवा खुद हवा हो गई। गरीबी अमीरी से जब जुदा हो गई।। गुनाहगार बचते रहे सजाओ से और बेगुनाहों को सजा पर सजा हो गई। गरीबी अमीरी से जब जुदा हो गई।। गरीबी भी याद आने लगी उनको जब अमीरी जब उनसे खफा हो गई। गरीबी अमीरी से जब जुदा हो गई।। "अरविंद" कहे ना कर तू घमंड अपनी अमीरी पर इतना वक्त के आगे वह भी फना हो गई। गरीबी अमीरी से जब जुदा हो गई।। परिचय :...
बुढ़ापे की लाठी
लघुकथा

बुढ़ापे की लाठी

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** आपके बच्चो ने क्या किया है अरे पता मेरे तो दोनों बेटों इंजिनियर बन गए हैं, सवाल मेरे दोस्त ने जब मुझसे कहा तो उसके चेहरे अजब सा घमंड और मुस्कान थी, और मुझे हीन भावना से देख रहा था‌। पर कल जब वो मुझे मिला तो वह कुछ परेशानियां था मेने पूछा क्यों दोस्त क्या बात है इस तरह उदास क्यों बैठे हो ? मेरी बात सुनकर वो बोला अरे दोस्त क्या बताऊं तुम्हे तो पता ही मैंने अपने दोनों बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए बैंक से कर्जा लिया था अब मेरे दोनों बच्चे जब इंजीनियर बन गए तो वह कर्जा चुकाने को तैयार नहीं है मुझे कहते हैं कि कर्जा तो आप का कर्जा हमने नहीं दिया है। आज बैंक इस आए कि अगर आप कर्जा नहीं चुकाएंगे तो आपका घर नीलाम कर दिया जाएगा बस इसी चिंता में हूं मैं कर्जा कैसे चुकाऊं कर्जा नहीं चुकाऊंगा तो घर विराम हो जाएगा वह मेरे रहने की जगह भी नहीं...
साईं दोहावली
दोहा

साईं दोहावली

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** श्री गणेश को नमन कर श्री साईं का ले नाम। श्रध्दा-सबूरी मन में रखो पूरन होगे सब काम।। कलयुग के अवतार है साईंनाथ हमारे करतार है साईंनाथ। करते उपकार है साईंनाथ पतित पावन साईंनाथ।०१। कष्ट बडे जब दास पूकारे दूर करो साईं दुख हमारे। नीम तले प्रकटे साईंनाथ पतित पावन साईंनाथ।०२। ________ चांद ने अपनी घोडी को बहुत तलाशा पता बताकर साईं ने जगाई आशा। चांद के साथ चले साईंनाथ। पतित पावन साईंनाथ।०३। बारात में फकिर शिर्डी पधारे माल्सापति ‘‘आओ साईं‘‘ पूकारे द्वारकामाई मसिद में निवासे साईंनाथ। पतित पावन साईंनाथ।०४। भक्तो ने खोदा नीम स्थान नीचे जल रहे चार दिए महान। यही लगाते समाधी साईंनाथ। पतित पावन साईंनाथ।०५। द्वारकामाई मसिद में होता साईं का दर्शन साईं करते दूर बाहरी आकर्षण। यही निवासे साईंनाथ पतित पावन साईंनाथ।०...
मैं भी बोलूं जय साईं राम
भजन

मैं भी बोलूं जय साईं राम

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** दुनिया में कितने साईं भक्त हैं। मेरी भक्ति कितनी कम है। साईं सेवा करते वो हर दम है। मेरी सेवा कितनी कम है। में ही साई सेवक हूं मेरा अहम दूर हुआ। साईं भक्तों मेरा भरम दूर हुआ। साईं ने दूर किया अभिमान साईं बाबा करते कल्याण। "अरविंद" साईं भक्तों को करें प्रणाम। साईं में बसते सब के प्राण। साईं देते सबको ज्ञान। श्रद्धा सबूरी रख इंसान। साईं सच्चरित्र का करो नित्य पाठ। "श्री साईं बाबा प्रचार केंद्र इंदौर" का यह दिव्य अभियान। मैं भी बोलूं जय साईं राम। सब कोई बोलो जय साईं राम। परिचय :-  अरविन्द सिंह गौर जन्म तिथि : १७ सितम्बर १९७९ निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) लेखन विधा : कविता, शायरी व समसामयिक सम्प्रति : वाणिज्य कर इंदौर संभाग सहायक ग्रेड तीन के पद में कार्यरत घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित क...
इंदौर लगाएगा स्वच्छता में पंच
कविता

