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आत्महत्या

धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)

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घने जंगलों
कलकल कर बहते झरनों
पक्षियों का कलरव
शेर की दहाड़
इनके बारे में
मैंने सोचा न था।

मैं सोचता था
अपने खेतों के लिए
खलियानों के लिए
अपने मकानों के लिए
मुझे गर्व था
अपनी शक्ति पर
बुद्धि पर
अपने सामर्थ्य पर।

धराशाई किये
गगनचुंबी वृक्ष
अगणित घोंसले
टूटे होंगे ,
मेरा मकान बनाने के लिए,
इसके बारे में मैंने
कभी सोचा न था।

सुनहरी गेंहू की
बालियों के लिए
मोती से मक्के के लिए
लहकती सरसो के लिए
कितने पीपल, पलाश
कितने बरगद, अमलताश
खो दिए
इनके बारे में मैंने सोचा न था।

मैं इठलाया
हाथी दांत का कंगन पहन
मैं इठलाया
कस्तूरी की सुगंध से
मैं इठलाया
बघनखा देख
मेरे इठलाने की क़ीमत
कितने प्राणों ने चुकाई
इसके बारे में मैंने सोचा न था।

सूखती नदिया
जंगलों के नाम पर
कुछ कटीली झाड़ियां
चूहे ,मच्छर, विषाणुओं की फौज
और धूल भरी आँधिया
इनके बारे में मैंने सोचा न था।

गांव में मैं
शहरों में मैं
घरों में मैं
सड़को पर मैं
पानी मे मैं
जंगलों की जगह मैं
घोसलों, गारो, मांद में मैं
सभी की जगह घेरता मैं
इसके बारे में मैंने सोचा न था।

कॉन्क्रीट के बियाबान में
भविष्य के शमशान में
जब एक हरे घास का तिनका लेकर,
मेरे पोता पोती
मेरे पास आकर पूछेंगे
दादा जी ये क्या है ???
कैसे समझाऊंगा मैं उन्हें
की ये है, हरे घांस का तिनका,
इसके बारे मे मैंने सोचा न था।

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परिचय :- धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ।
सम्मान : हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिंदी रक्षक २०२० सम्मान


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