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Tag: अमित राजपूत

घर का भेदी लंका ढाए
कविता

घर का भेदी लंका ढाए

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** बहुत सुना था बहुत हो गया किंतु अब ना सहा जाए पहले भी सत्य था अब भी सत्य है कि घर का भेदी लंका ढाए। धोखा देना परंपरा है तेरी फिर तुझ पर भरोसा कैसे किया जाए पहले भी सत्य था अब भी सत्य है कि घर का भेदी लंका ढाए। कलंक है तू विश्वास पर फिर तुझसे क्यों मित्रता की जाए पहले भी सत्य था आज भी सत्य है कि घर का भेदी लंका ढाए। विश्वासघाती की पहचान हो कैसे इस पर विचार विमर्श किया जाए पहले भी सत्य था आज भी सत्य है कि घर का भेदी लंका ढाए। परिचय :- अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गाजियाबाद घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक म...
अम्मा मोहे पईसा दे दे
कविता

अम्मा मोहे पईसा दे दे

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** अम्मा मोहे पईसा दे दे जा रहा भूरा खायवेको! झगड़ा वगरा नहीं करूंगा जा रहा बहुए लायवेको! ससुरो मेरो इतना खराब पव्वा बोतल पीवत है! साली मेरी इतनी सुंदर बोली सी वा की सूरत है! अम्मा मोहे पईसा दे दे जा रहा भूरा खायवेको! झगड़ा वगरा नहीं करूंगा जा रहा बहुए लायवेको! सालों मेरा इतनो अच्छा हाथ पैर सर जाते ही दबाबत है! सासु मां भी सेवा भाव से हलवा पूरी भर भर खिलावत है! अम्मा मोहे पईसा दे दे जा रहा भूरा खायवेको! झगड़ा वगरा नहीं करूंगा जा रहा बहुए लायवेको! चचिया ससुर जी के क्या कहने नोट १००० विदाई में देवत है! ससुराल से मिले इतना सम्मान देख मन मेरा प्रसन्न होवत है! अम्मा मोहे पईसा दे दे जा रहा भूरा खायवेको! झगड़ा वगरा नहीं करूंगा जा रहा बहुए लायवेको! . परिचय :- अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गाजियाबाद आप भी अपनी कवि...
स्वर्ग से सुंदर भोले का मोहल्ला
व्यंग्य

स्वर्ग से सुंदर भोले का मोहल्ला

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** देश ही नहीं अपितु विदेशों तक प्रसिद्ध भोले के मोहल्ले के सुंदरीकरण और विकास की गाथा अपरंपार है आइए आपको भोले के मोहल्ले से अवगत कराते हैं, टूटी फूटी गड्ढों से परिपूर्ण ज्यादातर गलियां और, थर्ड क्लास के मेटेरियल का प्रयोग, भोले की मोहल्ले की विशेषताएं है। गलियां और सड़कें इतने मजबूत है कि आप चाहे तो विमान भी यहां उतार सकते हैं, बारिश से उत्पन्न कीचड़ गंदी छींटे कभी लोगों का तो कभी बाइक और कारों की शोभा बढ़ाती हैं, यहां के गडर और सीवर ,पानी की पाइप लाइन में प्रयोग की गई सामग्री इतनी मजबूत है की, अंतरराष्ट्रीय लेवल के इंजीनियर यह देखने आते हैं कि इतना मजबूत और टिकाऊ मटेरियल कहां से और कैसे प्राप्त हुआ जो कि पूरी जिंदगी भर खराब नहीं होगी। भिन्न-भिन्न पार्को का निर्माण जो आज तक नहीं हुआ उसे देख कर मन इतना प्रसन्न होता है कि व्याख्य...
निर्भया से वादा करे
कविता

निर्भया से वादा करे

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** निर्भया के केस जैसी देरी अब न्यायालयों में ना होने पाए! करे कोई बलात्कार जैसी घटना उसे तुरंत मृत्युदंड दिया जाए! लंबा होता है छ, सात साल न्याय पाने के लिए इंतजार करना! क्यों ना जल्दी न्याय पाने के लिए एक अलग ही न्यायालय बना दिया जाए! बलात्कार करने वाला बालिक हो या नाबालिक ना उसे छोड़ा जाए! तत्काल दंड देने की हो प्रक्रिया चालू क्यों ना ऐसा कानून बना दिया जाए ! संकल्प करें कि अब नहीं होने देंगे निर्भया जैसी अन्य कोई घटना! कि पीड़ित मां-बाप को इंसाफ मांगते-मांगते बहुत साल लग जाएं! . परिचय :- अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गाजियाबाद आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेत...
मां का आंचल
कविता

