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दंभ करना छोड़ दे

भीमराव झरबड़े ‘जीवन’
बैतूल मध्य प्रदेश

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देश के विपरीत विषयों पर अकड़ना छोड़ दे।
तू हवाओं में जहर की गंध भरना छोड़ दे।।१

जोड़ सबको प्रेरणा दे रख बुराई पर नजर,
तू अगर चारण गुणी तो आज लिखना छोड़ दे।।२

नेकियाँ कर बाँट खुशियाँ मात्र बन इंसान तू,
भेद करते धर्म के पथ, पाँव रखना छोड़ दे।।३

स्वार्थ की सीमा बना तू, बाँट मत इंसान को,
मत मियां मिट्ठू बने अब व्यर्थ बकना छोड़ दे।।४

है व्यवस्था दोगली ये सच नहीं क्या बात यह,
तू विरासत का धनी तो अब बहकना छोड़ दे।।५

ज्ञान है अपनत्व भी पर वास्तविकता है नहीं,
मात्र आभासी जगत में तू विचरना छोड़ दे।।६

मिल गये जल वायु नभ भू अग्नि सब उपहार में,
बाँट तू सौहार्द ‘जीवन’, दंभ करना छोड़ दे।।७

परिचय :- भीमराव झरबड़े ‘जीवन’
निवासी- बैतूल मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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