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कदम दरकदम

रुचिता नीमा
इंदौर म.प्र.

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हर कदम, दरकदम सब होते है हैरान,
हर मन अशांत, हर शक्श परेशान,
हर कोई आतुर है,
अपना भविष्य जानने को
कैसे भी बस पता लग जाये
कि अब क्या है बाकी आने को।।

हर शक्श उलझा उलझा सा है
तारों में, नक्षत्रो में,
जन्मपत्रिका के फेरो में,
कभी हाथों की लकीरों मे
कभी साधु सन्यासी के डेरों में
कि मिल जाये कोई
खजाना आने वाले वक्त का,
अच्छा हो या हो बुरा
लेकिन उसको हो सब पता….
ये है एक ऐसी जिज्ञासा
जिसका कोई अंत नहीं….
अज्ञात को जानना तो
कोई उचित विकल्प नहीं।।

जानकर भी क्या कर लेना है
जो होना है, वही होकर रहना है।।
इसलिये इस अज्ञात की दौड़ में,
अपना वर्तमान भी खोना है।।।

जो सच है उसको तुम स्वीकार करो
इस मृगतृष्णा को छोड़ तुम
अपने कर्मो पर विश्वास करो
भागो मत, अब जागो
और जागकर भवसागर को पार करो

.

परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।


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