मां का आंचल

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** मां तेरे आंचल में मैंने खुद को बड़ा होते हुए देखा है! बचपन से लेकर आज तक की है मेरी हर ख्वाहिश पूरी तुमने! मेरी हर परेशानी में मैंने तुझे परेशान होते देखा है! मां तेरे आंचल में मैंने खुद को बड़ा होते हुए देखा है! मेरे लाड प्यार शरारती पन के कारण खाती थी पापा से अक्सर डांट तुम! मुझे बुखार हो जाने पर सारी रात जागते हुए तुम्हें देखा है! मां तेरे आंचल में मैंने खुद को बड़ा होते हुए देखा है! हमारे सुख दुख में हर तरह से बनी हो परिवार के लिए तुम संकट मोचन हम सबकी! घर में पैसों की परेशानी हो जाने पर वह छुपाई हुई गुल्लक फोड़ते हुए देखा है! मां तेरे आंचल में मैंने खुद को बड़ा होते हुए देखा है! खुद भूखी रहकर ना जाने कितनी बार तूने खिलाया है हम सबको अपने हिस्से का खाना! सब कुछ सह कर हमेशा हंसते मुस्कुराना भी मैंने देखा है! मां तेरे आंच...
प्रेम का अंतिम आभास
लघुकथा

प्रेम का अंतिम आभास

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** भोले और उसके ससुर जी का ३६ का आंकड़ा था। जबसे भोले की शादी हुई थी तब से ही उसकी सास ससुर से नहीं बनी। सास तो फिर भी मान जाती थी किंतु ससुर जी नहीं मानते थे। शायद वह मुंह के बहुत बड़बोले थे। और दिल के साफ भोले इस बात को कभी समझ नहीं पाया। किंतु कभी कबार उनकी अच्छी बातों से भोले को लगता था कि व्यक्ति तो वह अच्छे है। किंतु अपने बहु बेटों का सारा गुस्सा मुझ पर ही निकाल देते थे। कुछ दिन पहले एक शादी के दौरान भोले और ससुर जी का एक बहुत ही अच्छा रिश्ता बन गया पहली बार भोले ने उनके साथ कुछ खाया और अच्छा बोल बोले। पहली बार उन्होंने मुझसे कहा कि बेटा मेरे साथ एक फोटो खिंचवा लो। एक बड़बोले इंसान को गलत समझ लेना भोले कि बहुत बड़ी भूल थी। अभी कुछ दिन पहले ही भोले को पता पड़ा कि ससुर जी किसी प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती हैं जहां डॉक्टरों ...
जोरू का गुलाम
कविता

जोरू का गुलाम

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** मात पिता की सेवा ना कर जोरू की बाहों में सो गया ! बेकार है तेरा जीवन तू तो जोरू का गुलाम हो गया ! जोरू कहे तो हां में हां मां बाप कहे तो ना करते हो ! मां बाप से अपने डरते नहीं पर जोरू से तुम डरते हो ! डूब मरो चुल्लू भर पानी में तेरा जीवन शर्मसार हो गया ! भूल गया है मात पिता को तू जोरू का गुलाम हो गया ! भूल गया जन्म देने वाली उस मां को ओर जोरू पे मरते हो ! छोड़ दिया मात बाप को बुढ़ापे में जोरू की जी हजूरी करते हो ! नर्क बना कर जीवन मां बाप का जोरू के सपनों में खो गया ! अब शर्म नहीं आती तुझे क्योंकि तू जोरू का गुलाम हो गया! . परिचय :- अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गाजियाबाद आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी क...
भ्रष्टाचारी नेता
कविता

भ्रष्टाचारी नेता

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** ठूस-ठूस  कर खाते हैं जनता का पैसा भाषण देते हैं भरपूर! जो ना करें जनता की सेवा दिल से ऐसे नेता से रहना दूर! भ्रष्टाचारी नेता जीतने से पहले जनता के आगे सर झुकाते हैं! चुनाव जीतने के बाद यह नेता फोन तक भी नहीं उठाते हैं! नाली खरंजा विधवा पेंशन राशन कार्ड का कोटा खा जाते हैं! भ्रष्टाचार से पेट फूल गया है इनका अकड़ उल्टा दिखाते हैं! गलती हमारी ही थी क्योंकि हमने इन्हें वोट देकर जिताया है! नहीं करते काम जनता का बिना लिए दिए यह परिणाम आया है! जनता ने अब ठाना है भ्रष्टाचारी नेता को चुनाव नहीं जिताना है! नेता होना चाहिए ऐसा की जनता हित में अच्छा काम करें! भ्रष्टाचारी मुक्त हो दामन उसका देश में अच्छा नाम करें .....! . लेखक परिचय :- अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गाजियाबाद आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हि...
मोबाइल की लत
आलेख

