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शब्दों में सामर्थ्य

वीणा वैष्णव
कांकरोली

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शब्दों में सामर्थ्य बस, इतना मुझे देना प्रभु।
प्रार्थना मन से करूँ, तुम तक वह पहुँचें प्रभु।।

धर्म जाति से परे हो, जीवन सदा मेरा प्रभु।
किसी का दर्द समझू, ऐसा जीवन मेरा प्रभु।।

कर्म कांड पाखंड से, सदा दूर में रहूँ प्रभु ।
किसी की मदद करू, इतनी शक्ति देना प्रभु।।

सज्जन व्यक्ति बन, जीवन यापन करुँ प्रभु।
दिल में जगह मिले, यही प्रार्थना करूँ प्रभु।।

नहीं चाहिए धन दौलत, दीन बन रहूँ प्रभु।
सेवा दीन की करुँ तो, जीवन सफल हो प्रभु।।

प्रार्थना बस यही, तुझसे मैं सदा करूँ प्रभु।
कोई गरीब भूखा उठे, पर भूखा ना सोए प्रभु।।

जब जाऊ इस जहां से, याद में आऊँ प्रभु।
कर्म कुछ ऐसे करूं, ठौर चरण पाऊँ प्रभु।।

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परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है।


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