इंदौर लगाएगा स्वच्छता में पंच

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** इंदौरीयो को स्वच्छता की आदत हो गई है।। स्वच्छ रहना अब तो एक इबादत हो गई है।। इंदौरीयो को स्वच्छता की आदत हो गई है।। स्वच्छता में पंच लगाने की शुरुआत हो गई है।। सब ने निभाई अपनी भूमिका अपना इंदौर हुआ स्वच्छ पूरे विश्व को यह कहने की आदत हो गई है।। इंदौरीयो को स्वच्छता की आदत हो गई है।। अरविंद कहे मैं भी हूं इंदौरी स्वच्छता में अब हमारी महारत हो गई है।। इंदौरीयो को स्वच्छता की आदत हो गई है।। परिचय :- अरविन्द सिंह गौर जन्म तिथि : १७ सितम्बर १९७९ निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) लेखन विधा : कविता, शायरी व समसामयिक सम्प्रति : वाणिज्य कर इंदौर संभाग सहायक ग्रेड तीन के पद में कार्यरत घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी ...
हिन्दी की रक्षा करता हिन्दी रक्षक मंच
कविता

हिन्दी की रक्षा करता हिन्दी रक्षक मंच

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** हिन्दी की रक्षा करता हिन्दी रक्षक मंच। हम सबको अवसर देता हिन्दी रक्षक मंच।। हिन्दी भाषी के लिए सेतु बनता हिन्दी रक्षक मंच। हिन्दी को मातृभाषा बनाता हिन्दी रक्षक मंच।। हिन्दी को हिंदुस्तान से जोड़ता हिन्दी रक्षक मंच।। हिन्दी को विश्वव्यापी बनाता हिन्दी रक्षक मंच।। युवाओं को साहित्य से जोड़ता हिंदी रक्षक मंच। राष्ट्रीय से अंतर्राष्ट्रीय बनता हिन्दी रक्षक मंच।। "अरविंद" को हिन्दी रक्षक बनाता हिंदी रक्षक मंच।। परिचय :- अरविन्द सिंह गौर जन्म तिथि : १७ सितम्बर १९७९ निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) लेखन विधा : कविता, शायरी व समसामयिक सम्प्रति : वाणिज्य कर इंदौर संभाग सहायक ग्रेड तीन के पद में कार्यरत घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
बदलता वक्त… बदलते लोग…
कहानी

बदलता वक्त… बदलते लोग…

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** राकेश के पिता का देहांत १० वर्ष की उम्र में ही हो गया वह गांव में रहता था। उसकी मां ने उसे शहर लाकर पढ़ाने के लिए सब जमीन जायदाद छोड़कर वो शहर में आ गए और उसकी जमीन जायदाद पर उनके रिश्तेदारों ने कब्जा कर लिया। इस बीच जब थोड़ा बहुत समझदार हुआ तो उसने अपने गांव जाकर अपनी जमीन जाकर को देखनी चाही‌। राकेश की जमीन में अच्छी पैदावार नहीं होती थी पर वहां नहर निकलने के कारण वह जमीन पर अच्छी पैदावार होने लगी कीमत भी बढ़ गई। जब वह अपने गांव गया तो उनके रिश्तेदारों ने उसे जमीन कि कागजात भी दिए ना ही जमीन के पैसे भी दिए और उन्हें उल्टा मारने की धमकी दी इस कारण वह वापस शहर में आ गए। वक्त बदलता गया पढ़ाई करके राकेश सरकारी महकमे में बड़ा अधिकारी बन गया था उसकी शादी हो गई और शहर में उसने अपना स्वयं का बड़ा मकान बना लिया था। राकेश के एक लड़का एक...