मोबाइल की लत

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** मोबाइल फोन जैसे जीवन में प्रवेश कर चुका है। यह अत्यंत लाभकारी और विनाशकारी दोनों ही साबित हो रहा है। छोटे बच्चों का बचपना इस मोबाइल और इंटरनेट में कहीं गायब सा कर दिया है, जिस उम्र में बच्चे खेल कूद किताबें पढ़ना व व्यायाम अन्य लाभकारी शारीरिक और मानसिक विकास बढ़ाने वाले कार्य करते हैं उस उम्र में छोटे छोटे बच्चे भी आजकल मोबाइल में लगे रहते हैं, स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि बच्चे सारा सारा दिन मोबाइल में वीडियो गेम यूट्यूब फेसबुक इत्यादि चलाते हैं, और एक अलग ही काल्पनिक दुनिया बना लेते हैं ,जिसके कारण उनका मानसिक और शारीरिक विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता। यह स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि बहुत से माता-पिता तो बच्चों मेंमोबाइल की लत छुड़ाने के लिए चिकित्सक की सहायता ले रहे हैं। मोबाइल यदि हिसाब से चला जाए तो लाभकारी है किंतु इ...
उतना ही भोजन ले थाली में व्यर्थ ना जाए नाली में
आलेख

उतना ही भोजन ले थाली में व्यर्थ ना जाए नाली में

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** जिस प्रकार मानव को जीवित रहने के लिए पानी और हवा की आवश्यकता है इसी प्रकार मनुष्य को जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता पड़ती है जहां कुछ लोगों पर खाने के लिए कुछ  नहीं है वहीं कुछ लोग भोजन का अनादर कर देते हैं और इतना खाना वेस्ट करते हैं जो कि बिल्कुल ही गलत है आपने शादी विवाह में देखा होगा कि लोग अपनी थाली में इतना खाना ले लेते हैं कि वह खा भी नहीं पाते और बाकी खाना फेंक देते हैं जो कि बेहद ही गलत है हमें उतना ही भोजन थाली में लेना चाहिए जितना हम खा सकें खाने को बिल्कुल भी नही छोड़ना चाहिए शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति खाने का अनादर करता है वह पाप का भागी बनता है जहां कुछ एनजीओ और संस्थाएं शादी विवाह आदि में बचे खाने को गरीब और असहाय लोगों में जिन पर खाने के लिए कुछ भी नहीं है उनको देकर पुण्य के भागी बन रहे हैं वहीं कुछ लोग खा...
गरुण पुराण के अनुसार दूसरे का घर तोड़ने वाले व्यक्ति को नरक में भी जगह नहीं मिलती
आलेख

गरुण पुराण के अनुसार दूसरे का घर तोड़ने वाले व्यक्ति को नरक में भी जगह नहीं मिलती

********** अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गरुण पुराण के हिसाब से दूसरों का परिवार खराब करने वाले व्यक्तियों को नर्क में भी स्थान नहीं मिलता ऐसे व्यक्ति मृत्यु पश्चात भी प्रेत योनि को प्राप्त होते  हैं और दरबदर भटकते रहते हैं जिन्हें मोक्ष प्राप्त नहीं होता मिट्टी के घड़े और परिवार की कीमत उसे बनाने वाले को पता होती है तोड़ने वाले को नहीं इसलिए सदैव हर किसी व्यक्ति के घर को टूटने से बचाना चाहिए ना कि उसे तोड़ने का प्रयास करना चाहिए कुछ ईर्ष्या वान व्यक्ति अपने दुख से नहीं दूसरे के सुख से परेशान होते हैं यह वह व्यक्ति होते हैं जो पूरी जिंदगी सब कुछ होते हुए भी बेचैन रहते हैं क्योंकि उन्हें इस बात से परेशानी होती है कि सामने वाला व्यक्ति सुखी जीवन किस प्रकार व्यतीत कर रहा है ऐसे व्यक्ति अच्छा खासा कमाते हुए भी ना तो जीवन भर कुछ जोड़ पाते हैंऔर ना ही पारिवारिक सुख प्राप्त कर पाते हैं ...
सच कहूं
कविता

सच कहूं

********** रचयिता : अमित राजपूत सच कहूं पहले वाला जमाना बड़ा अच्छा था ! जहां दया प्रेम भाव और हर आदमी बड़ा सच्चा था ! सच कहूं पहले वाला जमाना बड़ा अच्छा था ! . जहां  मिल बांट कर पी लेते थे एक बटा दो चाय किसी नुक्कड़ पर बैठकर ! लोगों  मैं एक दूसरे के प्रति वह इमानदारी प्यार बेशुमार था ! सच कहूं पहले वाला जमाना बड़ा अच्छा था ! . ना फेसबुक  था ना स्टाग्राम था नाही ही व्हाट्सएप था ! बस था तो उस चिट्ठी को लेकर आने वाले डाकिए का इंतजार था ! सच कहूं पहले वाला जमाना बड़ा अच्छा था ! . ना डिस्को क्लब थे ना बड़े बड़े मॉल ना ही मनोरंजन के साधन थे ! जहां छोटे-छोटे रंगमंच और रामलीला में बिखरता वह प्यार  था ! सच कहूं पहले वाला जमाना बड़ा अच्छा था ! . किसी के दुख परेशानी में इकट्ठा हो जाते थे जहां हजारों  लोग ! जहां लोगों में आपसी सदभावना प्रेमभाव का अंबार था ! सच कहूं पहले वाला जमाना ब...