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गली गली डर कोरोना का

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच

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गली गली डर कोरोना का,
इस डर का उपचार करें।
स्वीकारें एकांत वास हम,
इस विपदा पर वार करें।।

संक्रामक है मर्ज कोरोना,
दूरी का हम ध्यान रखें।
कुल्हाड़ी ना पैरों पर हम,
अपने मारे भान रखें।।
नजरों से ना गिरें किसी की,
बन समाज के दुश्मन हम।
अपने ही भाई को क्या हम,
दे पाएंगे कभी सितम।।
भले लाॅकडाउन हो या हो,
कर्फ्यू उसको स्वीकारें।
पड़े अगर कठिनाई भी कुछ,
अपनी हिम्मत ना हारें।।
हम समाज से समाज हमसे,
नाहक ना तकरार करें।
स्वीकारें एकांतवास हम,
इस विपदा पर वार करें।।

कुत्ते की ना मौत मरेंगे,
इटली में जो हुआ अभी।
अपनी इस विपदा को हमने,
कम आंका क्या कहो कभी।।
साथ खड़े हम सरकारों के,
नहीं आग में घी डाला।
उल्टे पांव चला जाएगा,
कर कोरोना मुंह काला।।
खून नहीं पीने देंगे हम,
खून के प्यासे दुश्मन को।
करवा देंगे संकल्पित पग,
जल्द बंद इस नर्तन को।।
शर्त यही सेनापति के हम,
आदेशों से प्यार करें।
स्वीकारें एकांतवास हम,
इस विपदा पर वार करें।।

“अनंत”खुदअनुशासित रहकर,
संकट मोचक बन जाएं।
हों बीमार जांच करवाएं,
चैन तभी हम ले पाएं।।
रखें सफाई सेनेटाइज,
करें हमारे घर आंगन।
रखें होसला धैर्य रखें हम,
मेले रखें न अपने मन।।
खुद भी जिएं दूसरों को भी,
जीने दें सुख आएगा।
गम की काली रात कटेगी,
कृपा ईश बरसाएगा।।
पाप नहीं गर पापी का हम,
कसे कमर संहार करें।
स्वीकारें एकांतवास हम,
इस विपदा पर वार करें।।

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परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
निवासी : नीमच


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