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रणवाँकुणे

रचयिता : शिवम यादव ”आशा”

 वो तो रणवीर वाँकुणे थे,
 जिनको राणा कहते थे
लाखों दुश्मन से लङने की,
अकेले हिम्मत रखते थे
तूफान सा तेज चेतक में था
उनके हर वार पे दुश्मन मरता था
तीव्र तेज था भाले का,
जिससे दुश्मन का
सीना, मस्तक फटता था
था चेतक में अदम्य साहस
जिससे दुश्मन भय खाता था
रण में चेतक जहाँ ठहरता था
वहाँ सून सान हो जाता था…-2
वीर राणा प्रताप
वीर राणा के भाले से,
दुश्मन मात खाते थे
वही राणा के वंशज
आज भी भारत भूमि पे जिंदा हैं…
जरा तू होश आ दुश्मन
नहीं मिट्टी मिला देंगे
हम राणा के वंशज है
तुम्हें मरना सिखा देंगे
लेखक परिचय : नाम शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म 07 जुलाई सन् 1998 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं
रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन “

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