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कि वक्त ठहरा सा है
कविता

कि वक्त ठहरा सा है

अभिषेक खरे भोपाल (म.प्र.) ******************** कि वक्त ठहरा सा है जिंदगी फिर से मुस्कुराएगी धीरे-धीरे ही सही गाड़ी फिर पटरी पर आईगी मेहनत रंग दिखा रही है जिंदगी फिर से सबकी संभल जाएगी अभी अंधेरा बहुत घना है लेकिन सूरज को भी तो निकलना है। भरोसा रख अपने आप पर के जिंदगी फिर से दौड़ जाएगी। कि वक्त ठहरा सा है जिंदगी फिर से मुस्कुराएगी। . परिचय :- अभिषेक खरे सचिव - आरंभ शिक्षा एवं जनकल्याण समिति, भोपाल (म. प्र.) कोषाध्यक्ष - ओजस फाउंडेशन, भोपाल (म.प्र.) निवास - भोपाल (म.प्र.) शिक्षा - एम कॉम बी.यू. भोपाल पीजीडीसीए, एमसीयू भोपाल आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindiraksh...
तुम अक्षर हो मेरा
कविता

तुम अक्षर हो मेरा

अभिषेक खरे भोपाल (म.प्र.) ******************** तुम अक्षर हो मेरा, मैं शब्द तुम्हारा तुम शुरुआत मेरी, मैं पूर्ण विराम तुम्हारा।। तुम कविता हो मेरी, मैं लेखक तुम्हारा स्याही तुम मेरी, कलम मैं तुम्हारा।। तुम पल नहीं मेरा, हरपल हो मेरा तुम नदी नहीं, सागर हो मेरा।। तुम चांदनी नहीं मेरी, चांद हो मेरा तुम रात नहीं, सवेरा हो मेरा।। सुबह की खिल खिलाती धूप हो ढलती हुई शाम हो, चांदनी रात हो प्रकृति का श्रृंगार हो, मेरा मुस्कुराता हुआ संसार हो। प्यार का तुम राग हो, तुम मेरा सितार हो। . परिचय :- अभिषेक खरे सचिव - आरंभ शिक्षा एवं जनकल्याण समिति, भोपाल (म. प्र.) कोषाध्यक्ष - ओजस फाउंडेशन, भोपाल (म.प्र.) निवास - भोपाल (म.प्र.) शिक्षा - एम कॉम बी.यू. भोपाल पीजीडीसीए, एमसीयू भोपाल आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सक...