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रहो अटल चट्टान

संजू “गौरीश” पाठक
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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संकट कितने हो बड़े, रहो अटल चट्टान।
नेक कर्म करते रहो, पुनः मिलेगा मान।।(१)

कभी न हिम्मत हारिए, हो मुश्किल का दौर।
अंगद पाँव जमाइए, मिल जाएगा ठौर।। (२)

सच्चाई की राह पे, चलता है जो कोय।
दथविपदा चाहे हो बड़ी, जीत सत्य की होय।।(३)

कलम दुधारू अस्त्र है , समझें असी समान।
कवि लेखनी सशक्त है, पाते हैं सम्मान।। (४)

कांधे पर हल जो धरे , निपट कृषक कहाय।
कुछ तो कवि ऐसा लिखो, मुख मुस्कान समाय।।(५)

खाली बर्तन देखिए, करता अति आवाज।
तोल-मोल कर बोलिए यही सफलता राज।। (६)

नफरत ऐसी आग है, सकल भस्म हो जाय।
प्रेम डोर में बांधे, जन्म सफल हो जाय।। (७)

चिंता से कछु ना बने, चिंतन राह दिखाय।
जब भी भीर आन पड़े, शीतल मन सुलझाय।।(८)

कभी हार ना मानिए, विषम काल हो पास।
नियत अवधि पश्चात ही, होता सदा उजास।।(९)

परिचय :- संजू “गौरीश” पाठक
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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