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फिर भी मै पराई हूँ

कंचन प्रभा
दरभंगा (बिहार)

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कैसी ये दुनिया है हरजाई
जिसने ये एक शब्द बनाई

मैं कौन हूँ घर कहाँ है मेरा
सब कहते मुझको तो पराई

जब मैं इस धरती पर आई
सबकी लाड़ से मुस्काई

सब ने फिर मुझे याद दिलाया
लड़की तो होती है पराई

ये क्या अम्मा तु ही बता दे
तु तो अपना राज जता दे

या तुझ मे भी वही बात समाई
तु भी मुझको कहे पराई

फिर सब ने मुझे किया विदाई
साजन के घर डोली चढ़ आई

सबसे मिल जुल घर तो बसाई
फिर भी मैं कही गई पराई

ये तो पिया का घर कहलायी
ससुराल मे भी मै कही गई पराई

भगवान ने ही ये नियम बनाई
औरतों के लिये घर कहाँ बनाई

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परिचय :- कंचन प्रभा
निवासी – लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार

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