मनीषा व्यास
इंदौर म.प्र.
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अभी तो जिंदगी की सुबह हुई ही है।
फिर क्यों मै बहुत दूर नजर आया।
अभी तो मुश्किलों से पीछा छूटा ही था।
फिर सामने कोरोना नजर आया।
वतन से मुहब्बत की
थी या पलायन का अफसोस।
मुझे हर मजदूर घर लौटता नज़र आया।
दुनिया इमारतों की तरफ देखती रही।
मुझे उसके पांव का छाला नज़र आया।
जिदंगी डर है, मायूसी है,
संघर्ष है, वीरानी है।
पहली बार हर इंसान बेबस नज़र आया।
माफ़ कर सकता है तो कर दे मुझ।
मै खुदगर्ज हूं ये अब नज़र आया।
तू ना लौटा तो क्या होगा मेरा ?
मै इस बोझ से दबता नज़र आया।
मै तेरी सुरक्षा की हर कोशिश करूंगा।
बहुत देर से सही पर अब नज़र आया।
भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।
यही सोचकर वो शहर वापस आया।
परिचय :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ)
शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत)
रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य
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