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कामयाबी का मंजर

विशाल कुमार महतो
राजापुर (गोपालगंज)

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क्यों हार हुई उस गलती को
तुम फिर से अपने अंदर देखो,
ना इधर देखो, ना उधर देखो
सिर्फ भविष्य में कामयाबी का मंजर देखो

सोचो क्यों आगे बढ़ती है,
लहरों से नौका लड़ती है।
तब जाकर नौका उस,
दरिया को पार करती हैं।

भूल जाओ सब को बस
खुशियों का समंदर देखो,
ना इधर देखो, ना उधर देखो
सिर्फ भविष्य में कामयाबी का मंजर देखो

मंजिल की करो तालाश तुम,
खुद पर रखलो विश्वास तुम।
कभी आये जीवन में मुश्किल
तो, ना होना कभी निराश तुम,
तुम जीतोगे हर मुश्किल से,
बस अपने आप मे सिकंदर देखो।

ना इधर देखो, ना उधर देखो
सिर्फ भविष्य में कामयाबी का मंजर देखो

सुख दुःख तो मेहमान हैं,
जीवन मे सदा ही आते हैं
कभी देते है जी भर खुशियां,
कभी सबको यही रुलाते है।
क्यों हार हुई उस गलती को
तुम फिर से अपने अंदर देखो,
ना इधर देखो, ना उधर देखो
सिर्फ भविष्य में कामयाबी का मंजर देखो

 

परिचय :- विशाल कुमार महतो, राजापुर (गोपालगंज)

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