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रचयिता : विनीता सिंह चौहान
ज़माने ने जो पत्थर मारे,
समेटकर कल्पनाओं में सजा लिया।
दोस्तों मैं तो बेआसरा थी,
उन पत्थरों से आशियाना बना लिया।
ज़माने ने जो पत्थर मारे,
जोड़कर हद ए दायरा बना लिया।
अपनी तन्हाइयों व ज़माने के लिए,
उन पत्थरों से दीवारें दरम्याना बना लिया।
ज़माने ने जो पत्थर मारे,
इकट्ठे कर करीने से जमा लिया।
दिल ए इबादत व ख़ुदा के बीच,
उन पत्थरों से पुल दरम्याना बना लिया।
ज़माने ने जो पत्थर मारे,
तराशकर उनसे मुज़स्समा बना लिया।
श्रद्धा से मंदिर में उसे विराजा,
भक्तों को मैंने पत्थरों का दीवाना बना दिया।
लेखिका परिचय :- नाम :- विनीता सिंह चौहान
पति का नाम :- डॉ ए पी एस चौहान
पिता का नाम :- जय कुमार सिंह
माता का नाम :- श्रीमती केतकी सिंह
शैक्षणिक योग्यता :- एम.एससी. (प्राणीशास्त्र) , बी.एड.
जन्मतिथि :- ०८/०२/१९७४
जन्मभूमि :- भिलाई (छत्तीसगढ़ )
कर्मभूमि :- इंदौर (मध्यप्रदेश )
रुचि :- लेखन, पठन, कुकिंग, पेंटिंग, सिलाई, अध्यापन आदि
कार्य अनुभव :- १० वर्ष व्याख्याता( बायोलॉजी)
साहित्यिक अनुभव :- बचपन से लेखन में सक्रिय रुचि, काव्य यात्रा २०११ से अब तक निरंतर जारी
साहित्यिक विधा :- कविता, गीत, गजल, कहानी, लेख
साहित्यिक उपलब्धि
२०१५ सराहना मंच इंदौर से काव्य पाठ एवं सम्मान
२०१६ उज्जैन सिंहस्थ कुंभ में रचना चयनित एवं नवलोक मंच इंदौर द्वारा सम्मान
२०१६ राष्ट्रीय कवि संगम महिला प्रकोष्ठ में रचना चयनित एवं शब्द शक्ति सम्मान से सम्मानित
२०१८ फरवरी में साहित्य पीडिया में विश्वस्तर पर रचना बेटी पर चयनित एवं सम्मानित
२०१८ में सरोकार संस्था से राज्यस्तर पर कन्या भ्रूण कन्या हत्या पर रचना चयनित एवं सम्मानित
२०१८ में सुरभि साहित्य संस्कृति अकादमी खंडवा द्वारा सम्मानित
संस्कार भारती में सक्रिय कार्यकारिणी सदस्य
समाज सेवा में तत्पर एवं
अन्य कई साहित्यिक मंच से भी काव्य पाठ रचनाओं का प्रकाशन एवं सम्मान।
प्रतिनिधि रचनाएं :- रुक गया वर्तमान, अनाथ बच्चे के भाव, बिटिया बिन अम्मा की दिवाली
दो कृतियां प्रकाशाधीन:- भाग्य से मिलता रचनाधर्मिता का वरदान, मां सरस्वती द्वारा प्रदत्त अनमोल सम्मान
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